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This Article is From Oct 20, 2022

‘इंटरनेट शटडाउन’ और निगरानी के हिमायती लोगों की संख्या विरोधियों से अधिक : लोकनीति-CSDS

लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि बड़ी संख्या में इंटरनेट उपयोगकर्ता भले ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह उनके बीच सबसे कम विश्वसनीय है

‘इंटरनेट शटडाउन’ और निगरानी के हिमायती लोगों की संख्या विरोधियों से अधिक : लोकनीति-CSDS
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ‘इंटरनेट शटडाउन' (Internet Shutdown) का समर्थन करने वाले लोगों की संख्या इसके विरोधियों से कहीं अधिक है और बड़ी तादाद में लोग निगरानी के भी हिमायती हैं. गुरुवार को जारी एक नई सर्वे रिपोर्ट से यह बात सामने आई है. ‘भारत में मीडिया' (Media in India) विषय पर लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि बड़ी संख्या में इंटरनेट उपयोगकर्ता भले ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह उनके बीच सबसे कम विश्वसनीय मंच है.

सर्वे में शामिल कुल सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं में से आधों ने किसी न किसी पड़ाव पर फर्जी खबरों और सूचनाओं से भ्रमित होने की बात कही. यह सर्वे ‘कोनराड एडिन्योर स्टिफटंग' के साथ मिलकर किया गया. सर्वे में कहा गया है, “कानून-व्यवस्था के आधार पर सरकारों द्वारा इंटरनेट शटडाउन का समर्थन भी इसके विरोध से कहीं अधिक था. एकमात्र मुद्दा, संभवत: जिस पर इतनी रूढ़िवादी राय नहीं दिखी, वह था सरकार द्वारा सोशल मीडिया सामग्री का विनियमन.”

कुल प्रतिभागियों में से 36 फीसदी कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए इंटरनेट शटडाउन के पक्ष में थे, जबकि 26 प्रतिशत ने इसे गलत माना और 38 फीसदी ने कोई राय नहीं दी. सरकारी निगरानी के मामले में भी कुछ ऐसा ही मत देखने को मिला. बड़ी संख्या में लोगों ने निगरानी को अनैतिक नहीं माना. सर्वे के अनुसार, “बड़ी संख्या में प्रतिभागियों को सरकारी निगरानी में कुछ भी गलत नहीं नजर आता है.”

इसमें कहा गया है, “स्मार्टफोन और इंटरनेट के ज्यादातर उपयोगकर्ताओं को लगता है कि लोग इंटरनेट या स्मार्टफोन पर क्या करते हैं, इस पर सरकार नजर रखती है. हालांकि, उनकी इस राय का यह मतलब नहीं है कि वे सरकारी निगरानी के खिलाफ हैं.” सर्वे के मुताबिक, 34 फीसदी लोगों को लगता है कि सरकार इस बात पर नजर रखती है कि वे फोन और इंटरनेट पर क्या करते हैं. वहीं, 14 प्रतिशत का मानना है कि सरकार ऐसा नहीं करती है, जबकि 52 फीसदी ने इस बारे में कोई राय जाहिर नहीं की. इसी तरह, 28 फीसदी लोग सरकार द्वारा सोशल मीडिया सामग्री के विनियमन के पक्षधर थे. वहीं, 33 प्रतिशत इसके खिलाफ हैं, जबकि 39 फीसदी ने कोई राय नहीं व्यक्त की. 

सर्वे से यह भी पता चलता है कि आधे से ज्यादा इटंरनेट उपयोगकर्ता फर्जी खबरों को लेकर चिंतित हैं. वहीं, इतनी ही संख्या में सोशल मीडिया यूजर ने माना कि इंटरनेट पर उपलब्ध फर्जी खबरों और सूचनाओं ने उन्हें कभी न कभी भ्रमित किया है.

सीएसडीएस के निदेशक संजय कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, “हमने ग्रामीण और शहरी भारत, दोनों से व्यवस्थित रूप से उचित नमूने लिए, ताकि यह पता चल सके कि मीडिया के बारे में भारतीयों की वास्तविक राय क्या है.”

उन्होंने ने कहा, “मुझे लगता है कि सरकारी निगरानी के बारे में एक विभाजित राय है, लेकिन जब सुरक्षा की बात आती है, जो भारतीयों के लिए चिंता का बड़ा विषय बन गया है तो निगरानी को व्यापक समर्थन हासिल है और यह बात सर्वेक्षण से बहुत स्पष्ट रूप से सामने आई है.”

यह सर्वे 19 राज्यों में किया गया और पारंपरिक व नए मीडिया मंचों, दोनों पर केंद्रित था. इसमें 15 साल और उससे अधिक उम्र के कुल 7,463 नागरिक शामिल हुए.

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