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This Article is From Apr 16, 2019

डीएम साहब, हौसला नहीं हारते! UPSC में कामयाबी पाने वाले शाहिद रजा खान की कहानी

सिविल सर्विसेज की परीक्षा में 751वीं रैंक हासिल की शाहिद रज़ा ख़ान ने, दो बार नाकाम होने के बाद आखिरकार सफलता मिली

डीएम साहब, हौसला नहीं हारते! UPSC में कामयाबी पाने वाले शाहिद रजा खान की कहानी
शाहिद रजा खान ने UPSC में कामयाबी हासिल की है.
नई दिल्ली:

'डीएम साहब,  इतनी जल्दी हिम्मत हार गए? मैं आपको रोता नहीं देख सकती, आप वापस घर आ जाओ' दो बार की नाकामी से टूटे बेटे को मां की इस एक बात ने ऐसा हौसला दिया कि वे मोर्चे पर नए जोश और जज्बे से जम गए और आखिरकार कामयाबी ने उनके कदम चूमे.

सिविल सर्विसेज की परीक्षा में 751वीं रैंक हासिल करने वाले शाहिद रज़ा ख़ान ने 2011 में जवाहरलाल यूनिवर्सिटी में अरबी भाषा पढ़ने के लिए बीए में दाखिला था और वहीं से एमए किया. फिर स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज से एम-फिल के बाद अभी पीएचडी कर रहे हैं.

शाहिद का ऑप्शनल सब्जेक्ट ऊर्दू साहित्य है जिसमें उनकी गहरी दिलचस्पी रही है. उन्होंने बिहार बोर्ड से मैट्रिक पास करने के बाद मदरसे में पढ़ाई की है.  वे गजलें लिखने का शौक भी रखते हैं. शाहिद का मानना है कि अपने ऑप्शनल सब्जेक्ट का चुनाव बेहद बारीकी से करना चाहिए और इसमें दिलचस्पी होनी जरूरी है क्योंकि परीक्षा में नाकाम होने के बाद आपको बार-बार एक ही चीज पढ़नी पड़ती है. इसके अलावा चूंकि ऑप्शनल पेपर की पढ़ाई गहराई से करनी होती है इसलिए दिल से पढ़ी चीजें याद रहती हैं.  

 

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पीटी हो या फिर मेंस, शाहिद एनसीईआरटी किताबों को कामयाबी की कुंजी मानते हैं. अपनी पहली दो कोशिशों में असफल रहने के बाद उन्होंने तीसरे प्रयास में पीटी के लिए बहुत सारे सवाल लगाए. टेस्ट सीरीज से प्रैक्टिस की फिर मेंस की तैयारी के लिए जामिया की आरसीए कोचिंग ज्वाइन की. शाहिद करेंट अफेयर्स को पीटी का दूसरा अहम पहलू मानते हैं. उनका कहना है कि ज्यादातर सवाल उनसे जुड़े होते हैं लिहाजा करेंट अफेयर्स की अनदेखी नहीं की जा सकती. मेंस को लेकर शाहिद का कहना है कि ज्यादातर सवालों के जवाब बुलेट प्वाइंट में देना चाहिए और डायग्राम का इस्तेमाल करना चाहिए. वहीं अपने ऑप्शनल ऊर्दू को लेकर शाहिद मौलाना आज़ाद नेशनल ऊर्दू यूनिवर्सिटी के एमए फर्स्ट और सेकेंड ईयर के मैटेरियल को बेहतरीन बताते हैं.

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बिहार में गया के अमीनाबाद गांव से आने वाले शाहिद रज़ा अपनी कामयाबी के पीछे अपने पूरे परिवार का हाथ मानते हैं, उनके परिवार में 7 भाई और 4 बहनें हैं जिन्होंने हर वक़्त उनकी हौसलाअफ़जाई की.

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