- संसद में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर खास चर्चा हुई जिसमें पीएम ने वंदे मातरम् का विशेष उल्लेख किया
- पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् के 100 साल पर देश में आपातकाल लगाया गया और संविधान का गला घोंटा गया था
- पीएम ने कांग्रेस पर वंदे मातरम्गा ने के बहाने तुष्टिकरण करने का आरोप लगाया और स्वतंत्रता संग्राम की भावना जताई
संसद में वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर संसद में खास चर्चा जारी है. पीएम मोदी ने वंदे मातरम का जिक्र करते हुए कहा कि वंदे मातरम के 100 साल पर देश का गला घोंटा गया और आपातकाल लगाया. उन्होंने कांग्रेस पर वंदे मातरम् गाने के बहाने तुष्टिकरण का आरोप लगाया. इसी दौरान, वंदे मातरम के रचियता बंकिम चंद्र चटर्जी को बंकिम दा या बंकिम बाबू कहने पर दिलचस्प चर्चा देखने को मिली.
'आपको तो दादा कह सकता हूं न', पीएम मोदी ने चुटकी
दरअसल, पीएम मोदी संसद में वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान बंकिम चंद्र चटर्जी को बंकिम दा कह रहे थे. ऐसे में टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने उन्हें टोंकते हुए कहा कि उन्हें बंकिम बाबू कहिए. उनके ऐसा कहते ही पीएम मोदी खुद को करेक्ट करते हुए टीएमसी सांसद को शालीनता से थैंक्यू कहा और फिर चुटकी लेते हुए बोले, "आपको तो दादा कह सकता हूं न? कहीं आपको न उसमें ऐतराज न हो जाए."
'अंग्रेजों के उस दौर में भारत और भारतीयों को नीचा दिखाना एक आदत बन चुकी थी, ऐसे समय में बंकिम चंद्र ने इन पंक्तियों की रचना की...'- लोकसभा में बोले PM मोदी #Parliament | #PMModi pic.twitter.com/Fg6zDRDvxL
— NDTV India (@ndtvindia) December 8, 2025
कांग्रेस ने घोंटा, संविधान का गला
पीएम मोदी ने कहा, जब वंदे मातरम के 100 साल पूरे हुए थे, तब देश आपातकाल के जाल में जकड़ा हुआ था. उस समय संविधान का गला घोंट दिया गया था. प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में 'वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर कहा, "यही वंदे मातरम् है जिसने 1947 में देश को आज़ादी दिलाई. स्वतंत्रता संग्राम का भावात्मक नेतृत्व इस वंदे मातरम् के जयघोष में था... यहां कोई पक्ष-प्रतिपक्ष नहीं है, हम सबके लिए यह रण स्वीकार करने का अवसर है, जिस वंदे मातरम् के कारण हमारे लोग आजादी का आंदोलन चला रहे थे उसी का परिणाम है कि आज हम सब यहां बैठे हैं."
PM मोदी ने कहा, 'देश आत्मनिर्भर बने. 2047 में विकसित भारत बनाकर रहें. इस संकल्प को दोहराने के लिए वंदे मातरम बहुत बड़ा अवसर है. वंदे मातरम की इस यात्रा की शुरुआत बंकिम चंद्र जी ने 1875 में की थी. गीत ऐसे समय लिखा गया था जब 1857 में स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज सल्तनत बौखलाई हुई थी. भारत पर जुल्म जारी था. उस समय जो उनका राष्ट्रीय गीत था - 'गॉड सेव द क्वीन' इसको घर घर पहुंचाने का षडयंत्र चल रहा था.
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