वाराणसी : ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर सर्वे जारी, मुस्लिम पक्ष के वकील ने उठाए सवाल

मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने वीडियोग्राफी सर्वे के लिए नियुक्त कोर्ट कमिश्नर की निष्पक्षता पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अदालत ने खोदने या कुरेदने का कोई आदेश नहीं दिया था और वह आज हुई कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं. 

वाराणसी:

वाराणसी (Varanasi) के ज्ञानवापी और श्रृंगार गौरी परिसर में अदालत के आदेश पर शुक्रवार को एडवोकेट कमिश्नर की अगुवाई में एक टीम ने ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) के बाहर के कुछ हिस्सों की वीडियोग्राफी और सर्वे किया गया. वादी पक्ष के वकील के मुताबिक शनिवार को बैरिकेडिंग (ज्ञानवापी मस्जिद परिसर) के अंदर सर्वे कराया जाएगा. वही मुस्लिम पक्ष के वकील ने एडवोकेट कमिश्नर की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए इसके खिलाफ अदालत में प्रार्थना पत्र देने का ऐलान किया है. 

वादी पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने वीडियोग्राफी-सर्वे का आज का काम पूरा होने के बाद संवाददाताओं को बताया, 'एडवोकेट कमिश्नर ने जिलाधिकारी से समन्वय करके यह लिख दिया है कि कल हम बैरिकेडिंग के अंदर जाएंगे. कल अपराह्न तीन बजे का समय निर्धारित हुआ है, बैरिकेडिंग के अंदर जाने के लिए. कल पूरे परिसर की वीडियोग्राफी होगी और एडवोकेट कमिश्नर हम लोगों की मौजूदगी में बैरिकेडिंग के अंदर जाएंगे.'

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उधर, मुस्लिम पक्ष के वकील अभय नाथ यादव ने वीडियोग्राफी सर्वे के लिए नियुक्त कोर्ट कमिश्नर की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए उन्हें बदलवाने के लिए शनिवार को अदालत में प्रार्थना पत्र देने की बात कही है. उन्होंने सर्वे के दायरे में ली जाने वाली इमारतों को कुरेद-कुरेद कर दिखाए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अदालत ने खोदने या कुरेदने का कोई आदेश नहीं दिया था और वह शुक्रवार को हुई कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि आज वीडियोग्राफी-सर्वे टीम ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर नहीं गई. 

यादव ने कहा, 'आयोग की कार्यवाही अपराह्न चार बजे शुरू हुई और मस्जिद के पश्चिम की तरफ जो चबूतरा है उसकी वीडियोग्राफी कराई गई. उसके बाद कमिश्नर ने ज्ञानवापी मस्जिद का प्रवेश द्वार खुलवा कर अंदर जाने का प्रयास किया, जिस पर मैंने विरोध दर्ज कराया और कहा कि अदालत ने ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है कि मस्जिद के अंदर जाकर उसकी वीडियोग्राफी की जाए, लेकिन कोर्ट कमिश्नर ने दावा किया कि उन्हें ताला खुलवा कर उसकी वीडियोग्राफी कराने का आदेश मिला है, मगर सच्चाई यह है कि ऐसा कोई आदेश नहीं है, लिहाजा मैं कोर्ट कमिश्नर की निष्पक्षता पर सीधे प्रश्न चिन्ह खड़ा करता हूं.'

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उन्होंने कहा, 'मैंने प्रार्थना पत्र तैयार किया है इसमें लिखा है कि कमिश्नर का व्यवहार निष्पक्ष नहीं है. वह एक पक्ष के रूप में कार्यवाही करने आ रहे हैं और उनपर भरोसा नहीं है. कल मैं इसी आशय का प्रार्थना पत्र अदालत में देकर कोर्ट कमिश्नर को बदलवाने का आग्रह करूंगा.'

इससे पहले एक स्थानीय अदालत के आदेश पर काशी विश्वनाथ धाम—ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी और अन्य देव विग्रहों की वीडियोग्राफी तथा सर्वे के काम के लिये एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र और वादी पक्ष के कई लोग ज्ञानवापी पहुंचे थे. काम शुरू होने से पहले ज्ञानवापी में जुमे की नमाज पढ़ने के लिये बड़ी संख्या में लोग जमा थे.

उन्होंने बताया कि इसी दौरान कुछ शरारती तत्वों ने नारेबाजी शुरू कर दी. हालांकि पुलिस ने नारेबाजी कर रहे लोगों को खदेड़ दिया. इस बीच, काशी विश्वनाथ धाम—ज्ञानवापी के आसपास की दुकानें बंद कर दी गईं. 

ज्ञानवापी मस्जिद का रखरखाव करने वाली संस्था 'अंजुमन इंतजामिया मसाजिद' के सह सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने 'पीटीआई—भाषा' को बताया, ‘‘मुस्लिम पक्ष के लोग ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी का विरोध कर रहे थे, क्योंकि मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी वर्जित है.''

उन्होंने दावा किया कि अदालत ने जिन स्थलों की वीडियोग्राफी—सर्वे का आदेश दिया है उसमें मस्जिद के अंदर का परिसर शामिल नहीं है.

यासीन ने बताया, ''विरोध के बाद सर्वे टीम ने शाम चार बजे से श्रंगार गौरी, नंदी और ज्ञानवापी कूप समेत कई स्थानों पर अपना काम शुरू किया.''

सूत्रों ने बताया कि विवाद से कुछ समय पहले काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट संख्या चार के सामने बैरिकेडिंग के पास एक महिला कपड़ा बिछा कर नमाज पढ़ने लगी, जिसे पुलिस बाद में थाने ले गई. पुलिस के अनुसार, महिला की पहचान जैतपुरा निवासी आयशा के रूप में हुई है और वह विक्षिप्त है. पुलिस को तलाशी में उसके पास हिन्दू देवी देवताओं की फ़ोटो मिली है. 

गौरतलब है कि विश्व वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारी जितेन्द्र सिंह विसेन के नेतृत्व में राखी सिंह तथा अन्य ने अगस्त 2021 में अदालत में एक वाद दायर कर श्रंगार गौरी के नियमित दर्शन—पूजन और अन्य देवी—देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा की मांग की थी. सिविल जज (जूनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद गत 26 अप्रैल को अजय कुमार मिश्रा को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर ज्ञानवापी परिसर का वीडियोग्राफी—सर्वे करके 10 मई को अपनी रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. मिश्रा ने वीडियोग्राफी और सर्वे के लिये छह मई का दिन तय किया था. 

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पुलिस सूत्रों के मुताबिक मामला संवेदनशील होने के कारण जिले की सभी थानों की पुलिस के साथ—साथ स्थानीय अभिसूचना इकाई को भी अतिरिक्त सतर्कता बरतने के आदेश दिए गए हैं.