सुप्रीम कोर्ट के दबाव में गुजरात पुलिस के दो अफसर इस्तीफा देने के लिए तैयार हो गए हैं.
नई दिल्ली:
गुजरात के पुलिस अफसर एनके अमीन और तरुण बारोट सुप्रीम कोर्ट के दबाव के चलते इस्तीफा देंगे. उन दोनों की रिटायरमेंट के बाद नियुक्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. दोनों अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वे आज ही अपने पद से इस्तीफा देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने पीपी पांडे का हवाला देते हुए दोनों से उनका रुख पूछा था.
गुजरात में पुलिस अफसर एनके अमीन और तरुण बारोट को रिटायरमेंट के बाद नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से मामले में फैसला लेने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अफसरों से भी खुद फैसला कर गुरुवार को कोर्ट में बताने को कहा था कि वे खुद पद छोड़ना चाहते हैं या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूर्व आईपीएस अफसर पीपी पांडे मामले की तरह इस केस में भी फैसला लिया जाए. कोर्ट यह नहीं कह रहा कि वे दूसरे मामलों में जेल गए थे लेकिन अफसरों को इस पर सोचना चाहिए. उनके जवाब के बाद ही कोर्ट इस मामले में दखल देगा.
वहीं गुजरात सरकार की ओर से एएसजी तुषार मेहता ने कहा कि दोनों अच्छे अफसर हैं इसलिए उन्हें रिटायरमेंट के बाद कान्ट्रेक्ट पर रखा गया है. यह नियुक्तियां नियम के तहत ही हुई हैं और दूसरे राज्यों में भी ऐसी नियुक्तियां होती हैं.
यह भी पढ़ें : सेवानिवृत्त 2 आईपीएस अधिकारियों को नियुक्ति देने का मामला, SC ने कहा- फैसला ले गुजरात सरकार
दरअसल 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार को नोटिस भेजकर दो हफ्ते में जवाब मांगा था. अमीन इशरत जहां एनकाउंटर में आरोपी हैं. सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में भी वे आरोपी थे लेकिन कोर्ट से आरोपमुक्त हो चुके हैं.
पूर्व आईपीएस अफसर राहुल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि गुजरात सरकार ने अगस्त 2016 में रिटायरमेंट के बाद अमीन को तापी का एसपी बनाया है. तरुण बारोट सादिक जमाल और इशरत जहां केस में आरोपी रहे हैं लेकिन सरकार ने उन्हें रेलवे में डिप्टी एसपी बनाया है. दोनों की नियुक्तियां रद्द की जानीं चाहिए.
गौरतलब है कि गुजरात में आईपीएस पीपी पांडे को एक्सटेंशन देकर कार्यकारी डीजीपी बनाने का मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. इस साल तीन अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पीपी पांडे गुजरात के कार्यकारी डीजीपी पद से तुरंत मुक्त होंगे. गुजरात सरकार उन्हें दिए गए एक्सटेंशन को वापस लेने का नोटिफिकेशन जारी करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा किया था.
यह भी पढ़ें : गुजरात के बिलकिस बानो रेप केस में सुप्रीम कोर्ट आरएस भगोरा की याचिका खारिज की, सजा बरकरार
इशरत जहां केस में आरोपी पीपी पांडे के बारे में गुजरात सरकार ने कोर्ट में बताया कि पीपी पांडे ने खुद ही सरकार को लिखा है कि वे पद छोड़ना चाहते हैं. सरकार चाहती थी कि वे छह महीने तक पद पर रहें लेकिन केंद्र ने उन्हें 30 अप्रैल तक ही एक्सटेंशन दिया है. इशरत केस में अभी चार्जशीट फाइल हुई है चार्ज फ्रेम नहीं हुए. वे गवाहों या सबूतों को प्रभावित नहीं कर सकते. इसलिए उन्हें 30 अप्रैल को रिटायर होने दिया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे पहले ही रिटायर हो चुके हैं. यह सिर्फ एक्सटेंशन है.
रिटायर्ड आईपीएस अफसर जूलियो रिबेरो की याचिका में कहा गया था कि पीपी पांडे इशरत जहां समेत कई केस में आरोपी रहे हैं लेकिन सरकार ने उन्हें रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन देकर गुजरात का कार्यकारी डीजीपी बना दिया है. इससे तमाम केसों की जांच के वे प्रभारी हो गए हैं और केसों में गवाही देने वाले पुलिस वालों के मुखिया हो गए हैं. ऐसे में वे केसों को प्रभावित करेंगे. इसलिए उनको पद से हटाया जाए.
VIDEO : मोदी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले की पेशी
पिछले साल मई में गुजरात सरकार के चार हत्या के आरोप झेल रहे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी पीपी पांडे को गुजरात राज्य का कार्यकारी पुलिस महानिदेशक बनाने के फैसले के खिलाफ सेवानिवृत्त अधिकारी जूलियो फ्रांसिस रिबेरो ने गुजरात हाईकोर्ट में भी चुनौती दी थी और यह नियुक्ति निरस्त करने की मांग की थी. हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी.
