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टॉर्चर, थर्ड डिग्री की यातना: पुलिस कस्टडी में मौत जेलर-टीआई समेत 8 पर FIR दर्ज

पूरे मामले में एक थाना प्रभारी, उपनिरीक्षक, 2 सहायक उप निरीक्षक सहित जेलर और डॉक्टर के खिलाफ कोर्ट ने हत्या के साक्ष्य मिटाने का समेत अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया कर लिया है.

टॉर्चर, थर्ड डिग्री की यातना: पुलिस कस्टडी में मौत जेलर-टीआई समेत 8 पर FIR दर्ज
नई दिल्ली:

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में साल 2015 में पुलिस हिरासत में 22 साल के मोहसिन नाम के युवक की मौत के मामले में भोपाल जिला कोर्ट ने तत्कालीन जेलर,थाना प्रभारी, डॉक्टर और क्राइम ब्रांच के पांच सिपाहियों समेत कुल 8 लोगों पर हत्या की साजिश रचने, सबूत छिपाने की धाराओं में FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं, मोहसिन के मौत के मामले में कोर्ट के आदेश से पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.

क्या है पूरा मामला?

9 साल पहले चैन स्नेचिंग के आरोप में क्राइम ब्रांच बेटे मोहसिन को पूछताछ के लिए लेकर गई थी, बाद में टीटी नगर थाने के हवाले कर दिया गया. उसके बाद मोहसिन के साथ जो हुआ, उसे जानकर किसी के भी रोंगटें खड़े हो जाएंगे.

  1. वहां पुलिस ने थर्ड डिग्री टॉर्चर किया.
  2. मोहसिन को हेलमेट पहनाकर करंट के झटके दिए.
  3. हाथ पैर बांध कर थाने में बैठाया.
  4. आरोप लगे कि पुलिस ने परिजनों से 2 लाख रुपये की मांग की थी.
  5. बात नहीं बनी तो झूठे केस में फंसाया गया औऱ न्यायालय में पेश कर मोहसिन को जेल भेज दिया गया.
  6. जेल में भी मोहसिन को बेरहमी से पीटा गया..
  7. भोपाल जेल में ही मोहसिन की मौत हो गई.
  8. ये सब कोर्ट के फैसले में लिखा है.

ज़रा सोचिये जिस शख्स पर चेन स्नैचिंग का आरोप था बात में उसे मानसिक रूप से विक्षिप्त बताया गया. सोचने वाली बात तो यही है कि जो शख्स पागल है वो अपराधी नहीं होगा, और अगर वो चेन स्नेचर है तो जेल पहुंचने तक पागल नहीं हो जाएगा.

डॉक्टरों ने फर्जी रिपोर्ट भी बनाई, मृतक मोहसिन को ट्रेन से मानसिक इलाज के लिए ग्वालियर रेफर किया गया बाद में मोहसिन को ग्वालियर के J.A.H. हॉस्पिटल के ICU ले गए जहां उसे आखिरकार कागजों में मृत घोषित कर दिया,

मोहसिन की मां सीमा रईस ने एनडीटीवी को बताया, कोर्ट ने सही फैसला लिया है,लेकिन अभी ये पूरा फैसला नही है, क्राइम ब्रांच में मेरे बेटे को टेबल के नीचे हथकड़ी लगाकर बैठ के रखा था. बेटे को अलग-अलग थाने में ले जाया गया, जेल में गए तो उसकी स्थिति खराब थी कंधे पर चार लोग लेकर गए,ग्वालियर अस्पताल के बाहर पुलिस वाले लाश को फेंक दिया था,मेरे बेटा पागल नही था उसे कोई दिक्कत नहीं थी, कोई तकलीफ नहीं थी, पुलिस वालों ने 2 लाख रुपये की मांग की थी लेकिन इतनी पैसे देने की मेरी स्थिति नहीं थी.

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पूरे मामले में एक थाना प्रभारी, उपनिरीक्षक, 2 सहायक उप निरीक्षक सहित जेलर और डॉक्टर के खिलाफ कोर्ट ने हत्या के साक्ष्य मिटाने का समेत अन्य धाराओं में प्रकरण दर्ज किया कर लिया है.

