Devastation on Earth: 99942 एपोफिस या 'अराजकता का देवता' नाम से जाने वाले एस्टेरॉयड (Asteroid) ने दुनिया को चिंता में डाल दिया है. इसके प्रक्षेप पथ का पुनर्मूल्यांकन पर पता चला है कि यह पृथ्वी के साथ टकराव के रास्ते पर हो सकता है. वर्ष 2004 में खोजे गए एपोफिस के बारे में पहले सोचा गया था कि 2029 में शायद यह हमारे ग्रह को प्रभावित करे. हालांकि इसकी 2.7% संभावना ही जताई गई थी. बाद में वैज्ञानिकों ने 2029 या 2036 में इसके पृथ्वी से किसी भी संभावित टकराव से इनकार किया गया था. मगर अब इसके संशोधित पथ ने इसके भविष्य के प्रक्षेपवक्र और पृथ्वी पर संभावित खतरे के बारे में नई चिंताएं बढ़ा दी हैं.
क्या है खतरा?
कनाडाई अंतरिक्ष विशेषज्ञ पॉल विएगर्ट के हालिया शोध ने एपोफिस के संभावित जोखिम के बारे में चर्चा फिर से शुरू कर दी है. विएगर्ट के निष्कर्षों से पता चलता है कि एपोफिस अभी एक करीबी दूरी पर है, मगर अगर यह अंतरिक्ष में एक छोटी वस्तु से टकराता है तो इसका प्रक्षेप पथ बदल सकता है. उनका अनुमान है कि ऐसी घटना घटित होने और एस्टेरॉयड के पृथ्वी की ओर रुख बदलने की संभावना लगभग दो अरब में से एक है. द मिरर यूएस की एक रिपोर्ट के अनुसार, विएगर्ट ने अपने विश्लेषण में बताया कि एपोफिस को अपना प्रक्षेप पथ बदलने के लिए कम से कम 3.4 मीटर आकार की एक छोटी वस्तु को 510 मीटर प्रति सेकंड से अधिक की गति से टकराने की आवश्यकता होगी. उन्होंने आगे गणना की कि भले ही एस्टेरॉयड का मार्ग थोड़ी सी हलचल से बदल गया हो, इसके पृथ्वी की ओर पुनर्निर्देशित होने की संभावना केवल 5% है.
टकराया तो क्या होगा?
विनाशकारी टक्कर की संभावना 2 बिलियन में 1 से भी कम है. इसका मतलब है कि न के बराबर चांस है, लेकिन चांस तो है. विएगर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एपोफिस की मई 2021 से निगरानी नहीं की गई है और पृथ्वी और सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति के कारण 2027 तक इसकी निगरानी नहीं की जाएगी. एपोफिस हाल के इतिहास में पृथ्वी के इतने करीब से गुजरने वाले सबसे बड़े एस्टेरॉयड में से एक है. जानकारी के अनुसार, करीब 20 लाख एस्टेरॉयड सौर मंडल में अभी घूम रहे हैं. एस्टेरॉयड चट्टानों से बने पिंड होते हैं और इन्हीं के टुकड़ों से उल्कापिंड बनते हैं. अतीत में उल्कापिंडों से कई बार जीवन लगभग समाप्त हो चुका है. सबसे प्रलयंकारी पिंड साढ़े छह करोड़ साल पहले टकराया था. उसने डायनासोर समेत कई जीव-जंतुओं का पृथ्वी से अंत कर दिया था. पृथ्वी पर तव वर्षों तक अंधेरा छाया रहा था. 1944 में 10-12 उल्कापिंड बृहस्पति ग्रह से टकरा गए थे और उसके बाद वहां महाप्रलय आ गया था. आज तक उस ग्रह पर उनकी आग और तबाही शांत नहीं हो पाई है.
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