गुजरात में पुलिस अफसर एनके अमीन और तरुण बारोट को रिटायरमेंट के बाद नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से मामले में फैसला लेने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अफसरों से भी खुद फैसला कर गुरुवार को कोर्ट में बताने को कहा था कि वे खुद पद छोड़ना चाहते हैं या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूर्व आईपीएस अफसर पीपी पांडे मामले की तरह इस केस में भी फैसला लिया जाए. कोर्ट यह नहीं कह रहा कि वे दूसरे मामलों में जेल गए थे लेकिन अफसरों को इस पर सोचना चाहिए. उनके जवाब के बाद ही कोर्ट इस मामले में दखल देगा.
वहीं गुजरात सरकार की ओर से एएसजी तुषार मेहता ने कहा कि दोनों अच्छे अफसर हैं इसलिए उन्हें रिटायरमेंट के बाद कान्ट्रेक्ट पर रखा गया है. यह नियुक्तियां नियम के तहत ही हुई हैं और दूसरे राज्यों में भी ऐसी नियुक्तियां होती हैं.
यह भी पढ़ें : सेवानिवृत्त 2 आईपीएस अधिकारियों को नियुक्ति देने का मामला, SC ने कहा- फैसला ले गुजरात सरकार
दरअसल 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार को नोटिस भेजकर दो हफ्ते में जवाब मांगा था. अमीन इशरत जहां एनकाउंटर में आरोपी हैं. सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में भी वे आरोपी थे लेकिन कोर्ट से आरोपमुक्त हो चुके हैं.
पूर्व आईपीएस अफसर राहुल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि गुजरात सरकार ने अगस्त 2016 में रिटायरमेंट के बाद अमीन को तापी का एसपी बनाया है. तरुण बारोट सादिक जमाल और इशरत जहां केस में आरोपी रहे हैं लेकिन सरकार ने उन्हें रेलवे में डिप्टी एसपी बनाया है. दोनों की नियुक्तियां रद्द की जानीं चाहिए.
गौरतलब है कि गुजरात में आईपीएस पीपी पांडे को एक्सटेंशन देकर कार्यकारी डीजीपी बनाने का मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. इस साल तीन अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पीपी पांडे गुजरात के कार्यकारी डीजीपी पद से तुरंत मुक्त होंगे. गुजरात सरकार उन्हें दिए गए एक्सटेंशन को वापस लेने का नोटिफिकेशन जारी करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा किया था.
यह भी पढ़ें : गुजरात के बिलकिस बानो रेप केस में सुप्रीम कोर्ट आरएस भगोरा की याचिका खारिज की, सजा बरकरार
इशरत जहां केस में आरोपी पीपी पांडे के बारे में गुजरात सरकार ने कोर्ट में बताया कि पीपी पांडे ने खुद ही सरकार को लिखा है कि वे पद छोड़ना चाहते हैं. सरकार चाहती थी कि वे छह महीने तक पद पर रहें लेकिन केंद्र ने उन्हें 30 अप्रैल तक ही एक्सटेंशन दिया है. इशरत केस में अभी चार्जशीट फाइल हुई है चार्ज फ्रेम नहीं हुए. वे गवाहों या सबूतों को प्रभावित नहीं कर सकते. इसलिए उन्हें 30 अप्रैल को रिटायर होने दिया जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे पहले ही रिटायर हो चुके हैं. यह सिर्फ एक्सटेंशन है.
रिटायर्ड आईपीएस अफसर जूलियो रिबेरो की याचिका में कहा गया था कि पीपी पांडे इशरत जहां समेत कई केस में आरोपी रहे हैं लेकिन सरकार ने उन्हें रिटायरमेंट के बाद एक्सटेंशन देकर गुजरात का कार्यकारी डीजीपी बना दिया है. इससे तमाम केसों की जांच के वे प्रभारी हो गए हैं और केसों में गवाही देने वाले पुलिस वालों के मुखिया हो गए हैं. ऐसे में वे केसों को प्रभावित करेंगे. इसलिए उनको पद से हटाया जाए.
VIDEO : मोदी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले की पेशी
पिछले साल मई में गुजरात सरकार के चार हत्या के आरोप झेल रहे भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी पीपी पांडे को गुजरात राज्य का कार्यकारी पुलिस महानिदेशक बनाने के फैसले के खिलाफ सेवानिवृत्त अधिकारी जूलियो फ्रांसिस रिबेरो ने गुजरात हाईकोर्ट में भी चुनौती दी थी और यह नियुक्ति निरस्त करने की मांग की थी. हालांकि गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं