उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने सभी मंत्रियों, विधायकों, सांसदों तथा सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अपने बच्चों को सरकारी प्राथमिक पाठशालाओं में पढ़ाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए बुधवार को लखनऊ में विधानसभा में कहा कि यह शिक्षा के स्तर को सुधारने का अवसर है।
बेसिक शिक्षा मंत्री चौधरी ने विधानसभा में शून्यकाल के दौरान भाजपा के सुरेश खन्ना के एक स्थगन प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है, इससे शिक्षा का स्तर सुधारने का अवसर मिलेगा।
रेखांकित करते हुए कि वह पहले भी कहते रहे हैं कि शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सभी विधायकों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना चाहिए, चौधरी ने कहा, ‘‘मैं आईएएस और पीसीएस संघों, न्यायाधीशों एवं सभी सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों को पत्र लिखकर अपने बच्चों को सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने का आग्रह करूंगा।’’
उन्होंने कहा कि समाजवादी हमेशा से सबको समान शिक्षा की वकालत करते रहे हैं।
खन्ना ने यह मामला उठाते हुए कहा था कि इस मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले शिवकुमार पाठक को सम्मानित किया जाना चाहिए था, मगर सरकार ने उसे नौकरी से ही बर्खास्त कर दिया।
चौधरी ने खन्ना की जानकारी को अधूरी बताते हुए कहा कि पाठक को प्रशिक्षण अवधि में अनुमति के बिना बार-बार अनुपस्थित रहने के कारण बर्खास्त किया गया है।
बेसिक शिक्षा मंत्री ने भाजपा सदस्य के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि पाठक को इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय आने के पांच दिन पहले ही बर्खास्त कर दिया गया था, क्योंकि वे प्रशिक्षण अवधि में बार-बार अनुपस्थित रहने का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए थे।
उन्होंने कहा कि एक न्यूज चैनल ने दोनों मामलों को एक साथ जोड़कर भ्रम फैला दिया।
भाजपा के सदस्य सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने विरोध स्वरूप सदन से बहिर्गमन किया। सदन में बसपा सदस्य और नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों के पास मिड-डे मील की व्यवस्था करने से लेकर शिक्षा से इतर तमाम कामों को बोझ रहता है और इस बजह से शिक्षा का स्तर गिर रहा है।
उन्होंने प्रदेश सरकार से इस संबंध में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री से संपर्क करके शिक्षा में सुधार के लिए जरूरी उपाय करने की मांग की।
बेसिक शिक्षा मंत्री चौधरी ने केंद्र सरकार द्वारा आठवीं तक बच्चों को बिना परीक्षा के पास कर देने की नीति का विरोध करते हुए कहा कि जब परीक्षा ही नहीं होगी, तो बच्चे पढ़ेंगे क्यों और वे मजदूर बनकर रह जाएंगे।
इससे पूर्व अध्यक्ष की अनुमति के बिना भाजपा के रघुनंदन सिंह भदौरिया और कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू ने उनके क्षेत्र से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर सदन के बीच में आकर धरने पर बैठ गए। अध्यक्ष पांडेय ने उनके तरीके पर नाराजगी जताते हुए सदन की कार्यवाही 10-10 मिनट करके आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी।
बसपा के सदस्यों ने एक अन्य काम रोको प्रस्ताव के जरिये रबी के मौसम में हुई ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से किसानों को हुई क्षति का मामला उठाया और सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया।
बेसिक शिक्षा मंत्री चौधरी ने विधानसभा में शून्यकाल के दौरान भाजपा के सुरेश खन्ना के एक स्थगन प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय का निर्णय स्वागत योग्य है, इससे शिक्षा का स्तर सुधारने का अवसर मिलेगा।
रेखांकित करते हुए कि वह पहले भी कहते रहे हैं कि शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सभी विधायकों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना चाहिए, चौधरी ने कहा, ‘‘मैं आईएएस और पीसीएस संघों, न्यायाधीशों एवं सभी सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों को पत्र लिखकर अपने बच्चों को सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने का आग्रह करूंगा।’’
उन्होंने कहा कि समाजवादी हमेशा से सबको समान शिक्षा की वकालत करते रहे हैं।
खन्ना ने यह मामला उठाते हुए कहा था कि इस मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले शिवकुमार पाठक को सम्मानित किया जाना चाहिए था, मगर सरकार ने उसे नौकरी से ही बर्खास्त कर दिया।
चौधरी ने खन्ना की जानकारी को अधूरी बताते हुए कहा कि पाठक को प्रशिक्षण अवधि में अनुमति के बिना बार-बार अनुपस्थित रहने के कारण बर्खास्त किया गया है।
बेसिक शिक्षा मंत्री ने भाजपा सदस्य के आरोप को खारिज करते हुए कहा कि पाठक को इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्णय आने के पांच दिन पहले ही बर्खास्त कर दिया गया था, क्योंकि वे प्रशिक्षण अवधि में बार-बार अनुपस्थित रहने का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए थे।
उन्होंने कहा कि एक न्यूज चैनल ने दोनों मामलों को एक साथ जोड़कर भ्रम फैला दिया।
भाजपा के सदस्य सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने विरोध स्वरूप सदन से बहिर्गमन किया। सदन में बसपा सदस्य और नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों के पास मिड-डे मील की व्यवस्था करने से लेकर शिक्षा से इतर तमाम कामों को बोझ रहता है और इस बजह से शिक्षा का स्तर गिर रहा है।
उन्होंने प्रदेश सरकार से इस संबंध में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री से संपर्क करके शिक्षा में सुधार के लिए जरूरी उपाय करने की मांग की।
बेसिक शिक्षा मंत्री चौधरी ने केंद्र सरकार द्वारा आठवीं तक बच्चों को बिना परीक्षा के पास कर देने की नीति का विरोध करते हुए कहा कि जब परीक्षा ही नहीं होगी, तो बच्चे पढ़ेंगे क्यों और वे मजदूर बनकर रह जाएंगे।
इससे पूर्व अध्यक्ष की अनुमति के बिना भाजपा के रघुनंदन सिंह भदौरिया और कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू ने उनके क्षेत्र से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर सदन के बीच में आकर धरने पर बैठ गए। अध्यक्ष पांडेय ने उनके तरीके पर नाराजगी जताते हुए सदन की कार्यवाही 10-10 मिनट करके आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी।
बसपा के सदस्यों ने एक अन्य काम रोको प्रस्ताव के जरिये रबी के मौसम में हुई ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से किसानों को हुई क्षति का मामला उठाया और सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया।
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