उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग से 41 मजदूरों के सफल रेस्क्यू के बाद राज्य के सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar On Tunnel Rescue Operation) ने एनडीटीवी से बातचीत की. उन्होंने बताया कि किस तरह से मजदूरों के रेस्क्यू के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को भरपूर सहयोग दिया. उन्होंने कहा कि राज्य में पहले भी बड़ी-बड़ी सुरंगें बन चुकी हैं लेकिन यह हादसा कैसे हुआ, इसकी समीक्षा की जाएगी. सीएम धामी ने कहा कि दीवाली की सुबह ही मजदूर सुरंग में फंस गए थे, तब से उनको बाहर निकालने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही थी.
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पीएम मोदी ने बारीकी से रखी रेस्क्यू ऑपरेशन पर नजर
केंद्र सरकार के सहयोग का जिक्र करते हुए सीएम धामी ने कहा कि पांच राज्यों में चुनाव के बावजूद एक भी दिन ऐसा नहीं था जब पीएम मोदी ने मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा न लिया हो. उन्होंने बारीकी से इस पर नजर बनाए रखी. तभी यह संभव हो सका. सीएम धामी ने बताया कि मजदूरों को बाहर निकालने के लिए इंदौर से अमेरिकी ऑगर मशीन ड्रिलिंग के लिए मंगवाई गई थी लेकिन तीन दिन बाद उसने भी काम करना बंद कर दिया. उन्होंने कहा कि हमारे लिए विकास के साथ ही लोगों की सुरक्षा भी बहुत जरूरी है.
विकास के साथ सुरक्षा भी जरूरी-सीएम धामी
सीएम ने कहा कि उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थिति ऐसी है कि यहां विकास की जरूरत है, लेकिन विकास के साथ सुरक्षा भी हमारे लिए उतनी ही जरूरी है. सीएम ने कहा कि सुरंग में फसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए गैस कटर, प्लाज्मा कटर सबकुछ मंगवाया गया. लेकिन जब इससे बात नहीं बनी तो फिर रैट माइनर्स को गोरखपुर और दिल्ली जल बोर्ड से जरूरत के हिसाब से बुलाया गया.
पहले तो लोग राहत सामग्री का इंतजार ही करते रहते थे-सीएम धामी
सीएम धामी ने कहा कि उनको लगा था कि मजदूरों के रेस्क्यू में 3 घंटे और लगेंगे लेकिन उनको आधे घंटे बाद ही बाहर निकाल लिया गया. सभी मजदूर बिना स्ट्रैचर के खुद चलकर बाहर आए. वहीं पिछली सरकारों पर हमलावर सीएम धामी ने कहा कि पहले तो इस तरह के हादसों में लोग नेताजी के आने का इंतजार ही करते रहते थे. नेताजी आकर हरी झंडी दिखाएंगे तो राहत सामग्री मिलनी शुरू होगी. लेकिन अब ऐसा नहीं है.
राज्य में हो रहे निर्माण कार्यों की होगी समीक्षा-CM धामी
टनल हादसे पर सीएम ने कहा कि राज्य में इस तरह के जितने भी काम हो रहे हैं, उन सब की समीक्षा की जाएगी. विकास के साथ ही लोगों की सुरक्षा भी हमारे लिए उतनी ही जरूरी है. उन्होंने कहा कि राज्य का भौगोलिक विकास भी जरूरी है, क्यों कि टनल बनने से 25-30 किमी की दूरी कम हो जाएगी, पहाड़ों पर इतनी दूरी कम होना बहुत बड़ी बात है.
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