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This Article is From Jun 04, 2021

UP : कोविड के चलते अनाथ हुए बच्चों का संकट, माता-पिता को खोने का गम और भविष्य की चिंता

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में कम से कम 200 बच्चे कोविड के चलते अनाथ हो गए हैं, वहीं, 1800 बच्चों ने अपने माता-पिता में से एक को खोया है और अब इन बच्चों के सामने इनके भविष्य का सवाल मुंह बाए खड़ा है.

यूपी में कोविड के चलते कम से कम 200 बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है.

लखनऊ:

कोरोनावायरस ने देश में सैकड़ों बच्चों ने अपने सिर का साया खो दिया है. कोविड के चलते इन बच्चों के माता-पिता दोनों की जान चली गई और अब इन बच्चों के सामने इनके भविष्य का सवाल मुंह बाए खड़ा है. उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले की एक 14 साल की बच्ची के माता-पिता की पिछले महीने कोविड के चलते मौत हो गई. बच्ची रोते हुए बोलती है, 'कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा. पिछले साल के लॉकडाउन में भी हम सब ठीक थे, लेकिन इस बार सबकुछ बस के बाहर हो गया.' एक कन्जस्टेड रूम, जिसकी दीवारों से पेंट की परत उखड़ रही थी, में बैठी बच्ची माता-पिता की मौत की बात करते हुए कई बार फूट-फूटकर रोती है. उसके माता-पिता दोनों एक हफ्ते के भीतर ही गुजर गए.

मां-पिता को खोने का ग़म अब अनिश्चित भविष्य की चिंता के साथ और गहरा हो जाता है. बच्ची के पिता एक आयुर्वेदिक दवाइयों की दुकान चलाते थे, जबकि मां गृहिणी थीं. अब दोनों ही नहीं हैं और बच्ची के सामने उसकी पढ़ाई और जीविका को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. 

यूपी में कोविड से 200 बच्चे हुए अनाथ

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में कम से कम 200 बच्चे कोविड के चलते अनाथ हो गए हैं, वहीं, 1800 बच्चों ने अपने माता-पिता में से एक को खोया है. 

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हापुड़ से 200 किमी दूर बरेली में एक मध्यमवर्गीय व्यापारी और उनकी पत्नी की मौत के बाद उनका एक बेटा और बेटी अनाथ हो गए हैं. दोनों अप्रैल में कुछ घंटों के भीतर अपने माता-पिता को खोने के गम से नहीं उबर पा रहे हैं. बेटी रोते हुए बताती है, 'हम 27 अप्रैल की रात में एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के चक्कर लगाते रहे लेकिन बेड नहीं मिला. अगले दिन दो बेड मिला भी लेकिन मेरी मां ने अस्पताल जाते वक्त रास्ते में ही दम तोड़ दिया. हम पापा को भी नहीं बचा पाए. उनकी उसी रात मौत हो गई.'

यूपी के बलिया जिले के एक गांव में चार बच्चों ने अपनी मां को खो दिया है. पिता की कैंसर से सालों पहले मौत हो गई थी. मां ही मजदूरी करके उनको पालती थीं. चारों में सबसे बड़ा बच्चा 13 और सबसे छोटा बच्चा 7 साल का है. इन बच्चों से जब पूछा गया कि इनको पालने वाला अब कोई है? तो सब चुप रहे, बस छोटे बच्चे ने बोला, 'भगवान हमारी मदद करेंगे.' बच्चे ने यह भी कहा कि वो बड़ा होकर पुलिसवाला बनना चाहता है.

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राष्ट्रीय स्तर पर उठ रहा अनाथ बच्चों का मुद्दा

कोविड के चलते अनाथ हुए बच्चों की चिंता राष्ट्रीय स्तर पर उठ रही है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे बच्चों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं का ऐलान किया था, जिन्होंने अपने दोनों अभिभावकों को खो दिया है. उत्तर प्रदेश सरकार भी कई कदम उठा रही है. हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि सरकार अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी लेगी और उन्हें आर्थिक सुरक्षा देगी.

उन्होंने बताया कि सरकार एक योजना शुरू की जाएगी, जिसके तहत इन बच्चों को अपनाने वाले गार्जियनों को तबतक हर महीने 4,000 रुपए दिए जाएंगे, जबतक ये आत्मनिर्भर नहीं बन जाते हैं. वहीं 10 साल से नीचे के बच्चे जिनका कोई गार्जियन नहीं होगा, उन्हें सरकारी आश्रयगृहों में रखा जाएगा.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि राज्यों की ओर से भेजे गए आंकड़ों के मुताबिक, 29 मई तक देश में लगभग 9,346 बच्चे महामारी की वजह से या तो अनाथ हुए हैं, या एक अभिभावक को खोया है या उन्हें छोड़ दिया गया है.

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