- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा के शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा की
- वंदे मातरम की 150 वर्षों की यात्रा कई महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक घटनाओं से गुजरी है
- जब वंदे मातरम के 50 वर्ष पूरे हुए थे, तब भारत अभी भी ब्रिटिश शासन की गुलामी में था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा के शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने के मौके पर विशेष चर्चा के दौरान कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. इस दौरान पीएम मोदी ने जवाहरलाल नेहरू से लेकर जिन्ना और आपातकाल तक का जिक्र किया. कांग्रेस पर हमला बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि नेहरू जी का सिंहासन डोला, तो उन्होंने वंदे मातरम के टुकड़े कर दिया. जिन्ना ने वंदे मातरम का विरोध किया, तो उन्होंने इस पर सहमति जताई. तुष्टिकरण के दबाव में कांग्रेस वंदे मातरम के बंटवारे के लिए झुकी इसलिए कांग्रेस को भारत के बंटवारे के लिए झुकना पड़ा. पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम की 150 वर्षों की यात्रा अनेक पढ़ावों से होकर गुजरी है. जब वंदे मातरम के 100 साल पूरे हुए, तब भारत आपातकाल में था.
कांग्रेस तिलमिलाई, कहा- कांग्रेस ने सबसे पहले वंदे मातरम् का उद्घोष किया
पीएम मोदी के नेहरू पर हमले से कांग्रेस तिलमिला गई. लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी पर वंदे मातरम् पर चर्चा को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के लोग जितनी भी कोशिश कर लें, पंडित जवाहरलाल नेहरू के योगदान पर दाग नहीं लगा सकते. उन्होंने सदन में वंदे मातरम् पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा, 'भाजपा के राजनीतिक पूर्वजों का आजादी की लड़ाई में कोई योगदान नहीं रहा.' गोगोई ने दावा किया कि कांग्रेस ने सबसे पहले वंदे मातरम् का उद्घोष किया था.

...तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था
पीएम मोदी ने कहा, 'वंदे मातरम को जब 50 साल पूरे हुए, तब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था. जब वंदे मातरम के 100 साल हुए, तब देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था. जब अत्यंत पर्व था, तब भारत के संविधान का गला घोंट दिया गया था. जब वंदेमातरम 100 साल का हुआ, तब देश के लिए देशभक्ति के लिए जीने मरने वाले लोगों को सलाखों को पीछे डाला गया. आजादी की ऊर्जा देने वाले गीते के 100 साल के मौके पर दुर्भाग्य से एक काला कालखंड हमारे इतिहास में उजागर हो गया.'

अंग्रेजों ने बांटों और राज करो के लिए बंगाल को अपनी प्रयोगशाला बनाया
वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कहा, 'अंग्रेज समझ चुके थे 1857 के बाद लंबे समय के लिए टिकना मुश्किल लग रहा था, जिस प्रकार वो अपने सपने लेकर आए थे, तब उन्हें लगा कि जब तक भारत को टुकड़ों में नहीं बाटेंगे. भारत में ही एक दूसरे से लड़ाएंगे नहीं, यहां राज करना मुश्किल है. अंग्रेजों ने बांटों और राज्य करो के रास्ते को चुना और उन्होंने बंगाल को इसकी प्रयोगशाला बनाया. अंग्रेज भी जानते थे कि बंगाल का बौद्धिक सामर्थ्य देश को ताकत और प्रेरणा देता था. अंग्रेज भी चाहते थे कि अंग्रेजों ने सबसे पहले बंगाल के टुकड़े करने की दिशा में काम किया. उनका मानना था कि एक बार बंगाल टूट गया, तो ये देश भी टूट जाएगा और फिर यहां राज करते रहेंगे.
पीएम मोदी ने कहा कि बंकिम दा ने जब वंदे मातरम् की रचना की, तब स्वाभाविक ही वह स्वतंत्रता आंदोलन का पर्व बन गया. तब पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण, वंदे मातरम हर भारतीय का संकल्प बन गया. इसलिए वंदे मातरम् की स्तुति में लिखा गया था.
