विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) आज यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) को लेकर लोकसभा (Lok Sabha) में बहस का जवाब देंगे. इस पर चर्चा की शुरुआत आरएसपी सदस्य एनके प्रेमचंद्रन और कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने मंगलवार को की थी. कई दलों के सदस्यों ने यूक्रेन से भारतीय छात्रों को निकालने के प्रयासों के लिए सरकार की सराहना की और भविष्य में उनकी पढ़ाई को लेकर के चिंता भी जताई.
चार केंद्रीय मंत्रियों हरदीप सिंह पुरी, किरेन रिजिजू, ज्योतिरादित्य सिंधिया और जनरल वीके सिंह ने भी बहस में भाग लिया. यह चारों मंत्री भारतीयों की यूक्रेन से सुरक्षित निकासी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष दूत के रूप में यूक्रेन के पड़ोसी देशों में गए थे.
कांग्रेस के सदस्यों ने रूस-यूक्रेन संकट के चलते पैदा हुई भू-राजनीतिक स्थिति में गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत की प्रासंगिकता पर अपनी बात रखी.
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केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कई देशों ने युद्ध के कारण यूक्रेन में अपने मिशन बंद कर दिए हैं और केवल भारत ही है जिसने अंतिम भारतीय नागरिक को वापस लाने तक अपने मिशन पर काम किया."
बहस में भाग लेते हुए नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने भारतीय छात्रों को वापस लाने में सरकार के प्रयास की सराहना की और कहा कि नाटो में शामिल होने के यूक्रेन के कदमों से रूस को "खतरा" महसूस हुआ.
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उन्होंने याद किया कि रूस ने भारत के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जो उन्होंने किसी अन्य देश के साथ नहीं किए. उन्होंने कहा कि भारत इकलौता ऐसा देश था जिसके साथ रूस ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. उस वक्त राजदूत डीपी धर थे. उन्होंने ऐसा समझौता किसी के साथ नहीं किया कि भारत के खिलाफ युद्ध रूस के खिलाफ युद्ध होगा. इसे कभी न भूलें. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि भारत एक तटस्थ देश है और उसने कभी किसी का पक्ष नहीं लिया.
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