पड़ोसी देश म्यांमार से मणिपुर में प्रवेश करने वाले अवैध अप्रवासियों को लेकर चिंता के बीच रविवार को एक बैठक आयोजित की गई. बैठक में भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ को 70 किलोमीटर तक बढ़ाने की योजना पर चर्चा की गई. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में इस बारे में जानकारी दी है. सिंह की मुख्य सचिव, सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation), राज्य पुलिस और गृह विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक उनके द्वारा केंद्र से भारत-म्यांमार सीमा पर "मुक्त आवाजाही व्यवस्था" को समाप्त करने के लिए कहने के एक दिन बाद हुई है.
भारत-म्यांमार सीमा के दोनों ओर के करीब रहने वाले लोगों को "मुक्त आवाजाही व्यवस्था" बिना किसी कागजात के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी तक जाने की अनुमति देती है. मुख्यमंत्री ने शनिवार को राज्य की राजधानी इम्फाल में संवाददाताओं से कहा कि इसके कारण अवैध अप्रवासी सुरक्षाबलों को चकमा दे सकते हैं, क्योंकि वे भारतीय क्षेत्र में कम से कम 14-15 किमी अंदर तैनात हैं.
सिंह ने अपनी पोस्ट में कहा, "बीआरओ के अधिकारियों के साथ बैठक की और भारत-म्यांमार सीमा पर 70 किलोमीटर की अतिरिक्त सीमा बाड़ लगाने का काम शुरू करने की योजना पर विचार-विमर्श किया. बैठक में मेरे साथ मुख्य सचिव, डीजीपी (और गृह विभाग के अधिकारी भी शामिल थे."
उन्होंने कहा, "पड़ोसी देश से अवैध इमिग्रेशन और नशीली दवाओं की तस्करी में इजाफे को देखते हुए हमारी खुली सीमाओं की सुरक्षा तुरंत जरूरी हो गई है."
पूर्वी मणिपुर के पांच जिले म्यांमार के साथ करीब 400 किलोमीटर लंबी सीमा को साझा करते हैं. हालांकि म्यांमार के साथ इसकी अंतरराष्ट्रीय सीमा के 10 फीसदी से भी कम हिस्से पर बाड़ लगाई गई है, जिससे यह इलाका नशीली दवाओं की तस्करी के लिए खुला है. भारत और म्यांमार के बीच सीमा की कुल लंबाई 1,600 किमी है.
रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थलाकृति और लागत-संबंधी कारणों से पूरी सीमा पर बाड़ लगाना संभव नहीं है, हालांकि अंतरराष्ट्रीय सीमा के प्रमुख हिस्से जहां सबसे ज्यादा अवैध अप्रवासी घुसपैठ होती है, वहां आसानी से बाड़ लगाई जा सकती है.
मुख्यमंत्री ने शनिवार को कहा, "हमें राज्य में वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना होगा, अर्थात् अवैध अप्रवासियों की भीड़ से निपटना, आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए कल्याण गतिविधियां शुरू करना और बड़े पैमाने पर पोस्त की खेती से लड़ना."
बीआरओ सशस्त्र बलों को सहायता प्रदान करता है और भारत और मित्र देशों में परियोजनाएं चलाता है. यह परियोजनाओं में आमतौर पर निजी उद्यमों द्वारा प्रतिकूल वातावरण में सड़कें, पुल और हवाई क्षेत्रों को विकसित करना शामिल है, चाहे फिर युद्ध की स्थिति हो या फिर पर्यावरणीय चुनौतियां.
अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की घाटी में बहुसंख्यक मैतेई की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क गई थी, जिसके बाद 175 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों लोग घायल हो गए है.
सुरक्षाबलों और उपद्रवियों के बीच रुक-रुक कर हो रही गोलीबारी के बीच राज्य धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है.
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