टीएसआर सुब्रमनियम और कपिल सिब्बल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
गुरुवार को संसद में बहस के दौरान पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को बेकार बताते हुए सरकार से उसे कूड़े में फेंक देने को कहा. इसके जवाब में इस ड्राफ्ट को तैयार करने वाले पूर्व ब्यूरोक्रेट टीएसआर सुब्रमनियन ने कहा इस हिसाब से तो कपिल सिब्बल को मंत्री ही नहीं बनना चाहिए था.
सुब्रमनियम कमेटी पर कई सांसदों ने उठाया सवाल
संसद में नई शिक्षा नीति के प्रारूप पर चर्चा करते हुए सिब्बल ने एक्सिस (यानि शिक्षा तक पहुंच), क्वॉलिटी (गुणवत्ता) और इक्विटी (सबको शिक्षा में बराबरी) के महत्व पर जोर दिया और कहा कि सुब्रमनियन कमेटी के बनाए ड्राफ्ट में इन तीनों ही बातों में से कुछ भी नहीं है. सिब्बल ने शिक्षा मंत्री जावड़ेकर से कहा, “इस ड्राफ्ट को कूड़ेदान में फेंक दीजिए और नए सिरे से शुरुआत कीजिए.” सुब्रमनियम कमेटी पर कई अन्य सांसदों ने भी सवाल उठाया और कहा कि इस कमेटी में कोई शिक्षाविद या जानकार नहीं था।
क्या कोई सब कुछ जान सकता है?
इसके जवाब में टीएसआर सुब्रमनियन ने कहा कि पूर्व शिक्षा मंत्री को इस तरह का बयान शोभा नहीं देता. जिस तरह की बात उन्होंने की है उस तर्क से उन्हें खुद शिक्षा मंत्री नहीं होना चाहिए था. एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए सुब्रमनियन ने कहा “क्या कोई राजनीति में पूरी तरह से निपुण है. क्या कोई संस्कृति के मामले में सब जानता है. शिक्षा में चार सौ से अधिक शाखाएं हैं. क्या ऐसा हो सकता है कि कोई आदमी सब कुछ जानता हो. इस हिसाब से तो उन्हें (सिब्बल) को मंत्री नहीं होना चाहिए था.”
छात्र, टीचर और स्कूल सबसे महत्वपूर्ण
सुब्रमनियन ने कहा कि कई सासंदों ने बहस के दौरान अच्छे सुझाव दिए लेकिन लगता था कि कई सांसदों ने ठीक से शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को नहीं पढ़ा. सुब्रमनियन ने कहा, “हमने यूपीए सरकार के वक्त लाई गई राइट टू एजुकेशन की तारीफ की है और कहा है कि इससे शिक्षा तक लोगों की पहुंच बढ़ी. लेकिन हर 10 साल में शिक्षा नीति का रिव्यू किया जाना जरूरी है. कार्यान्वयन में बदलाव किए जाने की जरूरत है. अगर कोई हमारी शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को पढ़ेगा तो देखेगा कि इनक्लूसिव एजुकेशन रिपोर्ट की थीम है. हमने कहा है कि छात्र, टीचर और स्कूल सबसे महत्वपूर्ण हैं.”
वैसे संसद में बहस के दौरान बीजेपी की ओर से बोलते हुए सांसद भूपेंद्र यादव ने सिब्बल के जवाब में कहा कि इस तरह से किसी नीति को कूड़ेदान में फेंक देने का बात करना ठीक नहीं है. उस पर बहस होनी चाहिए और सुझाव दिए जाने चाहिए.
प्रकाश जावड़ेकर कल देंगे जवाब
उधर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री शुक्रवार को शिक्षा नीति पर बहस का जवाब देंगे. उन्होंने संसद में बहस के दौरान संक्षिप्त टिप्पणी करते हुए यह जरूर कहा कि शिक्षा नीति पर यह मसौदा कैबिनेट ने पास नहीं किया है बल्कि सरकार अभी इस पर सबकी राय ले रही है. जावड़ेकर ने कहा संसद में इस नीति पर बहस करने का मकसद सबकी राय लेना ही है.
कांग्रेस, बीजेपी, सीपीएम, तृणमूल, समाजवादी पार्टी और जेडीयू समेत तमाम दलों के सांसद शिक्षा के निजीकरण और भगवाकरण जैसे मुद्दों पर बोले. केंद्र सरकार पर पिछले दिनों पाठ्य पुस्तकों के भगवाकरण और शिक्षा नीति पर आरएसएस के दखल और नियंत्रण के आरोप लगे हैं. इसके जवाब में सरकार कहती रही है कि वह सभी मत के लोगों से बात कर रही है.
