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This Article is From Aug 04, 2022

GST के नियमों को ही जीएसटी से बचने के तरीके के रूप में व्‍यापारी कर रहे इस्‍तेमाल

केंद्र सरकार ने 18 जुलाई से अनाज, दाल और खाने पीने के अनब्रांडेड पैकिंग वाले सामान पर भी 5 फीसदी GST लगा दिया है.

GST के नियमों को ही जीएसटी से बचने के तरीके के रूप में व्‍यापारी कर रहे इस्‍तेमाल
प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:

देश में बढ़ती महंगाई के कारण लोग परेशान हैं. उस पर केंद्र सरकार ने पिछले महीने से अनाज, दाल और खाने-पीने की अन दूसरी चीजों पर 5 फीसदी जीएसटी लगा दिया है. इससे कीमतों के एक बार फिर बढ़ने की आशंका जताई जा रही थी, हालांकि व्‍यापारियों ने इससे बचने के लिए तरीके इजाद कर लिए हैं दरअसल, व्‍यापारी जीएसटी के नियमों को ही जीएसटी से बचने के तरीके के रूप में इस्‍तेमाल कर रहे हैं. 

केंद्र सरकार ने 18 जुलाई से अनाज, दाल और खाने पीने के अनब्रांडेड पैकिंग वाले सामान पर भी 5 फीसदी GST लगा दिया है. नियम में यह बताया गया था कि यह GST 25 किलो तक की पैकिंग पर ही लागू होगी. इससे बचने के लिए व्‍यापारियों ने अब व्‍यापारियों ने यह सामान 26 किलो और 30 किलो की पैकिंग में बेचना शुरू कर दिया है.  

इन सामानों के देश के सबसे बड़े होलसेल मार्केट दिल्‍ली के व्‍यापारियों का कहना है कि गली-मोहल्‍लों में माल बेचने वाले दुकानदार 25 किलो तक का कट्टा ले जाया करते थे. हालांकि अब जीएसटी न देना पड़े, इसलिए 26 किलो का कट्टा ले जा रहे हैं. 25 किलो के कट्टे में ही एक किलो बढ़ा दिया है. व्‍यापारियों का कहना है कि उनके पास आने वाले छोटे दुकानदारों को बिना जीएसटी का माल चाहिए होता है. 

व्‍यापारियों ने कहा कि सबसे ज्‍यादा 25 किलो का कट्टा बिकता था, जिससे वह अब 26 किलो में बदल दिया है. वहीं कुछ व्‍यापारियों ने 25 किलो के कट्टे को 30 किलो का बना दिया है.  

कुछ व्‍यापारियों ने कहा कि हम जीएसटी लगाकर अपने ग्राहकों को देना चाहते थे, लेकिन उनके पास आने वाले ग्राहक कहते हैं कि उन्‍हें बाजार में बिना जीएसटी के सामान मिल रहा है तो हम आपसे क्‍यों लें. 

दिल्‍ली ग्रीन मर्चेंट एसोसिएशन के सचिव सचिन शर्मा ने कहा कि हमें ग्राहक के अनुसार चलना पड़ता है. उन्‍होंने कहा कि पांच फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला गलत है. हम अब 25 किलो से ज्‍यादा की पैकिंग की ओर शिफ्ट हो रहे हैं, क्‍योंकि हमारा ग्राहक ये मांग रहा है. उन्‍होंने कहा कि जीएसटी लगने से एक-एक गाड़ी में 10-10 लाख रुपये का अंतर आ गया है.
 

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