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This Article is From Jul 05, 2017

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए जेडीयू का यू-टर्न, विपक्ष का साथ देने की बात कही

राष्ट्रपति चुनाव के मामले में एनडीए के साथ खड़ी जेडीयू अब उपराष्ट्रपति चुनावों में विपक्ष के साथ जाएगी. ये दावा एनडीटीवी से बात करते हुए जेडीयू के महासचिव केसी त्यागी ने कही.

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए जेडीयू का यू-टर्न, विपक्ष का साथ देने की बात कही
जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि उपराष्ट्रपति चुनावों में उनकी पार्टी विपक्ष के साथ जाएगी
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति चुनावों में जेडीयू विपक्ष के साथ रहेगी और विपक्षी दलों की तरफ से सर्वसम्मति से चुने गए उम्मीदवार का समर्थन करेगी. राष्ट्रपति चुनाव के मामले में एनडीए के साथ खड़ी जेडीयू अब उपराष्ट्रपति चुनावों में विपक्ष के साथ जाएगी. ये दावा एनडीटीवी से बात करते हुए जेडीयू के महासचिव केसी त्यागी ने कही.

त्यागी ने कहा, विपक्ष जो भी साझा उम्मीदवार चुने, जेडीयू उसके साथ है. राष्ट्रपति चुनावों में एनडीए के प्रत्याशी का समर्थन करने के फैसले के बाद इसे जेडीयू का यू-टर्न माना जा रहा है. त्यागी ने एनडीटीवी से कहा, 'उप राष्ट्रपति के चुनाव के लिए फिर से उन्हीं 17 पार्टियों की बैठक बुलाकर सबकी सहमति से विपक्ष के उम्मीदवार का चयन होना चाहिए. जेडीयू उप राष्ट्रपति के चुनावों में विपक्ष के साथ रहेगी. नीतीश कुमार ये साफ शब्दों में कह चुके हैं कि राष्ट्रपति चुनावों में एनडीए प्रत्याशी रामनाथ कोविंद की दावेदारी के समर्थन का फैसला एक वन टाइम अफेयर था, एक आइसोलेटेड फैसला था. हम उप राष्ट्रपति के चुनावों में विपक्षी एकता में रोड़ा नहीं बनेंगे.'

जेडीयू की तरफ से ये बयान ऐसे वक्त पर आया है, जब कांग्रेस विपक्षी दलों की तरफ से रखे गए उम्मीदवार के नाम पर विचार के लिए तैयार रहने का संकेत दे रही है. हालांकि राष्ट्रपति चुनावों के दौरान जिस तरह से नीतीश कुमार ने विपक्ष का साथ छोड़ा उससे आपसी विश्वास कमज़ोर ज़रूरी हुआ है. लेफ्ट नेता डी राजा कहते हैं, उम्मीदवार के चुनाव के आखिरी दौर में पार्टी का रुख देखना होगा.

उधर, बीजेपी ने जेडीयू के यू-टर्न पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. बीजेपी नेता सुशील मोदी ने एनडीटीवी से कहा, 'हर पार्टी स्वतंत्र है इस बारे में फैसला करने के लिए...बीजेपी संसदीय दल ने इस बारे में अभी कोई फैसला नहीं किया है. इस पर मैं और कुछ नहीं कहना चाहता हूं.' राष्ट्रपति चुनाव से पहले सबसे पहले नीतीश कुमार ने ही विपक्षी एकता की बात की थी। अब फिर उन्हीं की पार्टी यही बात दुहरा रही है. सवाल है, राष्ट्रपति चुनाव पर पलटी मार कर उन्होंने जो भरोसा खोया है, क्या उसकी भरपाई इस नए एलान से होगी?

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