
- सेना में अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया का तीसरा टेस्ट शुरू हो गया है
- अग्निवीरों के पहले बैच में से केवल 25% को स्थायी पद दिया जाएगा
- हर अग्निवीर को चार साल में चार टेस्ट में भाग लेना होगा
- शारीरिक परीक्षण, ड्रिल और फायरिंग पहले टेस्ट का हिस्सा हैं।
सेना में अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण चरण की शुरुआत हो गई है. अग्निवीरों के पहले बैच का तीसरा टेस्ट जारी है और चौथा टेस्ट अगले साल आयोजित किया जाएगा. इस प्रक्रिया के अंत में, केवल 25% अग्निवीरों को ही सेना में स्थायी पदों पर नियुक्त किया जाएगा, जबकि बाकी 75% अग्निवीर सेना से बाहर हो जाएंगे.
पहले बैच के अग्निवीर जनवरी 2023 में भर्ती हुए थे. अग्निपथ योजना के तहत भर्ती हुए अग्निवीरों को चार साल के कार्यकाल के दौरान हर साल एक टेस्ट देना होता है. यह टेस्ट उनकी योग्यता और प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए डिजाइन किए गए हैं.
- पहला टेस्ट: भर्ती के 31 हफ्तों के भीतर रेजिमेंटल सेंटर पर होता है, जहां अग्निवीरों को प्रशिक्षित किया जाता है.
- दूसरा टेस्ट: 18 महीने बाद होता हैट
- तीसरा टेस्ट: 30 महीने में अग्निवीर के यूनिट में ही होता है
- चौथा टेस्ट: 42 महीनों में होता है, जो अग्निवीर के यूनिट छोड़ने के 6 महीने पहले होता है
- उच्च स्तरीय टीम: चौथा टेस्ट उच्च स्तरीय टीम द्वारा किया जाता है, जिसके तहत यूनिट काम करती है
- पारदर्शिता और निष्पक्षता: मूल्यांकन प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए डिजाइन
कई टेस्ट में तीन तीन अवसर मिलते है
सेना के मुताबिक अग्निवीरों को हर टेस्ट में पास करने के लिए एक ही मौके नहीं होते है. कई टेस्ट में तीन तीन अवसर मिलते है. तीनों में जो बेहतर होता है, उसे ही सर्वक्षेष्ठ माना जाता हैं. जैसे- जैसे टेस्ट होता है. हर अग्निवीर का डाटा सिस्टम में अपलोड किया जाता हैं. इस डाटा को अग्निवीर चाहे तो देख भी सकते हैं. पहले टेस्ट में फिजिकल टेस्ट, ड्रिल और फायरिंग शामिल होते हैं. अगर कोई अग्निवीर सियाचिन या फिर किसी दूर दराज पहाड़ी इलाकें तैनात है तो उसे नजदीकी यूनिट में अटैच कर टेस्ट की सुविधा दी जाती हैं. इसमें कही कोई गड़बड़ी ना हो इसके लिए दिल्ली में एडजुडेंट जनरल शाखा में एक अधिकारी को नियुक्त किया गया है, जो पूरे मामले पर पैनी नजर रखता है. हालांकि, अग्निपथ योजना में वीरता और खेल को तव्वजो दी गई है.जानकारी के मुताबिक जिन अग्निवीरों को बहादुरी के पदक मिले है उन्हें तो स्थाई सैनिकों के तौर पर निश्चित ही रखा जायेगा. जिन अग्निवीरों को मेंशन इन डिस्पैचेज मिला होगा, उन्हें तो 25 एक्स्ट्रा मार्क्स दिए जाएंगे. इतना ही नहीं अगर किसी को कमांडर का प्रशस्ति पत्र भी मिला होगा तो उसे भर्ती में अतिरिक्त अंक दिये जाएंगे.
खेल में असाधारण प्रदर्शन, स्थाई भर्ती में मिलेगी वरीयता
अगर कोई अग्निवीर खेल में असाधारण प्रदर्शन किया है तो उसे भी सेना में स्थाई भर्ती में वरीयता मिलेगी. अगर कोई अग्निवीर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व किया होगा तो उसे सेना में सीधे भर्ती मिलेगी. राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने पर 10 और सेवा स्तर पर खेलने वालों को 6 अतिरिक्त अंक दिए जाएंगे, जो अग्निवीर चार साल की सेवा पूरी कर लेंगे तो उनको अपनी चिकित्सा स्थिति का आकलन के लिये एक मेडिकल बोर्ड से गुजरना होगा, जिन अग्निवीरों को अंतिम तौर पर चयन कर लिया जाएगा. उसे उनके यूनिट से बाहर निकालने के सात दिन बाद बताया जाएगा. इसके बाद उनको 30 दिनों के भीतर अपने संबधित रेजिमेंटल सेन्टर को वापस रिपोर्ट करना होगा. अगर वह समय पर अपने रेजिमेंटल सेंटर पर नहीं आते है तो उन्हे और सात दिन दिया जाएगा और उसके बाद भी दिए गए समय पर नहीं पहुंचता है तो उसके बाद अगले मेरिट लिस्ट वाले उम्मीदवार को मौका दे दिया जाएगा.
अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होने वाले जवानों को को कम से कम 15 साल सेना में सेवा का मौका मिलेगा. इस स्कीम के तहत जो भी जवान भर्ती होंगे उनको पेंशन नही दिया जाएगा. सेना के भीतर भी यह बात उठ रही है कि अच्छा होगा कि सेना में 75 फिसदी के बजाय 50 फिसदी जवान को बाहर किया जाए. लेकिन इस पर अंतिम फैसला सरकार को करना है कि क्या वह अग्निवीर को लेकर अपने पुराने फैसले पर विचार करके 50 फिसदी को वापस सेवा में रख लेंगे. यह जवान वैसे भी पूरी तरह ट्रेन्ड और प्रोफेशनल होते है जिनकी दरकार हर किसी को होती है.
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