एडवोकेट पीड़ित पक्ष के वकील यावर खान ने कहा, कोर्ट में बहुत स्पीकिंग ऑर्डर दिया है कि किस तरीके से क्राइम ब्रांच और टीटी नगर थाने के पुलिसकर्मियों ने उसके साथ मारपीट की,अपर कोर्ट में जाने पर भी आरोपियों पर साक्ष्य मिटाने, साजिश रचने और हत्या के मामले बनेंगे, इस मामले में अब तक जितने भी अपार कोर्ट के आदेश हैं वह फरियादी के पक्ष में हैं आरोपियों के खिलाफ कोर्ट ने समन जारी कर दिया  है.अगर पेशी पर नहीं आए तो कोर्ट वारंट जारी करेगी यह आजीवन कारावास और मृत्युदंड से दंडनीय अपराध है हम कोर्ट से शॉर्ट ट्रायल का अनुरोध करेंगे.

मोहसिन की मौत का ‘ज़िम्मेदार' कौन ?

  1. 4 जून 2015 को क्राइम ब्रांच ने मोहसिन को हिरासत में लिया
  2. पूछताछ के बाद टीटी नगर थाने को सौंपा
  3. 10 जून को कोर्ट में पेश कर जेल भेजा गया
  4. 22 जून को जेल में परिजनो को मोहसिन बेहद गंभीर हालत में मिला
  5. 23 जून को मोहसिन की भोपाल सेंट्रल जेल में मौत हुई
  6. मृत मोहसिन को ग्वालियर रेफर किया गया
  7. मोहसिन के पागल होने की फर्जी रिपोर्ट बनवाई गई

भोपाल के , पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र ने एनडीटीवी को कहा, हाल फिलहाल में भोपाल में कस्टोडियल डेथ का कोई मामला सामने नहीं आया है ,मानवाधिकार से संबंधित उत्तम मानकों को पुलिस सुनिश्चित करती है, मानवाधिकार का पूरा पालन किया जाए और कोई अपनी अप्रिय घटना ना हो पुलिस की यह पूरी कोशिश रहती है.

तत्कालीन जेलर पर आरोप है कि ज्यूडिशियल कस्टडी में मोहसिन को इलाज मुहैया नहीं कराया गया और उसे जेल में पिटवाया,जेल में दाखिले के वक्त के सीसीटीवी फुटेज कोर्ट को मुहैया नहीं कराया. बड़े पुलिस अधिकारी भी इसे गंभीर मानते हैं.

रिटायर्ड डीजी शैलेंद्र श्रीवास्तवने बताया, सोसाइटी में जिससे रक्षक कहा गया है,अगर उसकी कस्टडी में डेथ होता है तो यह बहुत दुखदाई है, मारपीट और थर्ड डिग्री टॉर्चर से हुई मौत बहुत गंभीर है, इसका अधिकार संविधान ने हमें नहीं दिया, टॉर्चर करने मारपीट का अधिकार नही है... कई बार प्रेशर पुलिस झेल नहीं पाती है पूरी तरीके से गलत प्रक्रिया जो थर्ड डिग्री टॉर्चर है उसका इस्तेमाल करती है,उसका खामियाजा यजा पुलिस को भी भुगतना पड़ता है ,ऐसा नहीं होना चाहिए.

साल 2023 में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में सरकारी आंकड़ों में बताया गया की 5 साल में मध्यप्रदेश में पुलिस अभिरक्षा में कुल 50 लोगों की मौत हुई है.

  1. साल 2018-19 में 12 मौत ,
  2. 2019 -20 में 14
  3. 2020 से 23 तक हर साल 8-8 मौत हुई हैं...
  4. देशभर में 5 साल में 687 मौत पुलिस अभिरक्षा में दर्ज की गई हैं.

मोहसिन के पुलिस हिरासत के मौत के मामले में कोर्ट में कुल 14 लोगों ने गवाही दी दिलचस्प बात यह है की इनमें 11 गवाह सरकारी कर्मचारी है जबकी 2 परिजन और एक साथी कैदी है,कोर्ट ने अपने आदेश में ये माना है की पुलिस अभिरक्षा में मौत के मामले में किसी आम व्यक्ति के लिए साक्ष्य एकत्रित करना मुश्किल है,करीब 8 साल बाद कोर्ट के आदेश के बाद मोहसिन के परिजनों में  एक बार फिर न्याय की उम्मीद जगी है, FIR के बाद भी सभी आरोपी पुलिस कर्मी अपने पद पर काम कर रहे हैं.

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