बीजू जनता दल सांसद बैजयंत जय पांडा (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
ओडिशा से बीजू जनता दल (बीजद) सांसद बैजयंत जय पांडा ने कहा है कि हंगामे के कारण धुल गए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में गंवाए गए समय के अनुपात में वह अपना वेतन और दैनिक भत्ता लौटाएंगे. नोटबंदी के मुद्दे पर लगातार हंगामे की वजह से संसद का पूरा शीतकालीन सत्र लगभग बिना किसी काम के समाप्त हो गया.
(पढ़ें :15 वर्षों में इस शीतकालीन सत्र में सबसे ज्यादा हुआ हंगामा, काम सबसे कम)
पांडा ने कहा, 'मैं पिछले कई साल से ऐसा करता रहा हूं, शायद चार या पांच साल से. हर सत्र के अंत में मैं उसी अनुपात में अपने वेतन का एक हिस्सा और दैनिक भत्ता लौटा देता हूं, जितना हंगामे के कारण लोकसभा का वक्त बर्बाद हुआ होता है.' उन्होंने कहा कि यह सांकेतिक तौर पर उठाये जाने वाला कदम है. उन्होंने स्वीकार किया कि जितने बड़े पैमाने पर पैसे बर्बाद हुए, उसकी तुलना में यह कुछ नहीं है.
पांडा ने कहा, 'संसद में कार्यवाही बाधित होने के कारण देश का ढेर सारा पैसा बर्बाद हो रहा है. लिहाजा, यह मेरा सांकेतिक कदम है, क्योंकि अंतरात्मा मुझे झकझोरती है कि हम ये सारे फायदे तो ले रहे हैं, लेकिन अपना काम नहीं कर रहे, जबकि हमें अपना काम करना होता है.' उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्होंने संसद की कार्यवाही कभी बाधित नहीं की. पांडा ने कहा, 'अपने 16 साल के करियर में मैंने कभी संसद बाधित नहीं की. यह मेरी अंतरात्मा का मामला है.'
नोटबंदी और अन्य मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के कारण संसद में बहुत कम जरूरी कामकाज हुआ. लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदनों में नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा को लेकर गतिरोध बना रहा. हालांकि लोकसभा ने दो जरूरी विधायी कामकाज निपटाए, जिनमें आयकर संशोधन विधेयक का पारित होना और अनुदान की पूरक मांगों को मंजूरी शामिल है. दोनों ही हंगामे के बीच हुए.
राज्यसभा में सामान्य तौर पर पहले ही दिन कुछ कामकाज हो सका जब नोटबंदी पर चर्चा शुरू हो गई थी और उसके बाद से उच्च सदन में कोई काम नहीं हो सका. (इनपुट एजेंसी से)
(पढ़ें :15 वर्षों में इस शीतकालीन सत्र में सबसे ज्यादा हुआ हंगामा, काम सबसे कम)
पांडा ने कहा, 'मैं पिछले कई साल से ऐसा करता रहा हूं, शायद चार या पांच साल से. हर सत्र के अंत में मैं उसी अनुपात में अपने वेतन का एक हिस्सा और दैनिक भत्ता लौटा देता हूं, जितना हंगामे के कारण लोकसभा का वक्त बर्बाद हुआ होता है.' उन्होंने कहा कि यह सांकेतिक तौर पर उठाये जाने वाला कदम है. उन्होंने स्वीकार किया कि जितने बड़े पैमाने पर पैसे बर्बाद हुए, उसकी तुलना में यह कुछ नहीं है.
पांडा ने कहा, 'संसद में कार्यवाही बाधित होने के कारण देश का ढेर सारा पैसा बर्बाद हो रहा है. लिहाजा, यह मेरा सांकेतिक कदम है, क्योंकि अंतरात्मा मुझे झकझोरती है कि हम ये सारे फायदे तो ले रहे हैं, लेकिन अपना काम नहीं कर रहे, जबकि हमें अपना काम करना होता है.' उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्होंने संसद की कार्यवाही कभी बाधित नहीं की. पांडा ने कहा, 'अपने 16 साल के करियर में मैंने कभी संसद बाधित नहीं की. यह मेरी अंतरात्मा का मामला है.'
नोटबंदी और अन्य मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के कारण संसद में बहुत कम जरूरी कामकाज हुआ. लोकसभा और राज्यसभा, दोनों ही सदनों में नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा को लेकर गतिरोध बना रहा. हालांकि लोकसभा ने दो जरूरी विधायी कामकाज निपटाए, जिनमें आयकर संशोधन विधेयक का पारित होना और अनुदान की पूरक मांगों को मंजूरी शामिल है. दोनों ही हंगामे के बीच हुए.
राज्यसभा में सामान्य तौर पर पहले ही दिन कुछ कामकाज हो सका जब नोटबंदी पर चर्चा शुरू हो गई थी और उसके बाद से उच्च सदन में कोई काम नहीं हो सका. (इनपुट एजेंसी से)
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