
- इस साल मॉनसून में पहाड़ी राज्यों में भारी बारिश से तबाही हुई, मैदानी इलाकों में बाढ़ आने से परेशानियां बढ़ीं.
- सितंबर महीने में अधिकतम तापमान 36.3 डिग्री सेल्सियस रहा जो पिछले साल के मुकाबले काफी कम दर्ज किया गया.
- इस महीने कुल 137.11 मिलीमीटर बारिश हुई, जिसमें 8 दिनों तक बारिश के दौरान एक दिन में 45 मिलीमीटर बारिश हुई.
इस साल मॉनसून (Monsoon) की शुरुआत से पहले इस बात की चर्चा हो रही थी कि पर्याप्त बारिश होगी या नहीं, लेकिन मॉनसून में बादल ऐसे बरसे कि पहाड़ी राज्यों में तबाही का मंजर दिखा, वहीं मैदानी राज्यों में भी बाढ़ ने परेशानी बढ़ाई. इस भारी मॉनसूनी बरसात के बीच सितंबर में तापमान में काफी उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया. भारतीय मौसम विभाग (IMD) की रिपोर्ट के अनुसार, इस महीने का सबसे ज्यादा दैनिक अधिकतम तापमान 36.3 डिग्री सेल्सियस रहा, जो कि पिछले साल सितंबर के उच्चतम तापमान 40.1 डिग्री से काफी कम है.
औसत अधिकतम तापमान भी औसत से नीचे
सितंबर का औसत अधिकतम तापमान लगभग 33 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य औसत (34.1°C) से थोड़ा नीचे है. इस महीने कुल बारिश 137.11 मिमी दर्ज की गई. इस महीने आठ दिनों तक बारिश हुई और इस दौरान एक दिन में सर्वाधिक बारिश करीब 45 मिमी दर्ज की गई.
मौसम विभाग के अनुसार, 7 से 17 सितंबर के बीच कई दिनों तक सूखे हालात बने रहे, जिससे दिन का तापमान अचानक बढ़ गया. यानी बारिश वाले दिनों में ठंडक और नमी रही, जबकि बारिश न होने पर दिन का पारा ऊपर चढ़ गया. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, लगातार बारिश के बावजूद इस तरह के छोटे-छोटे ड्राय स्पेल तापमान को प्रभावित करते हैं और वातावरण को असहज बना देते हैं.
37 साल में सबसे ज्यादा बारिश
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक इस साल उत्तर भारत में मॉनसून ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है जून से सितंबर तक का औसत बारिश का डेटा 741.4 मिमी तक पहुंच गया है, जो बीते 37 वर्षों में सबसे ज्यादा है यह 1950 के बाद से तीसरा सबसे ऊंचा स्तर है. इस बार उत्तर भारत में सामान्य से 31.5% ज्यादा बारिश हुई.
...तो फिर दक्षिण से ज्यादा उत्तर में बरसेंगे बादल
जून में सामान्य से 42.2% अधिक, जुलाई में 13% ज्यादा, अगस्त में 34% अतिरिक्त और सितंबर में अब तक 62% अधिक बारिश दर्ज हुई मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह रुझान सितंबर के अंत तक बना रहा तो यह उन दुर्लभ मौकों में से एक होगा जब उत्तर भारत में बारिश दक्षिण भारत से भी ज्यादा दर्ज होगी.
इस भारी वर्षा का असर खेत-खलिहानों से लेकर शहरों तक दिखा है एक तरफ जहां किसानों के लिए जलस्तर और सिंचाई की स्थिति बेहतर हुई है, वहीं कई इलाकों में बाढ़ ने परेशानी बढ़ा दी है.
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