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Budget 2025 : मिडिल क्लास को ताकत, बड़े सुधार ... समझिए बजट का 'RRR' वाला सार

संजय पुगलिया ने कहा कि वित्तमंत्री ने जो टर्म यूज किया 'ट्रस्ट फर्स्ट, स्कूटनाइज लेटर' (विश्वास पहले, जांच बांद में) ये अप्रोच है और ये बहुत जरूरी भी है. क्योंकि अगर आप लोगों पर ही विश्वास नहीं करेंगे तो आपको 10 प्रतिशत का ग्रोथ देने वाली और आपको विकसित भारत बनाने वाली एनर्जी कहां से जनरेट होगी.

देश का आम बजट NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के नजरिए से.

नई दिल्ली:

देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया. इस बजट में मिडिल क्लास को बड़ी राहत दी गई है. वित्त मंत्री ने टैक्सपेयर्स के लिए 12 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्‍स में छूट दी है. वित्त मंत्री के इस ऐलान का मिडिल क्लास के लिए क्या मायने हैं और ये बजट देश के लिए कैसा और देश की ग्रोथ पर ये कैसा असर डालेगा, पढ़ें बजट पर NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया का विश्लेषण.

यह RRR वाला बजट है. यह बजट बहुत ही रिस्पॉन्सिबल बजट है, रिफॉर्मिस्ट बजट है और रिवॉल्यूशनरी बजट है. जहां तक देश की इकॉनमी गवर्नेंस और पॉलिटिकल इकोनॉमी का सवाल है या पॉलिटिक्स का सवाल है, तो कह सकते हैं कि आज बिहार के चुनाव का ऐलान हो गया और दिल्ली के बूथ पर कब्जा हो गया. क्योंकि 1997 के बजट के बाद मिडिल क्लास को इतनी बड़ी राहत दी गई है. जिनकी इनकम 12 लाख तक है उनकी इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. ये एक बहुत बड़ी राहत है. वहीं 25 लाख के बाद 30 प्रतिशत का टैक्स लगेगा. ये राहत किसी भी 'रेवड़ी', जो कि गैररेस्पॉन्सिबल तरीका होता है, उससे ज्यादा बड़ा है. 

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बजट में वित्तमंत्री के ऐलान ने बहुत बड़ी आबादी को टैक्स में राहत दी है. इससे दो चीजें होंगी. पहली ये कि कंजप्शन बूस्ट होगा. इसका मतलब होता है कि अब आप इन्वेस्ट करने के लिए प्राइवेट सेक्टर को एक आधार दे रहे हैं कि आइए इन्वेस्ट करिए और क्षमता बढ़ाइए. इससे नौकरियां पैदा होंगी. नौकरियां पैदा होंगी तो आपकी ग्रोथ बढ़ेगी, जो हमारी सबसे बड़ी जरूरत है. बेशक इस बजट से बिहार में चुनाव का ऐलान हो गया है और दिल्ली में 'बूथ कब्जा' हो गया है. दरसअल, बिहार को लेकर बजट में कई गुड न्यूज सामने आई हैं.

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कैपेक्स ज्यादा नहीं बढ़ाया

मैंने इसे RRR इसलिए कहा, क्योंकि यह रिस्पॉन्सिबल इसलिए है कि फिस्कल डेफिसिट के नंबर पर जो वादा था उस पर ये बिल्कुल अड़े हुए हैं और 4.8 से अगले साल के लिए 4.4 का फिस्कल डेफिसिट का टारगेट रखा गया है. सरकारी खर्चा, इन्वेस्टमेंट और ग्रोथ के लिए कैपेक्स थोड़ा बढ़ाया है, हालांकि बहुत ज्यादा नहीं बढ़ाया. ये उनके जिम्मेदाराना व्यवहार के  पैटर्न को बताता है, लगातार वित्त मंत्री इतने सालों में इस पर ध्यान देती आई हैं. पूरी मोदी सरकार फिस्कल प्रूडेंस को लेकर हमेशा बहुत सीरियस रही है.

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दूसरी बड़ी चीज ये है कि पावर हो या माइनिंग या अर्बन इंफ्रास्ट्र्क्चर हो, आप जब इस इकोनॉमिक इंजन को बढ़ाने के लिए सब पर सरकार जोर लगा रही है. उसके अलावा जॉब पैदा करने के लिए जमीनी स्तर पर जो एग्रीकल्चर के लेवल पर और रूरल के लेवल पर काम होना है, उसके बारे में बहुत पॉइंटेड और टारगेटेड स्कीम्स हैं. निजी क्षेत्र में भी निवेश बढ़ेगा. उदाहरण के लिए-100 जिलों में प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना, अब वह एक ऐसा बूस्टर डोज बनेगा, जिसे पूरे देश में लागू किया जाए, टारगेटेड तरीके से काम किया जाए तो उसमें बहुत फर्क पड़ेगा.

तीसरी चीज यह है कि देशी या विदेशी इन्वेस्टमेंट बढ़ाने के लिए कंजप्शन और टैक्स राहत का एक बड़ा आधार बनाकर सरकार ने कंप्लायंस पर, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर बहुत जोर लगाया है. उसमें देशी और विदेशी निवेशकों के लिए कंप्लायंस के बहुत सारे बर्डन हटाने के लिए ऐलान किए गए हैं. KYC के बारे में कहा है कि बहुत जटिलता थी, उससे बहुत दिक्कत होती थी, उसको ये ठीक कर रहे हैं.

