सैन्य परिवारों के कल्याण के प्रति अपनी सरकार को प्रतिबद्ध बताते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार ने शहीद सैनिकों के आश्रितों को सरकारी नौकरियों में वरीयता देने का निर्णय किया है. गांधी पार्क में विजय दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि सैन्य परिवार में पैदा होने के कारण उन्होंने सैन्य परिवारों का संघर्ष एवं दुख-दर्द नजदीक से देखा है.
राज्य सरकार द्वारा सैन्य परिवारों के लिए विशेष योजनाएं बनाए जाने का जिक्र करते हुए धामी ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने सैनिकों या उनके आश्रितों को मिलने वाली अनुदान राशि बढ़ाने का फैसला किया है. शहीद सैनिकों के आश्रितों को राज्य सरकार के अधीन आने वाली नौकरियों में वरीयता के आधार पर नियुक्ति देने का निर्णय लिया गया है.''
इस मौके पर उन्होंने वीरता चक्र श्रृंखला से अलंकृत सैनिकों एवं वीर नारियों के लिए उत्तराखंड परिवहन निगम की सभी बसों में निःशुल्क यात्रा की सुविधा देने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सैनिक विश्राम गृहों की संख्या बढ़ाने हेतु प्रयासरत है.
मुख्यमंत्री ने विजय दिवस को भारतीय सेना के वीर जवानों के अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम का दिन बताते हुए कहा कि आज ही के दिन 1971 में पाकिस्तान के 93,000 से अधिक सैनिकों ने हमारे वीर बहादुर सैनिकों के समक्ष घुटने टेक दिए थे.
उन्होंने कहा कि इस युद्ध में उत्तराखंड के 255 जवानों ने भी अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था और अपने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देने वाले प्रदेश के 74 सैनिकों को विभिन्न वीरता पदकों से सम्मानित किया गया था.
धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य में पांचवें धाम के रूप में देहरादून में एक भव्य ‘सैन्य धाम' का निर्माण प्रारंभ किया गया है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक दिव्य प्रेरणा पुंज के रूप में काम करेगा.
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि राज्य सरकार ने सैन्य धाम के मुख्य द्वार का नाम उत्तराखंड के वीर सपूत एवं देश के प्रथम रक्षा प्रमुख दिवंगत जनरल बिपिन रावत के नाम पर रखने का निर्णय किया है. इस दौरान, मुख्यमंत्री ने पूर्व सैनिकों, वीरांगनाओं को शॉल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया.
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