
बजट महाकुंभ में राहत रूपी अमृत की बूंदों ने हर किसी को तृप्त किया है. मिडिल क्लास वालों की बल्ले बल्ले है ही. बजट की खास बात यह है कि वित्त मंत्री ने रेहड़ी-पटरी वालों का भी खास ध्यान रखा है. महाकुंभ से वायरल हुई मोनालिसा जैसी सैकड़ों शहरी कामगारों की चिंता बजट में है. वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार शहरी कामगारों की सामाजिक-आर्थिक उन्नति के लिए एक योजना लेकर आएगी. शहरी गरीबों की आय बढ़ाने के प्रयास होंगे. स्ट्रीट वेंडरों के लिए चल रही ‘प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना' को नया रूप दिया जाएगा. इसके तहत बैंकों और यूपीआई से जुड़े क्रेडिट कार्ड से ऋण की सीमा बढ़ाकर 30,000 रुपये की जाएगी. तो जाहिर तौर पर इन ऐलानों से मोनालिसा तो हैपी जरूर होगी. यही नहीं स्वीगी और जोमैटो वाले भैया को भी बजट में बड़ी टिप दी गई है. ई श्रम पोर्टल पर उनका रजिस्ट्रेशन होगा और पीएम जन आरोग्य योजना के दायरे में लाया जाएगा. इससे लगभग 1 करोड़ छोटे कामगारों को सहायता मिलने की उम्मीद है. (पढ़ें:आज IIT बाबा भी होंगे खुश ) (पढ़ें: बजट का RRR वाला सार समझिए)

आखिर इस बर छप्परफाड़ क्यों है बजट, पढ़िए
68 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों को लाभ
सीतारमण ने लोकसभा में लगातार आठवां बजट पेश करते हुए कहा कि इस योजना से अनौपचारिक क्षेत्र के उच्च ब्याज वाले ऋणों से राहत के माध्यम से 68 लाख से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों को लाभ हुआ है. उन्होंने कहा, ‘‘ इस सफलता के आधार पर इस योजना को नया रूप दिया जाएगा और बैंकों और यूपीआई से जुड़े क्रेडिट कार्ड से ऋण की सीमा बढ़ाकर 30,000 रुपये की जाएगी.'' पीएम स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम-स्वनिधि) रेहड़ी-पटरी वालों को किफायती कर्ज देती है.
अपनी मनमोहन मुस्कान से वायरल जोमैटो वाले सोनू का चेहरा बजट ऐलानों से और खिला होगा. दरअसल ऑनलाइन पोर्टल के जरिए रोजगार पाने पर उन जैसे हजारों मेहनकश लोगों के लिए बजट में गुड न्यूज है. उनको सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजना के दायरे में लाने का ऐलान हो चुका है. ई-श्रमिक पोर्टल के पर उनका रजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा. इसके साथ ही पीएम जन आरोग्य योजना का लाभ भी उनको मिलेगा. अभी तक शहरी मेहनतकशों का यह तबका पूरी तरह से उपेक्षित था. ओला-उबर से जुड़े लाखों कामगारों को फायदा मिलेगा.

बजट से जानिए क्यों हैपी होंगे जोमैटो वाले भैया.
उबर-ओला और जोमैटो वाले भैया के लिए गुड न्यूज
- बजट में स्विगी-जमैटो जैसे ऑनलाइन प्लैटफॉर्म से जुड़े एक करोड़ 'गिग' कर्मियों के लिए एक सामाजिक सुरक्षा योजना की घोषणा की गई है.
- सरकार उन्हें पहचान पत्र देगी. इसके साथ इन अस्थायी कर्मियों को ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा भी मिलेगी.
- इस कदम से इन प्लैटफॉर्म के कर्मियों को विभिन्न सरकारी एजेंसियों की सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ उठाने में मदद मिलेगी.
- सीतारमण ने कहा कि सरकार एक करोड़ ‘गिग' श्रमिकों की सहायता के लिए ई-श्रम मंच पर पहचान पत्र और पंजीकरण की व्यवस्था करेगी.
- ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए डिलिवरी सेवाएं प्रदान करने वाले कर्मचारी आदि गिग कर्मियों की श्रेणी में आते हैं.
- इनमें उबर, ओला, स्विगी और जोमैटो जैसे ऑनलाइन मंच से जुड़े लोग शामिल हैं.
- ऐसे कामगारों को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के तहत स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान की जाएंगी.
- इससे करीब एक करोड़ कामगारों को सहायता मिलने की संभावना है.
- अबतक विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों या विभागों की 12 योजनाओं को ई-श्रम पोर्टल के साथ जोड़ा जा चुका है.
- इस घोषणा की सराहना करते हुए भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि गिग और ऑनलाइन प्लैटफॉर्म के जरिए सर्विस देने वाले श्रमिकों के लिए ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण सामाजिक सुरक्षा ढांचे में उनकी पहचान और समावेश सुनिश्चित करेगा
- डेलॉयट इंडिया की कार्यकारी निदेशक दीपिका माथुर ने भी इस कदम का स्वागत किया और कहा कि उनके लिए स्वास्थ्य सुविधा की घोषणा एक सराहनीय कदम है।
बजट 2025-26 पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि शहरी श्रमिकों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए एक योजना लागू की जाएगी. उन्होंने कहा, ‘‘ ऑनलाइन मंच के ‘गिग' वर्कर ‘न्यू एज' सेवा अर्थव्यवस्था को बहुत गतिशीलता प्रदान करते हैं. उनके योगदान को मान्यता देते हुए हमारी सरकार ई-श्रम पोर्टल पर उनके पहचान पत्र और पंजीकरण की व्यवस्था करेगी.''
स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान की जाएंगी
सीतारमण ने कहा कि ऐसे श्रमिकों को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के तहत स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान की जाएंगी और इस उपाय से करीब एक करोड़ श्रमिकों को सहायता मिलने की संभावना है. सरकार अगले तीन वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में ‘डेकेयर' कैंसर केंद्रों की स्थापना की सुविधा भी प्रदान करेगी.
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