दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. अब उन पर भ्रष्टाचार के मामले में शामिल होने का एक और आरोप लगा है. नरेश कुमार पर लग रहे इन आरोपों को लेकर दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने कहा कि इस मामले को भी जांच के लिए सीबीआई को दिया जाना चाहिए. मंत्री ने यह भी रिकमेंड किया है कि MetaMix और ILBS के बीच हुआ करार ख़त्म किया जाए. बता दें कि मुख्य सचिव नरेश कुमार पर आरोप है कि उन्होंने अपने बेटे की कंपनी को ग़लत तरीक़े से फायदा पहुंचाने की कोशिश की. इस मामले के सामने आने के बाद दिल्ली सरकार की विजिलेंस मंत्री आतिशी ने इसे लेकर एक रिपोर्ट सीएम अरविंद केजरीवाल को सौंप दी है.
क्या हैं आरोप?
नरेश कुमार पर लगाए गए आरोपों में कहा गया है कि उन्होंने बेटे करण चौहान की कंपनी MetaMix का दिल्ली सरकार के ILBS अस्पताल से मुफ़्त में MOU करवाया. ये MOU नरेश कुमार के बेटे के स्टार्ट-अप के लिए पूरी तरह फायदे का सौदा था. आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्य सचिव के रूप में नरेश कुमार ILBS अस्पताल की गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन हैं, और उनके रहते ही इस फैसले को न सिर्फ मंजूरी दी गई, बल्कि इस MOU के तहत वर्चुअल रियलिटी लैब का भी उद्घाटन किया.
ये है पूरा मामला
Metamix नाम की जिस कंपनी के साथ MOU हुआ उसके संस्थापक मुख्य सचिव नरेश कुमार के बेटे करण चौहान हैं. नरेश कुमार के मुख्य सचिव बनने के 20 दिन बाद ही यह कंपनी बनाई गई. इस MOU से मुख्य सचिव के बेटे की स्टार्टअप कंपनी को सरकारी खर्च पर बड़े नाजायज आर्थिक लाभ का मौका मिला साथ ही प्रतिष्ठा भी बढ़ी.
MOU से हुआ बड़ा फायदा
ऐसे में इस MOU से देश ही नही एशिया के इतने बड़े संस्थान का डेटाबेस और एक्सपर्टीज का इस्तेमाल करके हर साल metamix को करोड़ों रुपए का फायदा होने का अनुमान है. डेटलाइन के साथ सप्लीमेंट्री रिपोर्ट में बताया गया है कि नरेश कुमार के बेटे की कंपनी सिर्फ़ 8 महीने पहले ही बनी थी और उसे AI Software बनाने का कोई अनुभव नहीं था. metamix कंपनी का चयन करते वक्त प्रक्रियाओं का पालन भी नहीं किया गया, सीधा कंपनी का चयन किया गया और करार कर लिया गया.
अस्पताल ने किया आरोप का खंडन
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार पर इंस्टिट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलिअरी साइंसेस (ILBS) अस्पताल में भ्रष्टाचार को लेकर लग रहे आरोप पर इस अस्पताल ने बयान जारी किया है. ILBS ने कहा, ''ILBS किसी भी वेंडर को AI सॉफ्टवेयर डेवलप करने के लिए भुगतान किए जाने की सभी मीडिया रिपोर्टों को खारिज करता है. ILBS यह कन्फर्म करता है कि उसमें किसी को भी परचेज ऑर्डर जारी नहीं किया है और ना ही किसी भी AI सॉफ्टवेयर डेवलपर कंपनी को कोई पेमेंट किया है.''
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