मातृभूमि की स्वतंत्रता की वेदी पर,
मोद में स्वार्थ का बलिदान है।
यह शब्द ‘वंदे मातरम्' है
सजीवन मंत्र भी, विजय का विस्तृत मंत्र भी।
यह शक्ति का आह्वान है
यह वंदे मातरम् है।
उष्ण शोणित से लिखो,
वत्स स्थली को चीरकर वीर का अभिमान है
यह शब्द वंदे मातरम् है।
बंगाल विभाजन के बाद, अंग्रेजों ने वंदे मारतम गाने पर लगा दी थी रोक
1905 में अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया. जब अंग्रेजों ने 1905 में ये पाप किया, तो वंदे मातरम चट्टान की तरह खड़ा रहा. बंगाल की एकता के लिए वंदे मातरम गली-गली का नारा हो गया और वही नारा प्रेरणा देता था. अंग्रेजों ने बंगाल विभाजन के साथ भारत को कमजोर करने की साजिश की. लेकिन वंदे मातरम एक स्वर एक रूप में अंग्रेजों के लिए चुनौती बनता गया. बंगाल का विभाजन तो हुआ, लेकिन एक बहुत बड़ा स्वदेशी आंदोलन खड़ा हुआ. तब वंदे मातरम हर तरफ गूंज रहा था. अंग्रेज समझ गए बंगाल की धरती से निकले वंदे मातरम ने उन्हें हिला दिया. तब अंग्रेजों ने इस गाने को गाने पर सजा देना शुरू कर दिया. वंदे मातरम के खिलाफ अंग्रेजों ने कठोर कानून लागू कर दिए थे, लेकिन तब ये नारा पूरे देश में गूंजता रहा था.
वंदे मातरम सिर्फ राजनीतिक लड़ाई का मंत्र नहीं था
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'दुनिया के इतिहास में ऐसा कोई काव्य या भाव नहीं हो सकता जो सदियों तक एक लक्ष्य के लिए कोटिकोटि जनों को प्रेरित करता हो. पूरे विश्व को पता होना चाहिए कि गुलामी के कालखंड में ऐसे रचना की गई. वंदे मातरम कहते कहते फांसी पर चढ़ गए. वंदे मातरम्, सिर्फ राजनीतिक लड़ाई का मंत्र नहीं था. सिर्फ अंग्रेज जाएं और हम अपनी राह पर खड़े हो जाएं, वंदे मातरम् सिर्फ यहां तक सीमित नहीं था. आजादी की लड़ाई, इस मातृभूमि को मुक्त कराने की जंग थी. मां भारती को उन बेड़ियों से मुक्त कराने की एक पवित्र जंग थी.
गांधी चाहते थे, वंदे मातरम बने 'नेशनल एंथम'
महात्मा गांधी वंदे मातरम पर क्या राय रखते थे, पीएम मोदी ने बताया, 'वंदे मातरम पर महात्मा गांधी की भावना क्या थी, वो भी रखना चाहता हूं. 1905 में गांधी जी लिखते हैं, यह गीत इतना लोकप्रिय हो गया, जैसे ये हमारा नेशनल एंथम बन गया है. इसकी भावनाएं महान है और यह अन्य राष्ट्रों के गीतों से मधुर है. इसका एकमात्र उद्देश्य हमारे भीतर देश भक्ति की भावना जगना है और ये भारत को माता के रूप में दिखता है....
दरअसल, उस समय नेशनल एंथम के रूप में दिखता था. उस समय वंदे मातरम की ताकत बहुत बड़ी है. फिर पिछली सदी में इसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों हुआ? वंदे मातरम के साथ विश्वासघात क्यों हुआ? वो कौन सी ताकत थी, जिसकी इच्छा खुद पूज्य बापू की भावनाओं पर भी भारी पड़ गई. जिसने वंदे मातरम जैसी पवित्र भावना को भी विवादों में घसीट दिया. हमें उन परिस्थितियों को भी नई पीढि़यों को बताना है, जिसकी वजह से वंदे मातरम के साथ विश्वास घात किया गया.
वंदे मारतम पर कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेके
पीएम मोदी ने चर्चा के दौरान बताया, 'नेहरू जी लिखते हैं- मैंने वंदे मातरम गीत का बैकग्राउंड पढ़ा है. मुझे लगता है कि ये जो बैकग्राउंड है इससे मुस्लिम भड़केंगे. इसके बाद कांग्रेस की तरफ से बयान आया कि 26 अक्तूबर से कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक कोलकाता में होगी. इसमें वंदेमातरम के उपयोग की समीक्षा की जाएगा. बंकिम बाबू का बंगाल. बंकिम बाबू का कोलकाता को चुना गया. पूरा देश हैरान था. पूरे देश में देशभक्तों में इस प्रस्ताव के विरोध में प्रभातफेरियां निकाली. लेकिन देश का दुर्भाग्य कि 26 अक्तूबर को कांग्रेस ने वंदेमातरम पर समझौता कर लिया. वंदेमातरम के टुकड़े कर दिए. उस फैसले के लिए पीछे नकाब यह यह पहना गया कि यह तो सामाजिक सद्भाव का काम है. लेकिन इतिहास इस बात का गवाह है कि कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के आगे घुटने टेके.
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