ट्रांसपोर्टरों ने डीजल की कीमत में कटौती की रखी मांग, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में कमी का दिया हवाला

अर्थशास्त्री वेद जैन कहते हैं कि 7 फ़ीसदी की खुदरा महंगाई दर आम आदमी के लिए काफी ज्यादा है. जुलाई में जब महंगाई दर नीचे आयी तो लगा कि सरकार ने जो कदम उठाये हैं वो कामयाब होंगे.

ट्रांसपोर्टरों ने डीजल की कीमत में कटौती की रखी मांग, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में कमी का दिया हवाला

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत कम होने के बाद भारत में भी डीजल के दाम कम करने की मांग.

नई दिल्ली:

देश में इस साल अगस्त महीने में खुदरा महंगाई दर बढ़कर फिर 7% पर पहुंच गई है. इसकी वजह से ट्रांसपोर्टर तनाव में हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से एक समय डीजल और गैस काफी महंगे हो गए थे, जिस वजह से उनका इनपुट कॉस्ट काफी बढ़ गया, लेकिन बाजार में आपसी कंपटीशन की वजह से वो किराया भाड़ा नहीं बढ़ा पाए. अब ट्रांसपोर्टरों की मांग है कि अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चा तेल सस्ता होने के बाद तेल कंपनियां डीजल की कीमतें घटाएं.

अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट को देखते हुए ट्रांसपोर्टरों की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने तेल कंपनियों से डीजल की कीमतें घटाने की मांग की है. ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि अगर डीज़ल सस्ता होता है तो खुदरा महंगाई दर को नियंत्रित करना भी आसान होगा.

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष कुलतरण अटवाल ने एनडीटीवी से कहा, "आज महंगाई दर काफी बढ़ चुकी है. अगर तेल सस्ता होता है तो इसका सीधा लाभ आम जनता को मिलेगा. ट्रांसपोर्टरों का खर्चा कम होगा, क्योंकि हमारे बिज़नेस का 70% ऑपरेशनल खर्च डीज़ल पर होता है. देश में महंगाई का डीजल एक अहम कारण है."

दरअसल अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चे तेल की कीमतें पिछले करीब 7 महीने के सबसे निचले स्तर के आसपास पहुंच चुकी हैं. मंगलवार को ये घटकर 92 डॉलर के आसपास रहीं. तेल और गैस महंगा होने से सबसे ज्यादा असर छोटे ट्रांसपोर्टरों पर पड़ा है. कमला मार्केट की साहनी मोटर ट्रांसपोर्ट के अनिल गिरी कहते हैं कि डीजल गाड़ियों पर ग्रीन टैक्स और टोल टैक्स ने ट्रांसपोर्टरों पर आर्थिक बोझ बढ़ा दिया है.

उन्होंने कहा, "कस्टमर भागते हैं कि ट्रांसपोर्ट का रेट ज्यादा है, लेकिन वो ये नहीं सोचते की ट्रांसपोर्टर क्यों रेट ज्यादा ले रहे हैं. डीजल की महंगाई हो गई है. टोल टैक्स बढ़ गया है. ड्राइवर-कंडक्टर्स का खर्चा है. कोई ट्रांसपोर्टरों का सुनने वाला नहीं है. डीजल कुछ सस्ता किया जाता है तो राहत मिलेगी."
वहीं उनके साथी ट्रांसपोर्टर सुमित राघव ने कहा, "बाजार में कंपटीशन की वजह से हम किराया भाड़ा नहीं बढ़ा पा रहे हैं, जबकि हमारा इनपुट कॉस्ट बढ़ता जा रहा है. तेल कंपनियों को डीजल सस्ता करना चाहिए."

अर्थशास्त्री वेद जैन कहते हैं कि 7 फ़ीसदी की खुदरा महंगाई दर आम आदमी के लिए काफी ज्यादा है. जुलाई में जब महंगाई दर नीचे आयी तो लगा कि सरकार ने जो कदम उठाये हैं वो कामयाब होंगे. लेकिन महंगाई फिर से बढ़ने का मतलब है सरकार को नए कदम उठाने होंगे.

अर्थशास्त्री वेद जैन ने एनडीटीवी से कहा, "आज कच्चा तेल 92-93 डॉलर की रेट पर पहुंच गया है. रूस से सस्ता कच्चा तेल भारत को मिल रहा है. महंगाई को कंट्रोल करने के लिए सरकार को सोचना चाहिए कि डीजल की कीमतें घटाई जाएं. डीजल एक बहुत बड़ा कंपोनेंट है महंगाई इंडेक्स में."

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

ज़ाहिर है, महंगाई के मोर्चे पर फिर चुनौती बड़ी हो रही है और इससे निपटने के लिए भारत सरकार को RBI के साथ मिलकर इससे नियंत्रित करने के लिए जल्दी पहल करनी होगी.