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This Article is From Jul 09, 2022

Timeline: अमरनाथ यात्रियों पर कई बार बरपा है 'कुदरत का कहर', 1969 में 100 लोगों की हुई थी मौत

कल शाम अचानक आई बाढ़ के कारण गुफा के पास फंसे अधिकांश यात्रियों को पंजतरणी शिफ्ट कर दिया गया है. रेस्क्यू तड़के 3.38 बजे तक जारी रहा. कोई भी यात्री ट्रैक पर नहीं बचा है.

Timeline: अमरनाथ यात्रियों पर कई बार बरपा है 'कुदरत का कहर', 1969 में 100 लोगों की हुई थी मौत
1969 में अमरनाथ यात्रा के दौरान बादल फटने से करीब 100 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी.
नई दिल्ली:

अमरनाथ यात्रा पर निकले पर श्रद्धालुओं पर शुक्रवार को प्रकृति का कहर बरपा. अमरनाथ गुफा क्षेत्र में कल बादल फटने की घटना हुई, जिसके परिणामस्वरूप पवित्र गुफा से सटे वाटर बॉडी में पानी का भारी बहाव हुआ. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के अधिकारियों के अनुसार, शाम करीब साढ़े पांच बजे निचली गुफा (अमरनाथ) में बादल फटा, जिसके बाद बचाव दल मौके पर पहुंचे. इस हादसे में अब तक 15 लोगों मरने की सूचना है. मृतकों में सात महिला, छह पुरुष और दो बच्चे शामिल हैं. जबकि 40 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं. 

कल शाम अचानक आई बाढ़ के कारण गुफा के पास फंसे अधिकांश यात्रियों को पंजतरणी शिफ्ट कर दिया गया है. रेस्क्यू तड़के 3.38 बजे तक जारी रहा. कोई भी यात्री ट्रैक पर नहीं बचा है. अब तक करीब 15,000 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. रेस्क्यू ऑपरेशन अब भी जारी है. हेलीकॉप्टर की मदद से लोगों को रेस्क्यू किया जा रहा है. गौरतलब है कि ऐसी घटना पहली बार नहीं हुई है. इससे पहले भी बाबा बर्फानी के दर्शनाभिलाषियों को प्रकृति की मार झेलनी पड़ी है. हर साल श्रद्धालुओं के मौत की खबरें आती हैं.

53 साल पहले 1969 में अमरनाथ यात्रा के दौरान बादल फटने से करीब 100 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जा रहे यात्रियों के साथ ये पहला बड़ा प्रकृतिक हादसा था. इसके बाद बादल फटने की घटनाएं आम हो गईं. ऐसी घटनाओं के पीछे ग्लोबल वॉर्मिंग को कारण माना जाता है. 

इस हादसे के बाद साल 2017, 18 और 19 में भी अमरनाथ यात्रियों को हादसे का सामना करना पड़ा था. साल 2017 में श्रद्धालुओं से भरी एक बस जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाइवे पर रामबन जिले के पास एक गहरी खाई में जा गिरी. इस हादसे में 17 श्रद्धालुओं ने जान गंवाई थी. वहीं, 19 से ज्यादा घायल हो गए थे. इसके साल 2018 में भी सड़क हादसा हुआ था, जिसमें 13 तीर्थयात्री गंभीर रूप से घायल हो गए. वहीं, साल 2019 में भी यात्रा के दौरान 1 से 26 जुलाई के बीच करीब 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. इन मौतों के पीछे मंदिर समिति ने लोगों में जागरुकता की कमी का कारण बताया था.  

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