नई दिल्ली: US President Elections 2020: अमेरिका में तीन नवंबर को रहे राष्ट्रपति चुनाव पर भारत (India) समेत दुनिया भर की निगाहें हैं. क्या रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) दोबारा जीत हासिल करेंगे या डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडेन (Joe Biden) बाजी पलट देंगे. इसको लेकर इंटरनेट, टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक दिलचस्पी चरम पर है. आइए जानते हैं अमेरिकी चुनाव को सरल शब्दों में...
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ट्रंप और बाइडेन के बीच मुकाबला
इस बार मुकाबला 74 साल के डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और 78 साल के जो बाइडेन (Joe Biden) में है. बराक ओबामा के आठ साल के शासन में उप राष्ट्रपति रहे बाइडेन ने कमला हैरिस (Kamala Harris) को उप राष्ट्रपति नामित किया है. जबकि ट्रंप ने फिर माइक पेंस को नामित किया है. कमला हैरिस भारतीय मूल की हैं और चेन्नई से उनका नाता है.
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दो दलों के बीच सीधी जंग
अमेरिकी राजनीति में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन की दो दलीय व्यवस्था ही हावी है. चुनाव में निर्दलीय और छोटी पार्टियों के प्रत्याशी भी कभी कभार खड़े होते हैं, लेकिन कभी बड़ी चुनौती नहीं बन पाए. इस बार मशहूर मॉडल किम करदाशियां के पति कान्ये वेस्ट निर्दलीय प्रत्याशी हैं.
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रिपब्लिकन के मुद्दे- हथियार, चर्च के अधिकारों के समर्थक, गर्भपात,अप्रवासियों पर कड़ा रुख, कम टैक्स के पैरोकार
डेमोक्रेट के मुद्दे- पर्यावरण, वैश्विक संगठनों के पक्षधर, महिला, मजदूरों और अप्रवासियों के अधिकारों के समर्थक
मतदान इस वक्त शुरू होगा
अमेरिकी समयानुसार वोटिंग मंगलवार सुबह 6 बजे और भारतीय समयानुसार बुधवार दोपहर 3.30 बजे शुरू होगी. भारतीय समयानुसार अमेरिकी चुनाव में मतदान गुरुवार सुबह 6.30 बजे पूरा होगा.
मतगणना रात से शुरू होगी
अमेरिका में मतगणना (US Counting of votes) हर राज्य में चुनाव प्रक्रिया पूरी होते ही मंगलवार रात (भारत में बुधवार को) ही शुरू हो जाएगी. पोस्टल बैलेट के कारण राज्यों में मतगणना कई हफ्तों तक खिंच सकती है.
दस करोड़ वोटर डाल चुके मत
अमेरिकी चुनाव (US Election Results) में 23.9 करोड़ मतदाता हैं, लेकिन 3 नवंबर को मतदान के पहले ही करीब 10 करोड़ लोग पोस्टल बैलेट (Mail In Voting) या अर्ली वोटिंग (Early Voting )के जरिये वोट दे चुके हैं.
बहुमत का जादुई आंकड़ा
भारत में लोकसभा की 543 सीटों में से 272 का बहुमत का आंकड़ा होता है. उसी तरह अमेरिका में बहुमत के लिए किसी भी उम्मीदवार को 269 निर्वाचक वोटों का जादुई आंकड़ा पार करना होता है. उसे कम से कम 270 वोट मिलना जरूरी है.
निर्वाचक वोट को ऐसे समझिए
अमेरिका में जनता सीधे राष्ट्रपति नहीं चुनती. राष्ट्रपति का फैसला निर्वाचक वोटों से होता है. पूरे देश में 538 इलेक्टोरल कॉलेज (Electoral College) हैं. हर राज्य के अपने इलेक्टोरल कॉलेज तय हैं, जैसे कैलीफोर्निया में 55. कैलीफोर्निया (California) में जिस प्रत्याशी को सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे. उसे ये पूरे 55 निर्वाचक वोट मिल जाएंगे.
कैलीफोर्निया में सबसे ज्यादा वोट
अमेरिकी प्रांत कैलीफोर्निया में सर्वाधिक 55, न्यूयॉर्क में 29, टेक्सास में 38 और फ्लोरिडा में 29 निर्वाचक वोट हैं. कैलीफोर्निया और न्यूयॉर्क डेमोक्रेटों के गढ़ रहे हैं, जबकि टेक्सास रिपब्लिकन का.
नतीजों में हो सकती है देरी
पोस्टल बैलेट यानी डाक से भेजे गए मतपत्रों को खोलने, उनमें गलतियां देखने और छांटने में लंबा वक्त लग सकता है. ऐसे में स्पष्ट नतीजे आने में एक-दो हफ्ते लग सकते हैं.
राज्य अलग-अलग नतीजे जारी करेंगे
अमेरिका में 50 प्रांत हैं. भारत में एक साथ नतीजों के ऐलान से उलट अमेरिकी राज्यों में मतदान, पोस्टल बैलेट की गिनती और मतगणना के अलग-अलग नियम हैं. कुछ राज्यों ने पोस्टल बैलेट डाल चुके लोगों को भी इसे रद्द कराने और चुनाव वाले दिन 3 नवंबर को वोट करने का विकल्प दिया है. ऐसे चुनाव प्रक्रिया और जटिल हो गई है.
ये राज्य होंगे निर्णायक
अमेरिका में फ्लोरिडा, विस्कोंसिन, मिशिगन, नार्थ कैरोलिना, पेनसिल्वेनिया और ओहायो के नतीजों को निर्णायक माना जा रहा है. फ्लोरिडा जैसे राज्य में 22 दिन पहले ही वोटों की गिनती शुरू हो गई, लेकिन विस्कोंसन में 24 पहले भी ऐसा नहीं हो सकेगा. बुश और अलगोर के चुनाव में फ्लोरिडा निर्णायक साबित हुआ था.
नए राष्ट्रपति के लिए करीब दो माह का वक्त
अमेरिकी में सब कुछ तय होता है. नवंबर में पहले सोमवार के बाद पड़ने वाले मंगलवार (इस बार 3 नवंबर) को ही चुनाव होता है. राष्ट्रपति 20 जनवरी को शपथ लेते हैं. ऐसे में नतीजे देरी से आए या अदालती विवाद हुआ तो दिक्कत नहीं होगी.
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