सुब्रमनियम कमेटी पर कई सांसदों ने उठाया सवाल
संसद में नई शिक्षा नीति के प्रारूप पर चर्चा करते हुए सिब्बल ने एक्सिस (यानि शिक्षा तक पहुंच), क्वॉलिटी (गुणवत्ता) और इक्विटी (सबको शिक्षा में बराबरी) के महत्व पर जोर दिया और कहा कि सुब्रमनियन कमेटी के बनाए ड्राफ्ट में इन तीनों ही बातों में से कुछ भी नहीं है. सिब्बल ने शिक्षा मंत्री जावड़ेकर से कहा, “इस ड्राफ्ट को कूड़ेदान में फेंक दीजिए और नए सिरे से शुरुआत कीजिए.” सुब्रमनियम कमेटी पर कई अन्य सांसदों ने भी सवाल उठाया और कहा कि इस कमेटी में कोई शिक्षाविद या जानकार नहीं था।
क्या कोई सब कुछ जान सकता है?
इसके जवाब में टीएसआर सुब्रमनियन ने कहा कि पूर्व शिक्षा मंत्री को इस तरह का बयान शोभा नहीं देता. जिस तरह की बात उन्होंने की है उस तर्क से उन्हें खुद शिक्षा मंत्री नहीं होना चाहिए था. एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए सुब्रमनियन ने कहा “क्या कोई राजनीति में पूरी तरह से निपुण है. क्या कोई संस्कृति के मामले में सब जानता है. शिक्षा में चार सौ से अधिक शाखाएं हैं. क्या ऐसा हो सकता है कि कोई आदमी सब कुछ जानता हो. इस हिसाब से तो उन्हें (सिब्बल) को मंत्री नहीं होना चाहिए था.”
छात्र, टीचर और स्कूल सबसे महत्वपूर्ण
सुब्रमनियन ने कहा कि कई सासंदों ने बहस के दौरान अच्छे सुझाव दिए लेकिन लगता था कि कई सांसदों ने ठीक से शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को नहीं पढ़ा. सुब्रमनियन ने कहा, “हमने यूपीए सरकार के वक्त लाई गई राइट टू एजुकेशन की तारीफ की है और कहा है कि इससे शिक्षा तक लोगों की पहुंच बढ़ी. लेकिन हर 10 साल में शिक्षा नीति का रिव्यू किया जाना जरूरी है. कार्यान्वयन में बदलाव किए जाने की जरूरत है. अगर कोई हमारी शिक्षा नीति के ड्राफ्ट को पढ़ेगा तो देखेगा कि इनक्लूसिव एजुकेशन रिपोर्ट की थीम है. हमने कहा है कि छात्र, टीचर और स्कूल सबसे महत्वपूर्ण हैं.”
वैसे संसद में बहस के दौरान बीजेपी की ओर से बोलते हुए सांसद भूपेंद्र यादव ने सिब्बल के जवाब में कहा कि इस तरह से किसी नीति को कूड़ेदान में फेंक देने का बात करना ठीक नहीं है. उस पर बहस होनी चाहिए और सुझाव दिए जाने चाहिए.
प्रकाश जावड़ेकर कल देंगे जवाब
उधर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री शुक्रवार को शिक्षा नीति पर बहस का जवाब देंगे. उन्होंने संसद में बहस के दौरान संक्षिप्त टिप्पणी करते हुए यह जरूर कहा कि शिक्षा नीति पर यह मसौदा कैबिनेट ने पास नहीं किया है बल्कि सरकार अभी इस पर सबकी राय ले रही है. जावड़ेकर ने कहा संसद में इस नीति पर बहस करने का मकसद सबकी राय लेना ही है.
कांग्रेस, बीजेपी, सीपीएम, तृणमूल, समाजवादी पार्टी और जेडीयू समेत तमाम दलों के सांसद शिक्षा के निजीकरण और भगवाकरण जैसे मुद्दों पर बोले. केंद्र सरकार पर पिछले दिनों पाठ्य पुस्तकों के भगवाकरण और शिक्षा नीति पर आरएसएस के दखल और नियंत्रण के आरोप लगे हैं. इसके जवाब में सरकार कहती रही है कि वह सभी मत के लोगों से बात कर रही है.
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