सरकारी ऐलान के बावजूद टमाटर बीते एक महीने से 200 से 250 रुपये प्रति किलो बाजार में बिक रहा है. हालांकि सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए सहकारी केंद्रों पर 70 रुपये किलो टमाटर बेचने का ऐलान किया था, बावजूद इसके टमाटर के दाम ने आम लोगों की थाली को महंगा बना दिया है. दिल्ली के कृषि भवन के अंदर नेफेड की दुकान के बाहर लंबी कतार लगी रहती है. गार्ड यहां लोगों को लाइन में लगवाते हैं.
घंटों इंतजार, धक्का-मुक्की और बहसबाज़ी के बाद कहीं जाकर लोग टमाटर खरीदने में सफल हो पाते हैं. घंटों से लाइन में खड़े लोगों ने बताया कि कल आया था, साढ़े तीन घंटे लाइन में लगा, लेकिन टोकन ही नहीं मिला था.
वहीं टमाटर लेने आए एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि मैं सरकारी कर्मचारी हूं, दो घंटे टोकन लेने में और दो घंटे टमाटर लेने में लग गए. नौकरी की जगह मैं टमाटर लेने वाली लाइन में खड़ा हूं.
टोकन लेने की लाइन में सबसे पीछे खड़े लोग खासे मायूस और असमंजस में थे. उनसे पूछा गया कि क्या लगता है कि आपका नंबर आएगा कि नहीं? तो उन्होंने कहा कि लग तो रहा है आ जाएगा, लेकिन लोग एक की जगह दो-दो लोगों का टोकन ले रहे हैं, स्थिति बड़ी विकराल है.
घंटों की मशक्कत के बाद कृषि मंत्रालय के कर्मचारियों को आखिरकार 70 रुपये में एक किलो टमाटर मिल गया, लेकिन देश के ज्यादातर इलाकों के लोगों को अब भी 200 से 250 रुपये प्रति किलो ही टमाटर खरीदना पड़ रहा है.
टमाटर ने लोगों के खाने का अर्थशास्त्र भी बिगाड़ा है. इसका पता Crisil के आंकड़ों को देखकर चलता है. शाकाहारी थाली के दाम 28 फीसदी तक बढ़े हैं. इसमें 22 फीसदी योगदान महंगे टमाटर का है. जून में टमाटर 30से 35 रुपये किलो था, वहीं अब ये 200 से 250 रुपये किलो मिल रहा है.
जानकारों का कहना है कि ज्यादा गर्मी और बारिश की वजह से कर्नाटक और महाराष्ट्र में टमाटर की कम पैदावार की वजह से दामों में इजाफा हुआ है. लेकिन टमाटर की नई फसल आने तक राहत मुश्किल लग रही है.
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