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This Article is From Jun 11, 2025

भारत की महिलाओं में घट रही है प्रजनन की दर, जानें कब तक दो गुनी हो जाएगी आबादी

यूनाइटेड नेशन पापुलेशन फंड की 2025 की रिपोर्ट बताती है कि भारत की महिलाओं में प्रजनन दर (टीएफआर) 1.9 है. यह वैश्विक स्तर 2.2 से कम है. इससे पहले 2021 में भारत सरकार की एक रिपोर्ट में भारत की महिलाओं में टीएफआर 2.0 बताया गया था.

भारत की महिलाओं में घट रही है प्रजनन की दर, जानें कब तक दो गुनी हो जाएगी आबादी
  • भारत की जनसंख्या इस साल अप्रैल में 146.3 करोड़ हो गई.
  • भारत की जनसंख्या अगले 79 सालों में दोगुनी हो जाएगी.
  • महिलाओं की प्रजनन दर (टीएफआर) 1.9 है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह 2.2 है.
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नई दिल्ली:

भारत की जनगणना शुरू होने से पहले यूनाइटेड नेशन पापुलेशन फंड ने दुनिया की जनसंख्या और प्रजनन को लेकर अपनी रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक भारत की जनसंख्या इस साल अप्रैल में 146.3 करोड़ हो गई थी. भारत की जनसंख्या अगले 79 साल में दो गुनी हो जाएगी. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में महिलाओं की प्रजजन दर (टीएफआर) 1.9 है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह दर 2.2 है.इसका मतलब यह हुआ कि भारत में टीएफआर में गिरावट आई है. आइए देखते हैं कि इस रिपोर्ट में भारत और दुनिया की जनसंख्या को लेकर क्या आंकड़े दिए गए हैं.

युक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट बताती है कि कोरोड़ों लोगों को यह नहीं पता है कि उन्हें कितने बच्चे पैदा करने हैं. संयुक्त राष्ट्र कम जनसंख्या या अधिक जनसंख्या का प्रमुख कारण मानता है.संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट 14 देशों में करीब 14 हजार लोगों के बीच किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई है. इन देशों की कुल आबादी दुनिया की जनसंख्या का करीब 37 फीसदी है.

कितनी है भारत की आबादी

भारत की आबादी 146.3 करोड़ हो गई है. यह 79 साल में दो गुनी हो जाएगी.भारत में शून्य से 14 साल आयु के लोगों की संख्या सबसे अधिक 24 फीसदी है. वहीं 10 से 19 साल तक की आयु के लोगों की संख्या 17 फीसदी, 10 से 24 साल आयु के लोगों की संख्या 26 फीसदी, 15 से 64 साल तक की आयु के लोगों की संख्या 68 फीसदी, 65 साल या उससे अधिक आयु के लोगों की संख्या सात फीसदी है. यानी देश में बुजुर्गों की जनसंख्या सात फीसदी है. वहीं भारत में पुरुषो की औसत आयु 71 साल और महिलाओं की औसत आयु 74 साल है. अगले 40 साल में भारत की जनसंख्या 1.7 अरब हो जाएगी. इसके बाद जनसंख्या की रफ्तार में गिरावट आएगी. एक अरब 41 करोड़ की आबादी के साथ चीन दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला दूसरा देश है. 

इस रिपोर्ट में भारत की महिलाओं में घटते प्रजनन दर (Total Fertility Rate या TFR ) की भी जानकारी दी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत की महिलाओं में टीएफआर 1.9 है, जबकि वैश्विक स्तर पर यह 2.2 है. टीएफआर महिलाओं द्वारा अपने जीवनकाल में औसतन जन्म दिए जाने वाले बच्चों की संख्या को दर्शाता है. भारत के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से 2021 में जारी एक रिपोर्ट में भारत की महिलाओं में टीएफआर 2.0 दर्ज की गई थी.  

डॉक्टरों के दबाव में कम बच्चे पैदा करते हैं लोग?

इस सर्वे में शामिल भारत के लोगों में से पांच फीसदी पुरुषों ने कहा कि उनका कोई बच्चा नहीं है, वहीं बिना बच्चे वाली महिलाओं की संख्या चार फीसदी थी. वहीं एक बच्चे वाले पुरुषों की संख्या 14 फीसदी तो महिलाओं की संख्या 13 फीसदी थी. 33 फीसदी पुरुष और 41 फीसदी महिलाएं दो बच्चों के पिता या माता थी. इस तरह से चार फीसदी पुरुषों ने कहा कि उनके पास तीन बच्चे हैं, जबकि छह फीसदी महिलाओं ने तीन बच्चे होना स्वीकार किया. वहीं चार से अधिक बच्चे वाले पुरुषों की संख्या पांच फीसदी तो महिलाओं की संख्या छह फीसदी थी.  

यूनाइटेड नेशन पापुलेशन फंड के इस सर्वे में शामिल भारत के 22 फीसदी लोगों ने कहा कि वो डॉक्टर या दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों की सलाह पर कम बच्चे पैदा किए हैं या करेंगे. वहीं सर्वे में शामिल कुल 14 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने डॉक्टर या दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों के दबाव में आकर कम बच्चे पैदा किए.वहीं 30 फीसदी महिलाओं का कहना था कि न चाहते हुए भी उन्हें दबाव में आकर गर्भधारण करना पड़ा.

किस कारण से बच्चे पैदा नहीं कर पा रहे हैं लोग

संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट 14 देशों में करीब 14 हजार लोगों के बीच किए गए सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई है. इसके मुताबिक हर पांच में से एक व्यक्ति ने कहा कि उनके पास उतने बच्चे नहीं हैं, जितना वो चाहते थे. अधिकांश लोगों के पास कम बच्चे हैं या बिल्कुल नहीं हैं. वहीं कुछ लोगों ने कहा कि उनके पास उनकी चाहत से अधिक बच्चे होंगे. 

इस सर्वे में शामिल करीब एक चौथाई लोगों को बच्चे की चाहत थी. लेकिन वो पैदा नहीं कर पाए. इसमें सबसे बड़ा कारण आर्थिक था. इसके अलावा कई लोग स्वास्थ्य कारणों से ऐसा नहीं कर पाए. वहीं करीब 20 फीसदी लोग ऐसे थे, जिन्होंने कहा कि वो युद्ध, महामारी, राजनीति और जलवायु परिवर्तन को देखते हुए लगता है कि वो उतने बच्चे नहीं पैदा कर पाएंगे, जितना वो चाहते हैं. 

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