उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल (Uttarakhand Tunnel Collapse) में पांच दिन से 40 मजदूर फंसे हुए हैं. ये टनल 12 नवंबर की सुबह अचानक धंस गई थी. अंदर फंसे मजदूरों को निकालने के लिए गुरुवार सुबह नए सिरे से 'अमेरिकन ऑगर' मशीन (American auger) को इंस्टॉल कर रेस्क्यू (Rescue Operation)का काम शुरू किया गया है. इस मशीन को बुधवार देर शाम भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) के हरक्यूलिस विमान से दिल्ली से उत्तरकाशी लाया गया था. मजदूरों के रेस्क्यू के लिए नॉर्वे और थाईलैंड की रेस्क्यू टीमों से भी सलाह ली जा रही है. इस बीच केंद्रीय मंत्री वीके सिंह (VK Singh) गुरुवार को टनल के अंदर जायजा लेने पहुंचे. उन्होंने बताया कि मजदूरों के रेस्क्यू में 2 से 3 दिन और लग सकते हैं.
चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. 12 नवंबर (रविवार) को अचानक टनल (Silkyara Tunnel)के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर दूर मिट्टी धंस गई. जिससे ये मजदूर बफर जोन में फंस गए. मलबा 70 मीटर तक फैला गया है. फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं.
नॉर्वे और थाईलैंड के एक्सपर्ट से ली जा रही मदद
केंद्रीय मंत्री ने इस बात की भी पुष्टि की है कि मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू टीमों ने नॉर्वे और थाईलैंड के एक्सपर्ट से बात की हैं. इसमें थाईलैंड की वह फर्म भी शामिल है, जिसने वहां की एक गुफा में 17 दिन तक फंसे 12 बच्चों और उनके फुटबॉल कोच का रेस्क्यू किया था.
केंद्रीय मंत्री ने मजदूरों से की बात
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने साइट पर ही प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने बताया, "हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि फंसे हुए मजदूर सुरक्षित रहे और उन्हें जल्द से जल्द टनल से निकाला जाए. प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक हर कोई हर संभव तरीके से मदद कर रहा है. सभी सुझावों पर विचार किया जा रहा है. मैंने मजदूरों से बात की है. उनका मनोबल ऊंचा है और वे जानते हैं कि सरकार उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है."
200 लोगों की टीम 24X7 कर रही काम
मजदूरों के रेस्क्यू के लिए नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL), NDRF, SDRF, ITBP, BRO और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे काम में जुटी है. इसके अलावा थाईलैंड, नार्वे, फिनलैंड समेत कई देशों के एक्सपर्ट से ऑनलाइन सलाह ली जा रही है.
थाईलैंड की गुफा में कैसे हुआ था 12 बच्चों और कोच का रेस्क्यू
थाईलैंड की लुआंग गुफा में हुए रेस्क्यू ऑपरेशन को सबसे कठिन माना जाता है. इसमें दुनिया के सबसे बेहतरीन गोताखोरों और थाईलैंड के सील कमांडो की मदद से गुफा में 17 दिनों तक फंसे रहे 12 लड़कों और उनके फुटबॉल कोच को सुरक्षित बचा लिया गया था.
लुआंग गुफा में फंसे थे 12 बच्चे
तारीख 23 जून 2018 थी. थाईलैंड के कई इलाकों में बारिश हो रही थी. इसी दौरान 12 बच्चों की एक फुटबॉल टीम और उनके कोच प्रैक्टिस के बाद सैर करने निकले थे. उनका प्लान थाम लुआंग गुफा देखने का था. उन्हें यह नहीं पता था कि अगले ही पल मौसम अपना मिजाज बदलने वाला है. बच्चे गुफा में घूमते-घूमते काफी अंदर तक पहुंच गए. तेज बारिश के कारण गुफा के निचले हिस्से में काफी पानी भर गया. बच्चे और उनके कोच जब तक ये समझ पाते पानी ज्यादा भर जाने से गुफा से बाहर निकलने का रास्ता बंद हो चुका था. इसके बाद कोच समेत सभी 12 बच्चे उसी गुफा में फंस गए थे. इन बच्चों के रेस्क्यू ऑपरेशन में 17 दिन लगे. रेस्क्यू टीम में 10,000 से ज्यादा लोग शामिल थे.
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