बीमा क्षेत्र में 100% FDI

बहुत सारे ऐसे भी क्लॉजेस हैं, जिनका जिक्र वित्त मंत्री ने किया है. जिसका संबंध एफडीआई से होगा, जिससे मल्टीनेशनल कंपनी यहां आकर पैसा लगा सकें. इसी तरह से इन्श्योरेंस में 100 प्रतिशत का एफडीआई 74 से बढ़ाना, ये भी एक बहुत बड़ा कदम है. मैं इसे रिवॉल्यूशनरी इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि ये बजट उस मिडिल क्लास को बहुत एनर्जी देगा, जो इनका बहुत बड़ा वोटर तबका है. 

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मैंने इस बजट को रिस्पॉन्सिबल इसलिए कहा, क्योंकि फिस्कल प्रूडेंस का पूरा ध्यान रखा गया है, ये बड़ी बात है. तीसरा ये बजट रिफॉर्मिस्ट इसलिए है क्योंकि हमेशा हम बात करते थे कि आप लोगों पर ट्रस्ट नहीं करते. शुक्रवार को आए अनंत नागेश्वर के लिखे इकोनॉमिक सर्वे में बहुत ही ग्रेशियस भाषा में सरकारों पर क्रिटिक था कि आप लोगों को ट्रस्ट नहीं करते. आप उन पर जब तक ट्रस्ट नहीं करेंगे रेगुलेशन कम नहीं करेंगे तब तक वो एनर्जी जनरेट नहीं होगी. 

हमें लगता था कि सर्वे में जो कहा जाता था वो बजट में भी आए, ये जरूरी नहीं है, लेकिन इस बजट में सर्वे की बहुत सारी क्रांतिकारी बातों को लागू किया गया है. जो राहत बजट में दी गई है, वह किसी ने सोचा नहीं था.

बजट में मिडल क्लास को ताकत

देश का मिडिल क्लास, व्यापारी, एसएमई या दुकानदार या छोटी कमाई वाले, यही वो लोग हैं जो भारत का ग्रोथ इंजन चलाते हैं. जब इनको एनर्जी दी जाती है तो इसका इंपैक्ट बहुत बड़ा होता है. इस बजट से अगर मैं अपनी उम्मीद की बात करूं तो कल मैं अपने घर में भी कह रहा था कि मैं 10 लाख तक टैक्स में छूट की उम्मीद करता हूं, लेकिन मेरी बहू ने कहा कि उनको 12 लाख की छूट की उम्मीद है. अगर मैंने शर्त लगाई होती तो मैं हार जाता. क्योंकि उनकी 12 लाख की बात सही निकल आई. 1997 के बाद मिडिल क्लास के लिए ये सबसे बड़ी राहत है.

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टैक्स में दी गई छूट कंजप्शन और इनवेस्टमेंट के साइकिल को चलाने के लिए ये एक बहुत बड़ा बूस्टर डोज है. जाहिर है कि इसके पीछे पॉलिटिकल सोच तो हमेशा रहती ही है. किसी भी लोकतंत्र में पॉलिटिकल लीडरशिप का काम है कि अपने लोगों या कहें कि अपने टारगेट ऑडियंस का ध्यान रखना. इसके साथ ही ये पूरे इकोनॉमिक साइकिल के लिए बहुत जरूरी भी है.

भारत के ज्यादातर टैक्सपेयर इस टैक्स रिलीफ कैटेगरी में 

 इस बजट में ये बहुत साफ पता नहीं चलता, लेकिन जितनी ग्लोबल अनिश्चितता है, उसमें इस बात का ध्यान रखा गया है कि बजाय इंटरनल फैक्टर के एक्सटर्नल फैक्टर से हम कितना ग्रो करेंगे. हमारी निर्भरता इंटरनल पर ज्यादा रहे इसके लिए बहुत बड़ा बेस तैयार किया जा रहा है.  ये टैक्स रिलीफ अमाउंट अभी सुनने में भले ही बहुत बड़ा नहीं लग रहा होगा, क्योंकि शहरी लोग ज्यादा सैलरी वाले लोग होंगे, लेकिन भारत के ज्यादातर टैक्सपेयर इसमें आ जाते हैं. इस छूट की वजह से टैक्स बेस भी बढ़ेगा.

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भारत में पर्सनल इनकम टैक्स पहले से ही कॉरपोरेट टैक्स के ऊपर जा चुका है. अभी 12-14 करोड़ के आसपास का जो नंबर है... शुरू में बहुत कम लोग टैक्स देते थे, तब हमारा टैक्स कलेक्शन कितना था और अभी का नंबर देखें तो इसमें बहुत बड़ी बढ़त हुई है. अब लोग ज्यादा टैक्स देने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

टैक्स ने कानूनी पचड़े कम किए

 इकनॉमिक एक्टिविटी में जुटे मध्य वर्ग और सााधारण लोगों पर कंप्लायंस और क्रिमिनल एक्शन की तलवार हमेशा लटकती रहती है . उसके बारे में ये बजट साफ बता रहा है कि करीबन 50 प्रतिशत कंप्लायंस ये हटाने जा रहे हैं और इसके लिए  एक कमीशन बनाया जाएगा, जो इस पर जल्दी फैसला कर लेगा. इसी तरह से अब आप चार साल तक अपना रिटर्न भर सकते हैं और उसको अपडेट कर सकते हैं, ये बहुत बड़ी फ्लेक्सिबिलिटी है.

निर्मला सीतारमण ने जो टर्म यूज किया 'ट्रस्ट फर्स्ट, स्कूटनाइज लेटर' ये अप्रोच है और ये बहुत जरूरी भी है. क्योंकि अगर आप लोगों पर ही विश्वास नहीं करेंगे तो आपको 10 प्रतिशत का ग्रोथ देने वाली और आपको विकसित भारत बनाने वाली एनर्जी कहां से जनरेट होगी.

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