अदन की खाड़ी में एंटी पाइरेसी पेट्रोल के बाद नौसेना का युद्धपोत आईएनएस सुनयना वापस कोच्ची लौट आया. करीब 80 दिन समुद्र में रहने के बाद सुनयना वापस लौटा है. इस दौरान सुनयना ने किसी बंदरगाह में गए बिना मिशन को अंजाम दिया. बीच समुद्र में नौसेना के इस युद्धपोत में ईंधन देने का काम भारतीय नौसेना और अमेरिकी नौसेना के युद्धपोत के टैंकरों ने किया.
आईएनएस सुनयना अपने मिशन को पूरा करके वापस लौटा तो कोच्ची में नौसेना के अधिकारियों ने ताली बजाकर स्वागत किया. इतने दिनों तक जिस तरह युद्धपोत ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई वो दिखाता है कि युद्धपोत की काबलियत और नौसैनिकों के मनोबल आला दर्जे की है.
नौसेना का युद्धपोत आईएनएस सुनयना सरयू क्लास का गश्ती पोत है. गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने इसका डिजाइन और निर्माण किया है. 15 अक्टूबर 2013 को आईएनएस सुनयना को नौसेना में शामिल किया गया था. इसकी लम्बाई 105 मीटर है. करीब 55 किलोमीटर की रफ्तार से यह फ्लीट को ऑपरेशन में सहयोग देता है. यह समुद्र में पेट्रोलिंग करना और समुद्र में निगरानी और संचार नेटवर्क का काम भी करता है.
गौरतलब है कि 2008 में भारतीय नौसेना ने अदन की खाड़ी में समुद्री डकैतों के खिलाफ अपना अभियान शुरू किया ताकि भारतीय जहाज सुरक्षित अदन की खाड़ी पार कर सकें. तब से लेकर हर वक्त नौसेना का एक युद्धपोत हमेशा अदन की खाड़ी में तैनात रहता है.
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