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This Article is From Mar 28, 2023

"समयबद्ध ढंग..." : OBC आरक्षण के साथ निकाय चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर UP के CM

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ का आदेश आने के बाद कहा था कि ओबीसी को आरक्षण दिए बगैर शहरी स्थानीय निकाय चुनाव नहीं होंगे.

"समयबद्ध ढंग..." : OBC आरक्षण के साथ निकाय चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर UP के CM
OBC आरक्षण के साथ निकाय चुनाव कराने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का UP के CM योगी आदित्‍यनाथ ने स्वागत किया है.
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री (UP CM) योगी आदित्‍यनाथ ने सोमवार को नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के संबंध में उच्‍चतम न्यायालय (Supreme Court) द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य स्थानीय निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर ओबीसी आरक्षण के साथ नगरीय निकाय चुनाव (urban body elections) कराने के आदेश का स्वागत किया है. मुख्‍यमंत्री योगी ने सोमवार को ट्वीट कर कहा, ''माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा ओबीसी आयोग की रिपोर्ट स्वीकार कर ओबीसी आरक्षण के साथ नगरीय निकाय चुनाव कराने का आदेश स्वागत योग्य है.'' इसी ट्वीट में उन्होंने कहा है, ''विधि सम्मत तरीके से आरक्षण के नियमों का पालन करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार समयबद्ध ढंग से नगरीय निकाय चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है.''

दो दिन में अधिसूचना आएगी
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्ता साफ कर दिया और राज्य निर्वाचन आयोग को ओबीसी कोटे के साथ दो दिन के भीतर इस संबंध में अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे दी. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण प्रदान करने के लिए गठित पिछड़ा वर्ग आयोग ने नौ मार्च को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी थी. इस पांच सदस्यीय आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह ने की. इस आयोग के अन्य चार सदस्यों में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा और महेंद्र कुमार, पूर्व अपर विधि परामर्शदाता संतोष कुमार विश्वकर्मा और बृजेश कुमार सोनी शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा...
इस आयोग का गठन पिछले साल के आखिर में ऐसे समय में किया गया था, जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की अधिसूचना के मसौदे को खारिज कर दिया था और ओबीसी को बगैर आरक्षण दिए स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उस समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ का आदेश आने के बाद कहा था कि ओबीसी को आरक्षण दिए बगैर शहरी स्थानीय निकाय चुनाव नहीं होंगे और राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए एक आयोग गठित करेगी. सोमवार को उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा, ‘‘सॉलिसिटर जनरल ने सूचित किया कि रिपोर्ट 9 मार्च, 2023 को मंत्रिमंडल को सौंप दी गई है. स्थानीय निकाय चुनावों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया चल रही है और यह दो दिन में की जाएगी. याचिका का निस्तारण किया जाता है. इस आदेश से संबंधित निर्देश मिसाल के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए नहीं है."

उच्च न्यायालय ने लगाई थी रोक
शीर्ष अदालत ने चार जनवरी को, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए बिना किसी आरक्षण के शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी. इससे पहले, राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के 27 दिसंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था. अपील में कहा गया था कि उच्च न्यायालय पिछले साल पांच दिसंबर को जारी मसौदा अधिसूचना को रद्द नहीं कर सकता, जिसके तहत शहरी निकाय चुनावों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और महिलाओं के अलावा ओबीसी के लिए सीट आरक्षण प्रदान किया गया था.

अधिसूचना का मसौदा
अधिसूचना के मसौदे के मुताबिक, महापौर पद की चार सीट-अलीगढ़, मथुरा-वृंदावन, मेरठ और प्रयागराज-ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं. इनमें अलीगढ़ और मथुरा-वृंदावन में महापौर के पद ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षित थे. इसके अलावा, 200 नगर पालिका परिषदों में अध्यक्षों के लिए 54 सीट ओबीसी के लिए आरक्षित थीं, जिनमें 18 महिलाओं के लिए थीं. 545 नगर पंचायतों में अध्यक्षों की सीट में से 147 ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं, जिनमें 49 महिलाओं के लिए थीं.

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