अनुपम खेर ने राष्ट्रपति भवन तक मार्च का नेतृत्व किया, जिसमें कई हस्तियां भी शामिल हुईं
नई दिल्ली:
देश में बढ़ती असहिष्णुता के ख़िलाफ़ साहित्यकारों और फ़िल्मकारों के सम्मान लौटाने के विरोध में अभिनेता अनुपम खेर की अगुवाई में फिल्मकारों का दल प्रधानमंत्री से मिलने पहुंचा। इससे पहले इस बॉलीवुड अभिनेता ने राष्ट्रपति भवन तक मार्च का नेतृत्व किया, जिसमें पुरस्कार वापसी से देश की छवि को हो रहे नुकसान पर चिंता जताई गई।
'मार्च फ़ॉर इंडिया' में शामिल अनुपम खेर, निर्देशक मधुर भंडारकर और चित्रकार वासुदेव कामथ समेत 11 सदस्यों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन पर 90 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें कमल हासन, शेखर कपूर, विद्या बालन, रवीना टंडन और विवेक ओबरॉय जैसी फिल्मी हस्तियां, लेखक, पूर्व न्यायाधीश और संगीतकार शामिल हैं। (मार्च में NDTV संवाददाताओं से भीड़ ने की बदसलूकी)
भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करने की कोशिश
राष्ट्रपति के सामने पत्र पढ़ते हुए खेर ने कहा 'किसी की भी नृशंस हत्या निंदनीय है। हम लोग इसकी कड़ी निंदा करते हैं और त्वरित न्याय की उम्मीद करते हैं। लेकिन अगर इसका इस्तेमाल कुछ लोगों द्वारा भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करने की कोशिश के तौर पर किया जा रहा है तो हम लोगों को चिंता करनी चाहिए।'
अभिनेता ने कहा कि जो लोग विरोध कर रहे हैं वे अपनी चिंता को अपने संबंधित क्षेत्र के माध्यम से उठाने के बजाय भारत की भावना को चोट पहुंचाने के लिए मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी को भी भारत को असहिष्णु कहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि दुनिया में कोई भी देश भारत के समान सहिष्णु नहीं है।
मार्च में शामिल भंडारकर ने कहा 'जिस तरह से समूचे प्रकरण को पेश किया जा रहा है और उसका जो संदेश देश से बाहर जा रहा है, वह गलत है। यह विविधताओं का देश है और निश्चित तौर पर कुछ घटनाएं हुई हैं लेकिन हम सभी उन घटनाओं की निंदा करते हैं। इस बारे में दो राय नहीं है।' वहीं फिल्म निर्माता प्रियदर्शन ने अवार्ड वापसी के कदम को राजनीतिक एजेंडा बताया। उन्होंने कहा 'वर्षों की असहिष्णुता के बाद हम लोगों को एक व्यक्ति (नरेंद्र मोदी) मिला है, जिसके पास एक नजरिया है। वे उनको काम करते हुए नहीं देखना चाहते। वे उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों को नाकाम करना चाहते हैं। अवार्ड वापसी के पीछे बहुत बड़ा राजनीतिक एजेंडा है।'
'राष्ट्रपति भवन की जगह दादरी तक निकालें मार्च'
पूर्व विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने अनुपम खेर की रैली पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें राष्ट्रपति भवन की बजाय दादरी तक रैली निकालनी चाहिए थी। खुर्शीद ने कहा, 'इसका निर्णय कौन करेगा कि देश में असहिष्णुता है या नहीं? यहां तक कि इसका निर्णय राष्ट्रपति भी नहीं कर सकते। जो भी इस विचार से अपने अवार्ड लौटा रहा है कि देश में असहिष्णुता का माहौल है, तो उनके निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए। अगर कुछ-एक लोग कह रहे हैं कि असहिष्णुता नहीं है, तो उनके विचार का भी सम्मान किया जाना चाहिए।'
आपको बता दें कि 'बढ़ती असहिष्णुता' का कई लेखक, इतिहासकार, वैज्ञानिक और फिल्म निर्माता विरोध कर रहे हैं और कम-से-कम 75 लोगों ने अपने पुरस्कार वापस किए हैं। वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पहले ही विरोध को कृत्रिम आक्रोश और राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर चुकी है।
'मार्च फ़ॉर इंडिया' में शामिल अनुपम खेर, निर्देशक मधुर भंडारकर और चित्रकार वासुदेव कामथ समेत 11 सदस्यों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन पर 90 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें कमल हासन, शेखर कपूर, विद्या बालन, रवीना टंडन और विवेक ओबरॉय जैसी फिल्मी हस्तियां, लेखक, पूर्व न्यायाधीश और संगीतकार शामिल हैं। (मार्च में NDTV संवाददाताओं से भीड़ ने की बदसलूकी)
भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करने की कोशिश
राष्ट्रपति के सामने पत्र पढ़ते हुए खेर ने कहा 'किसी की भी नृशंस हत्या निंदनीय है। हम लोग इसकी कड़ी निंदा करते हैं और त्वरित न्याय की उम्मीद करते हैं। लेकिन अगर इसका इस्तेमाल कुछ लोगों द्वारा भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करने की कोशिश के तौर पर किया जा रहा है तो हम लोगों को चिंता करनी चाहिए।'
अभिनेता ने कहा कि जो लोग विरोध कर रहे हैं वे अपनी चिंता को अपने संबंधित क्षेत्र के माध्यम से उठाने के बजाय भारत की भावना को चोट पहुंचाने के लिए मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी को भी भारत को असहिष्णु कहने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि दुनिया में कोई भी देश भारत के समान सहिष्णु नहीं है।
अवार्ड वापसी का कदम राजनीतिक एजेंडा
मार्च में शामिल भंडारकर ने कहा 'जिस तरह से समूचे प्रकरण को पेश किया जा रहा है और उसका जो संदेश देश से बाहर जा रहा है, वह गलत है। यह विविधताओं का देश है और निश्चित तौर पर कुछ घटनाएं हुई हैं लेकिन हम सभी उन घटनाओं की निंदा करते हैं। इस बारे में दो राय नहीं है।' वहीं फिल्म निर्माता प्रियदर्शन ने अवार्ड वापसी के कदम को राजनीतिक एजेंडा बताया। उन्होंने कहा 'वर्षों की असहिष्णुता के बाद हम लोगों को एक व्यक्ति (नरेंद्र मोदी) मिला है, जिसके पास एक नजरिया है। वे उनको काम करते हुए नहीं देखना चाहते। वे उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों को नाकाम करना चाहते हैं। अवार्ड वापसी के पीछे बहुत बड़ा राजनीतिक एजेंडा है।'
'राष्ट्रपति भवन की जगह दादरी तक निकालें मार्च'
पूर्व विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने अनुपम खेर की रैली पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें राष्ट्रपति भवन की बजाय दादरी तक रैली निकालनी चाहिए थी। खुर्शीद ने कहा, 'इसका निर्णय कौन करेगा कि देश में असहिष्णुता है या नहीं? यहां तक कि इसका निर्णय राष्ट्रपति भी नहीं कर सकते। जो भी इस विचार से अपने अवार्ड लौटा रहा है कि देश में असहिष्णुता का माहौल है, तो उनके निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए। अगर कुछ-एक लोग कह रहे हैं कि असहिष्णुता नहीं है, तो उनके विचार का भी सम्मान किया जाना चाहिए।'
आपको बता दें कि 'बढ़ती असहिष्णुता' का कई लेखक, इतिहासकार, वैज्ञानिक और फिल्म निर्माता विरोध कर रहे हैं और कम-से-कम 75 लोगों ने अपने पुरस्कार वापस किए हैं। वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पहले ही विरोध को कृत्रिम आक्रोश और राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर चुकी है।
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