उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल के धंसने (Uttarakhand Tunnel Collapse)के बाद करीब 5 दिन से 40 मजदूर फंसे हैं. इन्हें निकालने की हर कोशिश अब तक नाकामयाब रही है. गुरुवार सुबह नए सिरे से 'अमेरिकन ऑगर्स' मशीन को इंस्टॉल कर रेस्क्यू (Rescue Operations)का काम शुरू किया गया है. इस मुश्किल स्थिति में भी मजदूरों का हौसला बुलंद है. उन्हें उम्मीद है कि वो जल्द ही सुरक्षित बाहर निकाल लिए जाएंगे. रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी कर रहे अधिकारी बीच-बीच में इन मजदूरों से वॉकी-टॉकी और पाइप के जरिए उनके परिवार के सदस्यों से बात करा रहे हैं. दो दिन पहले साइट के ऑब्जर्वर नेगी ने अपने बेटे से बात की थी. अब एक और मजदूर ने अधिकारी के जरिए अपने परिवार के लिए मैसेज भेजा है.
एक वीडियो क्लिप में साइट पर मौजूद एक अधिकारी को महादेव नाम के मजदूर से उड़िया भाषा में बात करते हुए सुना जा सकता है. महादेव ने अधिकारी को अपने पिता और चाचा को यह बताने के लिए कहा कि वह ठीक है. परिवार को फिक्र नहीं करनी चाहिए. वह जल्द सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा. मजदूर कहता है, 'मैं ठीक हूं, मैं ठीक हूं अंकल...'
मंगलवार को एक मजदूर ने पाइप के जरिए बेटे से की थी बात
इससे पहले मंगलवार को उत्तराखंड के कोटद्वार के गब्बर सिंह नेगी ने पाइप के जरिए अपने बेटे से बात की थी. नेगी ने अपने बेटे से कहा था कि उन्हें खाना-पानी मिल रहा है. जल्द ही रेस्क्यू टीम सभी मजदूरों को बाहर निकाल लेगी. नेगी इस साइट पर ऑब्जर्वर का काम करते हैं. उन्होंने टनल में मजदूरों को ऑक्सीजन की सप्लाई किए जाने वाले पाइप के जरिए अपने बेटे से बात की थी.
नेगी के बड़े भाई महाराज भी हादसे के दिन साइट पर थे. उन्होंने बताया कि उनके भाई 22 साल से ज्यादा समय से इस कंपनी के साथ हैं, जो सुरंग के निर्माण में शामिल है. महाराज ने कहा, "मेरे भाई के पास बहुत अनुभव है. यही कारण है कि उनके साथ जो मजदूर हैं वे सुरक्षित हैं. कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें भोजन, पानी और चाय देने के लिए एक पाइप का इस्तेमाल किया जा रहा है."
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चारधाम प्रोजेक्ट के तहत बनाई जा रही है टनल
चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. NHIDCL के डायरेक्टर टेक्निकल अतुल कुमार ने सोमवार को बताया कि टनल से मलबा हटाने के दौरान ऊपर से लगातार मिट्टी धंस रही है. इससे रेस्क्यू में दिक्कत आ रही है. हमने अब स्टील पाइप के जरिए मजदूरों को निकालने का प्लान किया है.
बफर जोन में फंसे हैं मजदूर
अधिकारियों ने कहा कि मजदूर बफर जोन में फंस गए हैं और उनके पास इधर-उधर घूमने के लिए पर्याप्त जगह है. एक आपदा प्रतिक्रिया अधिकारी ने कहा, "उनके पास चलने और सांस लेने के लिए लगभग 400 मीटर का बफर स्पेस है."
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