सुप्रीम कोर्ट ने किन्नरों को समान अधिकार देने पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले के तहत अब पुरुष-महिला के अलावा किसी भी सरकारी दस्तावेज में तीसरा खांचा किन्नरों के लिए रखना होगा।
लिंग बताने के लिए या जेंडर बताने के लिए तीसरी कैटेगरी भी होगी, जो केंद्र और राज्य सरकारों को लागू करना होगा। साफ है कि अब महिला, पुरुष और किन्नर नाम की तीन कैटगरी होंगी।
इस फैसले के बाबत सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस दिया है। अक्तूबर 2012 में नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और अपील की थी कि देश में किन्नरों को समान अधिकार और सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
इसके तहत मतदाता पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस, राशन कार्ड के अलावा शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों आदि में तीसरे वर्ग को शामिल करने और शौचालयों में जाने की अनुमति जैसी मांग रखी गई है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई पूरी हो गई थी और 29 अक्तूबर 2013 को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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