विज्ञापन
This Article is From Feb 09, 2019

बेरोजगारी के आंकड़ों की कोई ड्राफ्ट रिपोर्ट नहीं, फाइनल रिपोर्ट आई: सांख्यिकी आयोग के पूर्व प्रमुख

लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले आई NSSO की रिपोर्ट, 45 साल में सर्वाधिक बेरोजगारी के आंकड़ों से राजनीतिक विवाद

बेरोजगारी के आंकड़ों की कोई ड्राफ्ट रिपोर्ट नहीं, फाइनल रिपोर्ट आई: सांख्यिकी आयोग के पूर्व प्रमुख
पीसी मोहनन (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

केंद्रीय सांख्यिकी आयोग के पूर्व प्रमुख पीसी मोहनन ने अचानक 28 जनवरी को पद छोड़ दिया. उन्होंने एनडीटीवी से कहा कि सरकार ने रोजगार पर NSSO (नेशनल सेंपल सर्वे ऑर्गनइजेशन) की रिपोर्ट जारी नहीं की. उन पर पद छोड़ने के लिए दबाव बनाया. उन्होंने दावा किया कि आयोग को क्रमश: परे किया जाने लगा. उन्होंने कहा कि जब NSSO की रिपोर्ट आई और हमने उसे 5 दिसंबर को एप्रूव किया तो वह जारी हो गई.      

उन्होंने कहा कि सरकार का दावा, कि यह ड्राफ्ट रिपोर्ट है, गलत है. एक बार रिपोर्ट को आयोग एप्रूव कर देता है तो वह फाइनल रिपोर्ट होती है. आप यह नहीं कह सकते कि यह अब सरकार से एप्रूव होगी. जब आप शब्द 'एप्रूव' का उपयोग करते हैं तो उससे विश्वसनीयता का प्रश्न पैदा होता है.  

आने वाले महिनों में लोकसभा चुनाव होने हैं और NSSO की रिपोर्ट जाहिर कर रही है कि बेरोजगारी 45 साल में सबसे ऊंचे स्तर पर है. इससे बड़ा राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है. यह रिपोर्ट सरकार ने आधिकारिक तौर पर जारी नहीं की है. लेकिन यह अखबार बिजनेस स्टैडर्ड ने प्रकाशित की है.     

मोहनन ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका इस्तीफा व्यक्तिगत कारणों से नहीं था जैसा कि नीती आयोग के वाइस चीफ, राजीव कुमार ने कहा था.

मोहनन ने कहा कि ''अपने पत्र में, मैंने स्पष्ट किया कि मेरे पास विशिष्ट उदाहरण हैं और हमें लगा कि आयोग में हमारी सेवाओं की निरंतरता किसी भी उद्देश्य से नहीं चल रही है क्योंकि आयोग बहुत प्रभावी नहीं था और इसमें कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है. सरकार को मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए और व्यवस्था में सुधार करना चाहिए. और मेरे साथ इस्तीफा देने वाली मीनाक्षी ने भी यही बात कही है.''

उन्होंने कहा कि आयोग की पवित्रता को बनाए रखना महत्वपूर्ण है और नीती आयोग को इसमें शामिल नहीं होना चाहिए. इसका मतलब है कि सांख्यिकी को सरकार से स्वतंत्र रखा जाए. इसे निष्पक्ष रूप से प्रकाशित किया जाना चाहिए. आधिकारिक आंकड़ों के कुछ मूल सिद्धांत हैं जिन्हें सरकार ने 2016 में अधिसूचित किया है, और यह बहुत स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आंकड़े पूरी तरह से स्वतंत्र होने चाहिए. आयोग यह सुनिश्चित करता है कि ऐसा हो. यह आयोग, इसकी स्वयत्तता के लिए बहुत अहम मुद्दा है. सांख्यिकीय आंकड़ों की विश्वसनीयता को बनाए रखना व्यवस्था के लिए यह महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि नीति आयोग की इसमें संलग्नता बहुत जरूरी नहीं है. 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com