उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुई एक सनसनीखेज वारदात ने पत्थरदिलों की भी रूह कंपा दी है. बकाया पैसे का तकादा करने पर दबंग पूर्वप्रधान ने दलित राजमिस्त्री को बंधक बनाकर यातनाऐं दी और फिर कत्ल करके उसकी लाश को पेड़ पर टांग दिया. हत्यारे ने कत्ल से पहले राजमिस्त्री के पैरों में कीलें भी ठोंकी थी. वारदात के बाद हत्यारे ने पुलिस को फोन करके अपना जुर्म स्वीकारा और कहा कि मारकर पेड़ पर टांग दिया है लाश ले जाओ.
आरोपी ने खुद पुलिस को फोन कर कहा- मारकर पेड़ पर टांग...
मेरठ के धनपुरा गांव में 25 अक्टूबर की देर शाम दलित इन्द्रशेखर की लाश एक पेड़ से टंगी हुई मिली. पेशे से राजमिस्त्री इन्द्रशेखर धनपुरा गांव में ही विजयपाल सिंह के मकान का महीनों से निर्माण कर रहे थे. पेड़ पर शव को लटकाने से पहले इन्द्रशेखर की हाथ बांधकर पिटाई की गयी थी. उसके दोनों हाथ रस्सी से बंधे हुए थे. पुलिस के मुताबिक, उसके पैर में गोली भी मारी गयी है. इन्द्रशेखर के शव की छाती पर भी खून के निशान मिले है. इसके बाद आरोपी ने खुद पुलिस को फोन किया और कहा कि इन्द्रशेखर को मारकर पेड़ पर टांग दिया है. इसकी लाश ले जाओ.
काम की मजदूरी मांगने पर हत्या...
इन्द्रशेखर राजमिस्त्री का काम करता था. धनपुरा गांव के दबंग विजयपाल के मकान निर्माण में वह कई महीनों से लगा हुआ था. वह निर्माण के लिए मजदूर भी खुद ही लाता था. विजयपाल ने 6 महीने की मजदूरी करीब ढाई लाख रोक ली, तो इन्द्रशेखर ने काम करना बंद कर दिया. विजयपाल ने उसे जातिसूचक गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी दी थी. इस विवाद में गांव के ही लीलू प्रधान और महकार ने समझौता करा दिया था. समझौते की शर्त के मुताबिक, इन्द्रशेखर ने मकान का निर्माण फिर से शुरू कर दिया. 25 अक्टूबर की दोपहर बाद विजयपाल बैंक से पैसा निकालकर भुगतान करने की बात कहकर इन्द्रशेखर को अपने साथ ले गया. इन्द्रशेखर को अपने खेत पर बंधक बनाकर विजयपाल और उसके साथियों ने उसकी पिटाई की. उसके हाथ पीठ की ओर बांधकर उसके पैर में गोली मारी गयी और बाद में गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी गयी. पुलिस ने मुख्यारोपी विजयपाल को गिरफ्तार किया है और बाकी आरोपियों की तलाश कर रही है.
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दलित जाति से होने के कारण इन्द्रशेखर का मकान निर्माण रोकना विजयपाल सिंह को खटक गया था. निर्माण रोकने के बाद पैसे के लिए तकादे उसे अपनी प्रतिष्ठा में बट्टे की तरह महसूस हुए. इन्द्रशेखर के कत्ल के लिए उसने वक्त, जगह और किरदार पहले से तय किये थे. सोचिये, जब भारत चांद पर है...जाति के नाम पर देश में ऐसा जुल्म हमारी छवि का धूमिल करते हैं.
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