नई दिल्ली: त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के लिए चुनावी बिगुल बच चुका है. चुनाव आयोग ने तीनों राज्यों में विधानसभा चुनावों के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है. त्रिपुरा में 16 फरवरी, मेघालय और नागालैंड में 27 फरवरी को चुनाव होगा. तीनों राज्यों में 2 मार्च को मतगणना को होगी. त्रिपुरा में भाजपा की सरकार है और मुख्यमंत्री हैं मुख्यमंत्री डॉ. माणिक साहा. माणिक साहा वर्ष 2016 में कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. वह भाजपा के के प्रदेश अध्यक्ष रहे और राज्यसभा के लिए भी मनोनीत हुए हैं. बेदाग छवि के माणिक साहा पेशे से डेंटिस्ट हैं. त्रिपुरा में भाजपा ने पिछले चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. ऐसे में पार्टी के सामने फिर बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव जरूर होगा. नागालैंड में पिछले विधानसभा चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिला था. बाद में भाजपा और एनडीपीपी ने जनता दल यूनाइटेड और कुछ अन्य दलों के सहयोग से राज्य में सरकार बनाई. मेघालय के पिछले चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था. कांग्रेस 21 सीट पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन वह बहुमत से दूर रह गई. ऐसे में तीनों राज्यों में कड़ी चुनावी जंग देखने को मिलेगी.
त्रिपुरा में भाजपा ने पिछले चुनाव में दर्ज की थी ऐतिहासिक जीत
त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 15 मार्च को समाप्त हो रहा है. कुमार ने बताया कि त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 21 जनवरी को जारी होगी और नामांकन की आखिरी तारीख 30 जनवरी होगी. उन्होंने कहा कि नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख दो फरवरी होगी और मतदान 16 फरवरी को होगा तथा दो मार्च को मतों की गिनती की जाएगी. त्रिपुरा में मतदाताओं की कुल संख्या 28,13,478 है. वर्तमान में वहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) की गठबंधन सरकार है. राज्य विधानसभा में वर्तमान में सदस्यों की कुल संख्या 53 है, जबकि सात सीट रिक्त हैं. इनमें भाजपा के 33, आईपीएफटी के चार, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के 15 और कांग्रेस का एक सदस्य शामिल है. भाजपा और आईपीएफटी ने इस बार साथ मिलकर लड़ने की घोषणा की है, जबकि कांग्रेस और माकपा ने चुनावी गठबंधन किया है. पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस भी चुनाव में ताल ठोंकने को तैयार है. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने त्रिपुरा में ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 25 सालों से सत्ता पर काबिज माकपा को बाहर का रास्ता दिखा दिया था. भाजपा ने राज्य की 60 में से 35 सीट पर जीत दर्ज की थी और आईपीएफटी ने आठ सीट पर जीत हासिल की थी, जबकि माकपा 16 सीट पर सिमट गई थी. इस चुनाव के बाद भाजपा ने आईपीएफटी के साथ राज्य में सरकार बनाई और बिप्लब कुमार देब राज्य के मुख्यमंत्री बने. पिछले साल मई महीने में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने देब को मुख्यमंत्री पद से हटाने का फैसला किया और उनकी जगह माणिक साह को राज्य की कमान सौंपी.
नागालैंड में इस बार में चुनाव में भाजपा और एनडीपीपी साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे
नागालैंड की 60 सदस्यीय विधानसभा का कार्यकाल 12 मार्च को समाप्त हो रहा है. राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या 13,09,651 है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि नागालैंड विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 31 जनवरी को जारी होगी और नामांकन की आखिरी तारीख सात फरवरी होगी, जबकि नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 10 फरवरी होगी. उन्होंने बताया कि मतदान 27 फरवरी को होगा तथा दो मार्च को मतों की गिनती की जाएगी. नागालैंड में वर्तमान में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) सत्ता में है. वर्तमान में राज्य विधानसभा में कुल 59 सदस्य हैं। इनमें एनडीपीपी के 41, भाजपा के 12, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के चार, तथा दो निर्दलीय सदस्य हैं, जबकि एक सीट फिलहाल रिक्त है. पिछले विधानसभा चुनाव में नागालैंड में किसी दल को बहुमत नहीं मिला था. पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग के नेतृत्व वाला एनपीएफ 26 सीटों पर जीत हासिल कर सबसे बड़े दल के रूप में उभरा. इस चुनाव में वरिष्ठ नेता नेफियू रियो के नेतृत्व वाले एनडीपीपी को 17 और भाजपा को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई. बाद में भाजपा और एनडीपीपी ने जनता दल यूनाइटेड और कुछ अन्य दलों के सहयोग से राज्य में सरकार बनाई और नेफियू रियो चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. इस बार में चुनाव में भाजपा और एनडीपीपी साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे.
मेघालय में एनपीपी और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ने की घोषणा
वर्तमान में मेघालय विधानसभा में कुल 42 सदस्य हैं, जबकि 18 सीट अभी रिक्त हैं. इनमें एनपीपी के 20, यूडीपी के आठ, तृणमूल कांग्रेस के आठ, पीडीएफ और भाजपा के दो-दो, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का एक ओर एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं. मेघालय के पिछले चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था. कांग्रेस 21 सीट पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन वह बहुमत से दूर रह गई. कॉनराड संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी 19 सीट पर जीत के साथ दूसरे नंबर पर थी. प्रदेश की यूडीपी के छह सदस्य चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. इसी प्रकार राज्य की पीडीएफ को चार सीट पर जीत मिली थी और भाजपा तथा एचएसपीडीपी को दो-दो सीट पर सफलता मिली थी. चुनावी नतीजों के बाद संगमा ने भाजपा, यूडीपी, पीडीएफ, एचपीपीडीपी और एक निर्दलीय के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार बनाई और वह राज्य के मुख्यमंत्री बने. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में एनपीपी और भाजपा के बीच गठबंधन था. इस बार के चुनाव में एनपीपी और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ने की घोषणा की है.
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