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पेंशन की गारंटी: क्या कांग्रेस के OPS पर नहले पर दहला है मोदी सरकार का UPS?

Unified Pension Scheme: मोदी सरकार ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले UPS की पेशकश की है. वहीं इसी साल महाराष्ट्र और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में बीजेपी को इसका फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.

कांग्रेस के OPS पर कैसे भारी बीजेपी का UPS?

दिल्ली:

कांग्रेस की पुरानी पेंशन योजना यानी कि  OPS को खत्म करने के बाद बीजेपी आलोचना झेल रही थी. लेकिन अब बीजेपी  नहले पर दहला लगाते हुए यूनिफाइड पेंशन स्कीम यानी कि UPS (Unified Pension Scheme) लेकर आई है. कांग्रेस के OPS पर बीजेपी के UPS को नहले पर दहला माना जा रहा है. इसका बीजेपी को फायदा मिल सकता है. देश के दो राज्यों हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं, इससे पहले सरकार की ये पेंशन स्कीम वोटर्स को लुभाने में कुछ हद तक जरूर कामयाब हो सकती है. पुरानी पेंशन योजना (OPS) को खत्म करने के बाद से ही केंद्र सरकार देशभर में आलोचना झेल रही थी. नरेंद्र मोदी सरकार ने शनिवार को यूनिफ़ाइड पेंशन स्कीम या UPS को मंज़ूरी दे दी, जो अगले वित्तवर्ष, यानी वित्तवर्ष 2025-26 से लागू हो जाएगी. 

ये भी पढ़ें-23 लाख सरकारी कर्मचारियों के लिए UPS या NPS में से कौन बेहतर? एक्सपर्ट अजय दुआ ने बताई अपनी राय

OPS-NPS का मिश्रण है UPS

UPS की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) और नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) की चुनिंदा खासियतें भी शामिल हैं. कांग्रेस सरकार में लागू की गई OPS की तरह ही UPS में भी निश्चित पेंशन सुनिश्चित की जाएगी, जिससे कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद आर्थिक परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी.

पेंशन, मुद्रास्फीति इंडेक्सेशन, महंगाई राहत और रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी के अलावा एकमुश्त भुगतान, 50% निश्चित पेंशन वाले UPS की पेशकश कर बीजेपी  सरकारी कर्मचारियों से राजनीतिक फायदे की उम्मीद कर रही है.  दिल्ली में फरवरी में चुनाव होने हैं, ऐसे में सरकारी कैडर बीजेपी के लिए वोट बैंक साबित हो सकता है. 

UPS में क्या मिलेगा?

  • केंद्र सरकार के हर कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद उसके अंतिम 12 माह के वेतन और महंगाई भत्ते के जोड़ के औसत का आधा, यानी 50 फ़ीसदी पेंशन के तौर पर अनिवार्य रूप से दिया जाएगा. 
  • निश्चित पेंशन के अतिरिक्त निश्चित फ़ैमिली पेंशन, निश्चित न्यूनतम पेंशन, मुद्रास्फीति इंडेक्सेशन, महंगाई राहत तथा रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी के अलावा एकमुश्त भुगतान भी मिलेगा.

OPS में क्या था?

  • पुरानी पेंशन योजना, यानी OPS की. OPS के अंतर्गत केंद्र और राज्य कर्मचारियों को उनकी अंतिम बेसिक सैलरी का आधा, यानी 50 फ़ीसदी पेंशन के तौर पर तय था. 
  • महंगाई से राहत के लिए DA को भी इसमें शामिल किया गया था. 
  • यही नियम UPS में भी तय किया गया है. यानी, जब भी सरकार महंगाई भत्ता बढ़ाएगी, रिटायर हो चुके कर्मचारियों की पेंशन भी बढ़ेगी. 
  • OPS के तहत ग्रेच्युटी भी दी जाती थी, जो UPS में भी बरकरार रखी गई है.

OPS पर कांग्रेस ने बीजेपी को खूब घेरा

बता दें कि हालही में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने ओपीएस की बहाली की मांग को बीजेपी को हराने के लिए एक राजनीतिक छड़ी के रूप में इस्तेमाल किया था. हिमाचल में कांग्रेस को इसका खूब फायदा मिला. हालांकि कांग्रेस मध्य प्रदेश में ऐसा करने में कामयाब नहीं हो सकी. मध्य प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों मही चुनावों में बीजेपी को शानदार जीत हासिल हुई. हालांकि लोकसभा चुनावों में यह कोई मुद्दा नहीं था, लेकिन मुखर सरकारी कर्मचारियों के एक वर्ग की नाखुशी साफ दिखाई दी.  कई पर्यवेक्षकों ने अनुमान लगाया कि यह मुद्दा आगामी चुनाव में कारगार साबित हो सकता है. 

UPS का बीजेपी को मिलेगा फायदा?

मोदी सरकार ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले UPS की पेशकश की है. वहीं इसी साल महाराष्ट्र और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में बीजेपी को इसका फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. हालांकि कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में ओपीएस की जोरदार वकालत की थी, लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनावी झटके के बाद वह OPS पर चुप रही और लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में इसका जिक्र तक नहीं किया. 

"OPS पर कांग्रेस ने की भ्रम की राजनीति"

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने योजना पर कैबिनेट के फैसले के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि कैसे कांग्रेस ने OPS को हिमाचल और राजस्थान चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया, लेकिन राज्यों में इसे कभी लागू नहीं किया. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा ही कर्मचारियों के प्रति असंवेदनशील रही है, जो कि हिमाचल और राजस्थान में दिखाई देती है. पार्टी ने दोनों राज्यों में वादे किए लेकिन ओपीएस को लागू नहीं किया. भ्रम पैदा करने की उनकी राजनीति एक बार फिर उजागर हो गई.

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