बंगाल में चुनाव अकेले लड़ने संबंधी टीएमसी के फैसले से त्रिकोणीय चुनावी मुकाबले का मार्ग प्रशस्त

लोकसभा में टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘‘हम गठबंधन चाहते थे लेकिन कांग्रेस इस प्रक्रिया में देरी कर रही थी. कांग्रेस को ममता बनर्जी और टीएमसी को बंगाल में मुकाबले का नेतृत्व करने देना चाहिए था. टीएमसी के पास (अब) खोने के लिए कुछ नहीं है. हम बंगाल में भाजपा को हराने के लिए काफी मजबूत हैं.’’

बंगाल में चुनाव अकेले लड़ने संबंधी टीएमसी के फैसले से त्रिकोणीय चुनावी मुकाबले का मार्ग प्रशस्त

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने के तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के फैसले से त्रिकोणीय चुनावी मुकाबले का मार्ग प्रशस्त हो गया है. इस मुकाबले में टीएमसी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने वोट समर्थन को बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं, जबकि कांग्रेस-वाम गठबंधन, टीएमसी और भाजपा के वोटों में सेंध लगाने की क्षमता रखता है, खासकर अल्पसंख्यक बहुल इलाकों और कम अंतर वाली सीट पर.

विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (इंडिया) को बड़ा झटका देते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री औऱ टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने बुधवार को घोषणा की थी कि उनकी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव राज्य में अकेले लड़ने का फैसला किया है.

लोकसभा में टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘‘हम गठबंधन चाहते थे लेकिन कांग्रेस इस प्रक्रिया में देरी कर रही थी. कांग्रेस को ममता बनर्जी और टीएमसी को बंगाल में मुकाबले का नेतृत्व करने देना चाहिए था. टीएमसी के पास (अब) खोने के लिए कुछ नहीं है. हम बंगाल में भाजपा को हराने के लिए काफी मजबूत हैं.''

टीएमसी नेताओं ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि पश्चिम बंगाल में ‘इंडिया' गठबंधन के टूटने के चुनावी फायदे और नुकसान दोनों हैं. टीएमसी के एक नेता ने कहा, ‘‘वर्ष 2019 में पश्चिम बंगाल में वाम और कांग्रेस गठबंधन टूटने के बाद, चतुष्कोणीय मुकाबला हुआ था और राज्य में टीएमसी विरोधी वोट भाजपा के पक्ष में चले गये थे. त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति में एक बार फिर टीएमसी विरोधी वोटों का बंटवारा होगा.''

उन्होंने कहा कि त्रिकोणीय मुकाबला भाजपा को कुछ सीट पर अवसर प्रदान कर सकता है, खासकर अल्पसंख्यक वोट विभाजित होने पर. टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘अल्पसंख्यक बहुल सीट पर, वाम-कांग्रेस गठबंधन कुछ इलाकों में सिरदर्द बन सकता है, जैसा कि हमने 2023 में सागरदिघी उपचुनाव के दौरान देखा था जब वाम-कांग्रेस गठबंधन ने सीट जीती थी. लेकिन इस बार हमें उम्मीद है कि अल्पसंख्यक टीएमसी को वोट देंगे क्योंकि हम राज्य में सबसे मजबूत भाजपा विरोधी ताकत हैं.''

टीएमसी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में 22 सीट, कांग्रेस ने दो और भाजपा ने 18 सीट जीती थीं. भाजपा नेता दिलीप घोष ने ‘इंडिया' गठबंधन को अधिक महत्व देने से इनकार करते हुए कहा, 'बंगाल के लोग जानते हैं कि वह केवल भाजपा ही है जो टीएमसी के खिलाफ लड़ाई में लगातार बनी हुई है.''

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि ‘इंडिया' गठबंधन के हिस्से के रूप में टीएमसी-कांग्रेस गठबंधन भाजपा से मुकाबला करने के लिए बेहतर स्थिति में होता. राजनीतिक विश्लेषक बिश्वनाथ चक्रवर्ती ने कहा कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में टीएमसी और भाजपा दोनों को फायदा होगा. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस-वाम गठबंधन भले ही सीट जीतने में सक्षम न हो, लेकिन इससे जीत या हार में फर्क जरूर पड़ेगा.''
 



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)