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आज रात में जब भारत में लोग सो रहे होंगे तब आसमान में 'मिनी मून' दिखेगा, जानिए- इसका क्या है महाभारत से संबंध

विशेषज्ञों का कहना है कि विशेष दूरबीनों की मदद से "2024 PT5" को देखा जा सकता है, मिनी मून का व्यास करीब दस मीटर है और यह विशाल सौर मंडल में वापस जाने से पहले करीब 53 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा

आज रात में जब भारत में लोग सो रहे होंगे तब आसमान में 'मिनी मून' दिखेगा, जानिए- इसका क्या है महाभारत से संबंध
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

रविवार-सोमवार की दरमियानी रात में पृथ्वी एक नए और अस्थायी 'मिनी मून' को गले लगाएगी, जिसका संबंध भारतीय महाकाव्य महाभारत से है. इसे "2024 PT5" कहा जाता है. इस मिनी मून का व्यास करीब दस मीटर है और यह विशाल सौर मंडल में वापस जाने से पहले लगभग 53 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा. 

हालांकि, इसका आकार बहुत ही छोटा है. चंद्रमा का व्यास 3,476 किलोमीटर है और "2024 PT5" उससे 350,000 गुना छोटा है. यह नंगी आंखों से दिखाई नहीं देगा, लेकिन विशेष दूरबीनें से इसे रात में 1.30 बजे के बाद देखा जा सकता है.

किसी ग्रह के चारों ओर प्राकृतिक रूप से परिक्रमा करने वाले किसी भी पिंड को चंद्रमा कहा जाता है. शनि ग्रह के 146 ज्ञात चंद्रमा हैं और बृहस्पति के 95 हैं. मंगल के दो चंद्रमा हैं और पृथ्वी का सिर्फ़ एक चंद्रमा है. शुक्र का कोई ज्ञात चंद्रमा नहीं है. इसरो के विशेषज्ञ, जो कि "2024 PT5" की निगरानी कर रहे हैं, ने कहा कि यह "पृथ्वी से नहीं टकराएगा."

दो वैज्ञानिक कार्लोस डे ला फुएंते मार्कोस और राउल डे ला फुएंते मार्कोस ने इसकी रिपोर्ट की. उन्होंने कहा कि "पृथ्वी के निकट वस्तुएं (NEOs) घोड़े की नाल के आकार के पथ का अनुसरण करती हैं और हमारे ग्रह के निकट कम सापेक्ष वेग से आती हैं. वे मिनी-मून इवेंट्स से गुजर सकती हैं, लेकिन पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर पूरा किए बिना उनकी भूकेन्द्रित ऊर्जा घंटों, दिनों या महीनों के लिए ऋणात्मक हो जाती है."

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विशेष दूरबीनों से देखा जा सकेगा क्षुद्रग्रह 

मार्कोस ने अमेरिका की वेबसाइट space.com से कहा, "यह वस्तु आम शौकिया दूरबीनों और सामान्य दूरबीनों के लिए बहुत छोटी और मंद है. हालांकि, यह वस्तु पेशेवर एस्ट्रोनॉमर्स द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली दूरबीनों की ब्राइटनेस रेंज के भीतर है." उन्होंने कहा, "इस वस्तु का निरीक्षण करने के लिए कम से कम 30 इंच व्यास वाली दूरबीन और एक सीसीडी या सीएमओएस डिटेक्टर की जरूरत है."

"2024 पीटी 5" की खोज 7 अगस्त, 2024 को एस्टेरॉयड टेरेस्ट्रियल-इम्पैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम (ATLAS) द्वारा की गई थी. यह नासा द्वारा वित्तपोषित और हवाई से संचालित एक स्वचालित सिस्टम है. इसका उपयोग पृथ्वी के निकट स्थित एस्टेरॉयड्स की निगरानी के लिए किया जाता है.

एस्टरॉयड पर इसरो की पैनी नजर

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस (NETRA) एस्टरॉयड पर पैनी नजर रख रहा है. यह 25 नवंबर, 2024 तक गायब हो जाएगा.

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मार्कोस ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब पृथ्वी के चारों ओर छोटे चंद्रमा दिखाई दे रहे हैं. ऐसा 1997, 2013 और 2018 में भी हुआ था. उन्होंने कहा, "ऐसे कक्षीय तत्व अर्जुन के समान हैं, जो छोटे एनईओ की एक विरल आबादी है."

यूनिक एस्टेरॉयड्स ग्रुप है 'अर्जुन'

वैज्ञानिक जिस "अर्जुन" का जिक्र करते हैं, वह एक यूनिक एस्टेरॉयड्स ग्रुप है. सौर मंडल में एस्टेरॉयड्स के दूसरे ग्रुप अपोलो, अतीरा, अमोर और एटेन हैं. "2024 PT5" की उत्पत्ति अर्जुन ग्रुप में मानी जाती है और इसकी अवधि एक वर्ष होने की उम्मीद है.

क्षुद्रग्रहों (asteroids) और धूमकेतुओं (comets) के एक खोजकर्ता खगोलशास्त्री रॉबर्ट एच मैकनॉट ने एक नवंबर, 1991 को ऑस्ट्रेलिया के साइडिंग स्प्रिंग ऑब्जर्वेटरी में एक क्षुद्रग्रह की खोज की थी, जिसे बाद में "1991 वीजी" नाम दिया गया था.

नामकरण के पीछे महाभारत के नायक अर्जुन की खासियत 

मैकनॉट ने महाकाव्य महाभारत के नायक अर्जुन से प्रेरित होकर "अर्जुन" नाम चुना था. पौराणिक कथाओं में अर्जुन को उनकी बहादुरी, तीरंदाजी कौशल, ज्ञान और आध्यात्मिक विकास के लिए जाना जाता है. 'अर्जुन' नाम क्षुद्रग्रह के सौरमंडल से तेजी से गुजरने (अर्जुन के तेज तीरों की तरह) और अप्रत्याशित प्रकृति (अर्जुन के जटिल चरित्र की तरह) को दर्शाता है. अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने आधिकारिक तौर पर क्षुद्रग्रह के इस नाम को मंजूरी दे दी है.

इसरो के नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट्स ट्रैकिंग एंड एनालिसिस (NETRA) के प्रमुख डॉ अनिल कुमार ने पुष्टि की कि "2024 PT5" अर्जुन एस्टेरॉयड्स ग्रुप का हिस्सा है.

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