विकीलीक्स पर मौजूद कुछ दस्तावेज जो जानकारी पेश करते हैं, वे अगर सच हैं तो यह बेहद चौंकाने वाला होगा। भारत की शीर्ष खुफिया एजेंसियां और पूर्ववर्ती यूपीए सरकार हर तरह के फोन और डेस्कटॉप कंप्यूटर की जासूसी करने में सक्षम सॉफ्टवेयर बनाने वाली इटली की विवादास्पद कंपनी के ग्राहकों में शामिल थी। बीते हफ्ते जारी किए गए लीक ईमेल से यह खुलासा हुआ है, जो अब विकीलीक्स पर मौजूद हैं। (यहां हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि NDTV इन ईमेल्स की विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता है और हम संबंधित अधिकारियों की इस पर टिप्पणी की प्रतीक्षा कर रहे हैं)
वहीं, हैकिंग टीम का कहना है कि जो इंटरसेप्शन सॉफ्टवेयर वह बनाती है, वे कतई गैरकानूनी नही हैं और इनका इस्तेमाल दुनियाभर की पुलिस और खुफिया एजेंसियां करती हैं। लेकिन, इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिलान बेस्ड यह कंपनी जासूसी करने वाले टूल्स बेचती है। इनमें से कुछ ऐसे हैं जो ब्लैकबेरी, एंड्रॉयड और ऐपल फोन्स में पहले से ही लोड किए जा सकते हैं। कंपनी ने अपनी तकनीक रूस, सऊदी अरब और कुछ सरकारों को भी बेचीं जहां मानवाधिकार सरंक्षण का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। तकनीकी साइट गिजमोडो ने हैकिंग टीम को 'अब तक की सबसे डर्टी टेक कंपनियों में से एक' कहा है।
इन लीक ईमेल्स में कथित तौर पर दी गई जानकारियों के मुताबिक, हैकिंग टीम से जुड़े लोग भारत भी आए और उन्होंने भारत सरकार और इंटेलिजेंस ब्यूरो और रॉ (RAW) के सामने डेमो भी दिए कि किस तरह से फोन्स पर यह सॉफ्टवेयर काम करता है। इन ईमेल्स से यह भी सामने आया कि भारत के साथ डीलिंग करने के लिए यह कंपनी इजरायल की फर्म NICE के साथ पार्टनरशिप करती थी। कुछ ईमेल्स में सरकार को 'कस्टमर' कहकर संबोधित किया गया जबकि कुछ में केवल 'द क्लाइंट' कहा गया।
NDTV ने जब इंटेलिजेंस अधिकारियों से संपर्क किया तो उनका कहा कि वे 'ऐसे उपायों की तलाश करते रहते हैं जो संदिग्ध आतंकवादियों के ईमेल और कंप्यूटर्स पर नजर रख सकते हैं'। उन्होंने कहा कि आतंकी संगठनों जैसे कि आईएस के ऑनलाइन भर्ती अभियान और इंडियन मुजाहिद्दीन के आंतकी हमलों के लिए ऑनलाइन दिशानिर्देश दिए जाने की घटना सामने आने के बाद निगरानी में प्रयोग होने वाले सॉफ्टवेयर काफी महत्वपूर्ण हो गए है।
वैसे, इन लीक हुई ईमेल्स से में से एक ईमेल में कथित तौर पर आंध्र प्रदेश की पुलिस का सेलफोन से सूचनाएं हासिल करने वाले सॉफ्टवेयर्स के बारे जानकारी मांगने का भी जिक्र है। इन मेल्स में पिछली फरवरी में हैकिंग से जुड़े लोगों के बीच वेबिनार को लेकर बातचीत भी है जिसमें भारत की खुफिया एजेंसियां जैसे कि रॉ, एनआईए और आईबी को शामिल करने की बात कही जा रही है।
2011 की ईमेल्स खुलासा करती हैं कि भारतीय दूतावास ने इटली से संपर्क कर हैकिंग से जुड़े लोगों को दिल्ली में सरकार को रिमोट कंट्रोल सिस्टम v6 स्पाई वेयर का डेमो देने की गुजारिश की। इस सॉफ्टवेयर का क्या इस्तेमाल हो सकता था, यह अभी तक साफ नहीं है।
वहीं, हैकिंग टीम का कहना है कि जो इंटरसेप्शन सॉफ्टवेयर वह बनाती है, वे कतई गैरकानूनी नही हैं और इनका इस्तेमाल दुनियाभर की पुलिस और खुफिया एजेंसियां करती हैं। लेकिन, इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिलान बेस्ड यह कंपनी जासूसी करने वाले टूल्स बेचती है। इनमें से कुछ ऐसे हैं जो ब्लैकबेरी, एंड्रॉयड और ऐपल फोन्स में पहले से ही लोड किए जा सकते हैं। कंपनी ने अपनी तकनीक रूस, सऊदी अरब और कुछ सरकारों को भी बेचीं जहां मानवाधिकार सरंक्षण का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। तकनीकी साइट गिजमोडो ने हैकिंग टीम को 'अब तक की सबसे डर्टी टेक कंपनियों में से एक' कहा है।
इन लीक ईमेल्स में कथित तौर पर दी गई जानकारियों के मुताबिक, हैकिंग टीम से जुड़े लोग भारत भी आए और उन्होंने भारत सरकार और इंटेलिजेंस ब्यूरो और रॉ (RAW) के सामने डेमो भी दिए कि किस तरह से फोन्स पर यह सॉफ्टवेयर काम करता है। इन ईमेल्स से यह भी सामने आया कि भारत के साथ डीलिंग करने के लिए यह कंपनी इजरायल की फर्म NICE के साथ पार्टनरशिप करती थी। कुछ ईमेल्स में सरकार को 'कस्टमर' कहकर संबोधित किया गया जबकि कुछ में केवल 'द क्लाइंट' कहा गया।
NDTV ने जब इंटेलिजेंस अधिकारियों से संपर्क किया तो उनका कहा कि वे 'ऐसे उपायों की तलाश करते रहते हैं जो संदिग्ध आतंकवादियों के ईमेल और कंप्यूटर्स पर नजर रख सकते हैं'। उन्होंने कहा कि आतंकी संगठनों जैसे कि आईएस के ऑनलाइन भर्ती अभियान और इंडियन मुजाहिद्दीन के आंतकी हमलों के लिए ऑनलाइन दिशानिर्देश दिए जाने की घटना सामने आने के बाद निगरानी में प्रयोग होने वाले सॉफ्टवेयर काफी महत्वपूर्ण हो गए है।
वैसे, इन लीक हुई ईमेल्स से में से एक ईमेल में कथित तौर पर आंध्र प्रदेश की पुलिस का सेलफोन से सूचनाएं हासिल करने वाले सॉफ्टवेयर्स के बारे जानकारी मांगने का भी जिक्र है। इन मेल्स में पिछली फरवरी में हैकिंग से जुड़े लोगों के बीच वेबिनार को लेकर बातचीत भी है जिसमें भारत की खुफिया एजेंसियां जैसे कि रॉ, एनआईए और आईबी को शामिल करने की बात कही जा रही है।
2011 की ईमेल्स खुलासा करती हैं कि भारतीय दूतावास ने इटली से संपर्क कर हैकिंग से जुड़े लोगों को दिल्ली में सरकार को रिमोट कंट्रोल सिस्टम v6 स्पाई वेयर का डेमो देने की गुजारिश की। इस सॉफ्टवेयर का क्या इस्तेमाल हो सकता था, यह अभी तक साफ नहीं है।
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