प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फिर साफ किया कि उम्र कैद का मतलब उम्र कैद होता है न कि 14 साल। यानी पूरी उम्र सलाखों के पीछे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां एक तरफ देश में फांसी की सजा खत्म करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं वही उम्र कैद कि सजा को 14 साल माना जा रहा है। 14 साल के बाद राज्य सरकार के पास अधिकार है अगर वह चाहे तो रिहा कर सकती है, लेकिन कोर्ट के मुताबिक उम्र कैद का मतलब सारी उम्र जेल में रहना हैं।
केस की सुनवाई पांच साल बाद
खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट में इतनी क्रिमिनल अपील लंबित हैं कि एक केस की सुनवाई पांच साल बाद होगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट दी है कि वह दो साल बाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की मांग कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद को लेकर टिप्पणी छत्तीसगढ़ के धीरज कुमार, शैलेंदर और दूसरे दोषियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान कही।
6 जनवरी 2010 को छत्तीसगढ़ के रायपुर में धीरज कुमार और उनके साथियों ने मिलकर कैलाश की हत्या कर दी थी। कैलाश का साथी जतिन बुरी तरह घायल हो गया था। 10 अक्टूबर 2014 को हाई कोर्ट ने धीरज कुमार और उनके पांच साथियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
जल्द सुनवाई की इजाजत
गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान धीरज कुमार की तरफ से कहा गया कि उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई कि जाए क्योंकि वे पांच सालों से जेल में बंद हैं और लिस्ट के हिसाब से अगली बार उनके मामले कि सुनवाई करीब 5 साल बाद होगी। ऐसे में वे अपनी सजा के दस साल पूरे कर लेंगे लेकिन तब क्या होगा जब वे बेगुनाह पाए जाएंगे। फिर तो वे अपनी उम्र कैद की सजा लगभग पूरी कर लेंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि उम्र कैद का मतलब उम्र कैद होता है न कि 14 साल। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दो साल बाद फिर से जल्द सुनवाई की इजाजत दे दी।
केस की सुनवाई पांच साल बाद
खास बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट में इतनी क्रिमिनल अपील लंबित हैं कि एक केस की सुनवाई पांच साल बाद होगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट दी है कि वह दो साल बाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की मांग कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद को लेकर टिप्पणी छत्तीसगढ़ के धीरज कुमार, शैलेंदर और दूसरे दोषियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान कही।
6 जनवरी 2010 को छत्तीसगढ़ के रायपुर में धीरज कुमार और उनके साथियों ने मिलकर कैलाश की हत्या कर दी थी। कैलाश का साथी जतिन बुरी तरह घायल हो गया था। 10 अक्टूबर 2014 को हाई कोर्ट ने धीरज कुमार और उनके पांच साथियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
जल्द सुनवाई की इजाजत
गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान धीरज कुमार की तरफ से कहा गया कि उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई कि जाए क्योंकि वे पांच सालों से जेल में बंद हैं और लिस्ट के हिसाब से अगली बार उनके मामले कि सुनवाई करीब 5 साल बाद होगी। ऐसे में वे अपनी सजा के दस साल पूरे कर लेंगे लेकिन तब क्या होगा जब वे बेगुनाह पाए जाएंगे। फिर तो वे अपनी उम्र कैद की सजा लगभग पूरी कर लेंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि उम्र कैद का मतलब उम्र कैद होता है न कि 14 साल। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दो साल बाद फिर से जल्द सुनवाई की इजाजत दे दी।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं