!["यात्रा का लक्ष्य पॉलिटिकल नहीं है..." : NDTV से भारत जोड़ो यात्रा के बारे में राहुल गांधी "यात्रा का लक्ष्य पॉलिटिकल नहीं है..." : NDTV से भारत जोड़ो यात्रा के बारे में राहुल गांधी](https://c.ndtvimg.com/2022-11/gfmdeg4o_rahul-gandhi-_640x480_28_November_22.jpg?downsize=773:435)
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा मध्य प्रदेश में है. इसी क्रम में सोमवार को राहुल गांधी अपने काफिले के साथ यात्रा पर निकले. इस दौरान इंदौर के संवर में कुछ लोगों ने मोदी जिंदाबाद और जय श्री राम के नारे लगाए. नारे लगाने वाले लोग सड़क के डिवाइडर पर खड़े थे, जब यात्रा वहां से गुजर रही थी.
इधर, मध्य प्रदेश में यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने एनडीटीवी से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा, " मैं नमरोलॉजी में विश्वास नहीं करता हूं. तो नंबर्स पर इन चीजों को मैं बेस नहीं करता हूं. पर मैं आपको ये कह सकता हूं कि कन्याकुमारी से मध्य प्रदेश तक जनता का प्यार, भरोसा, जनता की शक्ति इस यात्रा को मिली है. जब यात्रा शुरु हुई थी, तो मीडिया ने कहा था कि केरल में तो यात्रा सक्सेसफुल रहेगी, मगर कर्नाटक में प्रॉब्लम आएगी. फिर हम कर्नाटक गए तो मीडिया ने कहा कि साउथ इंडिया में तो यात्रा अच्छी चलेगी, मगर साउथ से निकलने में प्रॉब्लम होगा. फिर तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में वही हुआ, जो कर्नाटक में हुआ. फिर हम महाराष्ट्र में आए, तो फिर मीडिया ने कहा, हिंदी बेल्ट में प्रॉब्लम होगी, महाराष्ट्र में यात्रा बहुत बढ़िया, अब मध्य प्रदेश में आए, अब मीडिया कह रही है, मध्य प्रदेश में बहुत अच्छा रेस्पॉन्स मिला, लेकिन राजस्थान में प्रॉब्लम होगी. तो देखते जाइए, क्योंकि ये जो यात्रा है, ये कांग्रेस पार्टी से अब आगे निकल गई है. ये यात्रा हिंदुस्तान की जो समस्या है, हिंदुस्तान के दिल में, हिंदुस्तान की आत्मा में जो आवाज है, अब ये यात्रा उसको उठा रही है, तो ये कहां पहुंचेगी, कहां नहीं पहुंचेगी, अब कोई नहीं बोल सकता है.
उन्होंने कहा, " इसमें दूसरी चीज बड़ी इंट्रेस्टिंग है, मैं कह रहा हूं, मैं दोहराता जा रहा हूं, कि इस यात्रा में किसी को थकान नहीं हो रही है. जो भी चल रहा है, आपको अजीब नहीं लगता, तो इस यात्रा में जो भी चल रहा है, चाहे वो 10 किलोमीटर चल रहा है, 25 किलोमीटर चल रहा है, जो भी, जितना भी चल रहा है, थकान किसी को नहीं हो रही है."
राहुल गांधी ने कहा, " आज एक लड़की आई मेरे पास, उसने कहा कि जैसे ही मैंने यात्रा शुरू की, पहले 15 मिनट मैंने सोचा, मैं कैसे चल पाऊंगी और 15-20 मिनट बाद जो भी मेरे माइंड में थकान थी, जो भी डर था, वो निकल गया, तो ये बड़ी इंट्रैस्टिंग बात है."
ईडबल्यूएस आरक्षण के संबंध पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस यात्रा के क्लियर लक्ष्य हैं, मैं इस यात्रा को डिस्ट्रैक्ट नहीं करना चाहता. इस यात्रा के पीछे सोच है, सबसे पहले जो हिंदुस्तान में नफरत, हिंसा और डर फैलाया जा रहा है, उसके सामने खड़े हुए हैं और इसका सेन्ट्रल आईडिया कि जनता की आवाज को सुनना सबसे जरूरी चीज है. उसके बाद जो देश में बेरोजगारी है, और ये यात्रा बेरोजगारी के खिलाफ और जो महंगाई बढ़ रही है, उसके खिलाफ है. मैं ज्यादा पॉलिटिकल मुद्दे इस यात्रा में रेज नहीं करना चाहता हूं. इस यात्रा को मैं डायवर्ट नहीं करना चाहता हूं और जो जनता कह रही है और जो फीडबैक हमें मिल रहा है, उसके बारे में हम आपसे जरूर बात कर रहे हैं.
भारत जोड़ो यात्रा में क्या गैर राजनीतिक लोग जुड़ रहे हैं के सवाल पर उन्होंने कहा कि आज एक मैं आपको बात बताऊं, आज एक आरएसएस के व्यक्ति आए. मुझे उन्होंने कहा, मैं आरएसएस का हूं, मैं यहां आज आपका स्वागत करने आया हूं, मैंने कहा आइए. यात्रा के बदौलत मजबूत प्रतिपक्ष बनने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरे साइड से ये मेरी जिम्मेदारी है और एक तरह से मेरी तपस्या है. जो तपस्या करता है, वो किसी कारण से तपस्या नहीं करता है कि मैं ये चाहता हूं, मैं वो चाहता हूं, या वो चाहता हूं (इशारा करते हुए कहा), मुझे कोई इंट्रैस्ट नहीं है. मुंझे लगा कि इस देश में जो नफरत और हिंसा फैलाई जा रही है, वो इस देश के लिए खतरनाक है. इस देश को नुकसान पहुंचाएगी और मैंने सोचा कि मेरी जिम्मेदारी क्या है? मेरे दिमाग में आया कि मैं इस नफरत के खिलाफ, हिंसा के खिलाफ, डर के खिलाफ कुछ करूं.
राहुल गांधी ने कहा, " ये जो आप देख रहे हैं, ये जो भारत जोड़ो यात्रा है, वो ये है और ये भावना सिर्फ मेरे में नहीं है, ये भावना बहुत सारे लोगों में है. कांग्रेसियों में हैं, नॉन कांग्रेसियों में है औऱ बीजेपी के लोगों में भी है. बहुत सारे बीजेपी के लोग भी सोचते हैं कि जो देश में हो रहा है, वो सही नहीं हो रहा है. मीडिया के साथ जो हो रहा है, इंस्टीट्यूशन्स के साथ जो हो रहा है, जनता के साथ, गरीबों के साथ, किसानों के साथ, मजदूरों के साथ जो हो रहा है, जो कॉन्सन्ट्रेशन ऑफ वेल्थ (Concentration of wealth) हो रहा है, भयंकर कॉन्सन्ट्रेशन ऑफ वेल्थ हो रहा है, इसके खिलाफ बहुत सारे लोग हैं. मगर कुछ सोचकर नहीं किया मैंने कि इससे ये फायदा मिलेगा, या इससे वो फायदा मिलेगा, इससे मुझे कुछ भी न मिले, तब भी ये मेरी जिम्मेदारी है और इसको मैं करूंगा, पूरा करूंगा."
एक प्रश्न पर कि जिन लोगों ने कांग्रेस की सरकार पिछली बार गिरा दी क्या उनके लिए कांग्रेस के दरवाजे यथावत खुले रहेंगे के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये सवाल आपको कांग्रेस प्रेसीडेंट और जो कांग्रेस की मध्य प्रदेश की लीडरशिप है, उनसे पूछना चाहिए. मेरा ओपिनियन है कि अगर वो लोग खरीदे गए हैं, पैसे से खरीदे गए हैं, तो उन पर भरोसा नहीं करना चाहिए.
किसी गांव वाले से पूछ लीजिए, अरबपति से पूछ लीजिए, अमेरिका के राष्ट्रपति से पूछ लीजिए. उनसे पूछिए भईया, बताइए, हिंदुस्तान की स्ट्रैंथ क्या है? करुणा, भाईचारा, म्यूचुअल रेस्पेक्ट भारत की स्ट्रैंथ हैं. तो यात्रा का ये लक्ष्य है.
आप इस बात को बिलीव नहीं करते हो, मगर इस यात्रा का लक्ष्य पॉलिटिकल नहीं है. इस यात्रा का लक्ष्य देश को याद दिलाना, इस देश का नेचर क्या है, इस देश की संस्कृति क्या है, इस देश का इतिहास क्या है, इस देश का डीएनए क्या है, ये है इस यात्रा का लक्ष्य. अब उसमें political repercussions (प्रभाव) हों, तो होंगे, मगर जिस स्थिति पर आज हिंदुस्तान है, अगर हम इस रास्ते पर चलते गए, तो देश को बहुत भयंकर नुकसान होने वाला है. इंटर्नेशनल लेवल से और इंटरनली, इसलिए हमने ये यात्रा की है.
एक प्रश्न पर कि 2018 में मध्य प्रदेश में आपकी सरकार बनी थी, लेकिन चली गई, क्या आपने अभी मध्य प्रदेश में ऐसे पॉजिटिव रिस्पोंस की उम्मीद की थी? इस पर राहुल गांधी ने कहा कि मैं केरल से निकला तो मेरे माइंड में था कि केरल को अब कोई नहीं हरा सकता. मतलब ये जो रिस्पोंस मिला है, केरल के बाद तो मिल ही नहीं सकता. महाराष्ट्र ने उनको गिरा दिया और मैं सच बोलूं, तो मुझे लग रहा है जो कल इंदौर में हुआ, वो मैंने महाराष्ट्र में नहीं देखा. तो मुझे लग रहा है जो पब्लिक रिस्पोंस मध्यप्रदेश में है, वो बाकी स्टेटों से आगे है. ये मेरी फीलिंग है और मध्यप्रदेश के लोगों के दिमाग में, माइंड में ये यात्रा बहुत गहरी बैठ गई है.
इस पूरी यात्रा का सबसे सुखद क्षण कौन सा रहा है? बहुत सारे क्षण हैं, एक नहीं कह सकता हूं. ऐसी यात्रा पर कोई निकलता है, मैंने ये पहले कभी नहीं किया था. छोटा काम नहीं है, तो पहले निकलते हैं, पहले 5 दिन बाद, पहले 5-10 दिन बाद पता लगता है कि भाई 3,700 किलोमीटर चलने हैं. बीच में मेरे घुटने में दर्द होना शुरु हो गया, मेरी पुरानी इंजरी (चोट) थी. पहले ठीक हो गई थी, वो थोड़ी डिस्टर्ब हो गई, तो काफी डिस्कंफर्ट था, डर था कि चल पाऊंगा कि नहीं, फिर आहिस्ता-आहिस्ता उस डर का सामना किया कि भाई चलना पड़ेगा, सवाल ही नहीं उठता. तो वैसे क्षण अच्छे होते हैं कि आपको कोई चीज डिस्टर्ब कर रही है और आप अडैप्ट कर गए (मुकाबला कर पाए). तो अच्छा लगता है.
एक बार को, मैं ये नहीं कहूंगा कि ये सबसे अच्छा क्षण था, क्योंकि बहुत सारे थे, लेकिन जब आपने सवाल पूछा तो ये क्षण याद आया कि मेरे पैर में, घुटने में काफी दर्द हो रहा था, मैं चल रहा था और बहुत सारे लोग मुझसे बात कर रहे थे. धक्का लगता है, ऐसे धक्का लगता है (इशारा करके समझाते हुए कहा), तो जब धक्का लगता है तो चोट लगती है. तो मैं कहता रहता हूं कि थोड़ा आप साइड में चलिए, साइड में चलिए, मतलब ऐसे कहता हूं. ज्यादातर लोग मानते नहीं है, परंतु मैं कहता रहता हूं. तो फिर एक छोटी सी लड़की आई, मुझे याद नहीं मैं कर्नाटक में था या केरल में था. एक छोटी सी लड़की आई और मुझे काफी दर्द हो रहा था उस टाइम. तो वो आई और साइड में चल रही थी और मैंने नोटिस किया वो मेरे अंदर नहीं आ रही थी, मतलब बाकी लोग सब ऐसे आ रहे थे, वो थोड़ा दूर चल रही थी, मैंने नोटिस किया. फिर उसने चिट्ठी निकाली और उसने कहा देखो, ये आप पढ़ लीजिए. तो जैसे ही मैंने पढ़ना शुरु किया, तो उसने कहा नहीं, आप अभी मत पढ़िए, आप चल रहे हैं, आप बाद में पढ़ना. तो फिर मैं चल रहा था, वो चली गई. फिर मैंने वो चिट्ठी, थोड़ी देर बाद मैंने देखा, मैं देख ही लेता हूं क्या है इसमें. क्योंकि जिस भावना से उसने मुझे बोला, छोटी सी लड़की थी, शायद 6-7 साल की लड़की थी. जिस भावना से उसने मुझे बोला, मुझे अच्छा लगा कि इसमें कुछ है. तो फिर मैंने खोला, तो उसमें लिखा था कि देखिए आप ये मत सोचो कि आप अकेले चल रहे हैं, मैं आपके साथ चल रही हूं. मैं चल नहीं पा रही हूं, क्योंकि मेरे माता-पिता मुझे चलने नहीं दे रहे हैं, मगर मैं आपके साथ चल रही हूं. तो वो मुझे बहुत अच्छा लगा, उदाहरण है और ये छोटा सा उदाहरण है, ऐसे मैं आपको हजारों उदाहरण दे सकता हूं. ये पहले आया माइंड में.
मैं आपको बड़ी इंट्रैस्टिंग बात बताता हूं, यात्रा में क्या हो रहा है, दो-तीन चीजें आपको बताता हूं. तो एक तो चल रहे हैं और जैसे मैंने आपको कहा किसी को दर्द होता है, तो उसका सामना करना पड़ता है. दूसरी बड़ी इंट्रेस्टिंग बात होती है कि पेशेंस जो होती है, वो ड्रैमेटिकली इनक्रीज (तेजी से बढ़ रही है) हो रही है कि अगर मैं पहले एक-दो घंटे में इरीटेट हो जाता था, अब मैं 8 घंटे में इरीटेट नहीं होता हूं. आप हंस रहे हैं, मगर ये बहुत इंट्रैस्टिंग चीज है. अब मुझे यहाँ धक्का लग जाए, पीछे से खींच लिया, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. तो ये दूसरी बड़ी इंट्रैस्टिंग चीज है कि जो पेशेंस है, वो बढ़ रही है और तीसरी बात है कि सुनने का तरीका बदल गया है. तो अब अगर कोई व्यक्ति आता है, जिस प्रकार से मैं उसकी आवाज को सुनता हूं, उसका नेचर बदल गया है. मैं ज्यादा उसकी ओर से आवाज को सुनता हूं. मैं अपनी ओर से नहीं, मैं यहाँ से नहीं देखता हूं, मैं उधर से देखता हूं. तो ये मुझे लग रहा है काफी फायदेमंद चीजें हैं.
एक अन्य प्रश्न पर कि आपने दो इशू को रेज किया है भारत जोड़ो यात्रा के दौरान महंगाई और बेरोजगारी, अगर कांग्रेस को अवसर दिया जनता ने, तो क्या फॉर्मूला होगा बेरोजगारी को दूर करने के लिए? -- पहले ये जो बेरोजगारी है, इसका सबसे बड़ा कारण कॉन्सन्ट्रेशन ऑफ वेल्थ कि तीन-चार लोगों के हाथ आपने हिंदुस्तान का पूरा धन डाल दिया है. जो भी वो करना चाहते हैं, जो भी बिजनेस वो चाहते हैं, वो कर सकते हैं और हर इंडस्ट्री में वो एक के बाद एक मोनोपॉली क्रियेट कर रहे हैं. आप हिंदुस्तान के सब इंडस्ट्री देख लीजिए आपको मोनोपॉली ही दिखेगी. टेलीकॉम, रिटेल, इन्फ्रास्ट्रक्चर, सब जगह, एयरपोर्ट, पोर्ट सब में आपको मोनोपॉली दिखेगी. मोनोपॉली का क्या मतलब है, मोनोपॉली का मतलब है कि जो स्मॉल एंड मीडियम बिजनेस हैं, जो ग्रो कर सकते हैं, उनको आपने खत्म कर दिया. तो जो ग्रोथ पोटेंशियल है, ग्रोथ पोटेंशियल स्मॉल और मीडियम में है, ग्रोथ पोटेंशियल लार्ज में नहीं है. साइज लार्ज में है, पर ग्रोथ पोटेंशियल स्मॉल और मीडियम में है, उसको आपने खत्म कर दिया है और ये आप किसी भी स्मॉल और मीडियम बिजनेसमैन से पूछ लीजिए कि जीएसटी और नोटबंदी ने क्या किया, वो बता देंगे आपको.
तो सबसे पहले जो ग्रोथ पोटेंशियल देते हैं, उन पर फोकस करना जरूरी है. दूसरी बात, जो इस देश का फाउंडेशन है, जो इस देश की नींव हैं, जो किसान हैं, उनको बिल्कुल छोड़ दिया है, उनको कोई सपोर्ट ही नहीं दे रहे हैं. वो दिन भर चिल्ला रहे हैं, उनको बीमा का पैसा नहीं मिलता. उनको सही दाम नहीं मिलता. खाद की प्राईस बढ़ती जा रही है, खाद मिलता भी नहीं है. तो ये जो बेसिक स्ट्रक्चर है, इसको डेवलप करना और इसकी रक्षा करना.
दूसरी बात, जो ब्लेटेंट प्राईवेटाइजेशन हो रहा है, इंडस्ट्री का, स्कूल का, कॉलेज का, यूनिवर्सिटी का, अस्पताल का, हमारी सोच में इसके बारे में फर्क है. हम चाहते हैं कि एजुकेशन और हेल्थकेयर में सरकार भाग ले, ये सरकार की जिम्मेदारी है, मतलब ये है कि किसी बिजनेसमैन की जिम्मेदारी नहीं है. वो जरूर अगर करना चाहें तो कर सकते हैं, पर जो मेन एजुकेशन का सिस्टम हो, जो मेन हेल्थकेयर का सिस्टम हो, उसमें सरकार जनता की मदद करे. सरकार जनता को सपोर्ट करे, इसका मतलब उसमें ज्यादा पैसा डाले. ठीक है, तो ये बेसिक फर्क है.
परंतु मेन फर्क हिंदुस्तान को चलाना एक डाइनेमिक काम है और उसमें सबसे जरुरी काम जनता के दिल में क्या है, जनता क्या चाहती है, उस आवाज को सुनना। तो आप अगर जनता की आवाज को सुनोगे, तो आपको इंडिकेशन मिल जाएगा। मुझे याद है यूपीए की सरकार थी, हमने मनरेगा लागू किया और मजदूरों की मदद की और एक-दो साल बाद हमारे पास किसान आए और उन्होंने बहुत अच्छी तरह हमें समझाया कि देखिए, आपने मजदूरों की मदद की, उनका रेट बढ़ गया, हमारा कंपनसेशन क्या है। हमें भी कंपनसेशन मिलना चाहिए और जैसे ही उन्होंने ये रेशनल (तर्क संगत) बात हमें बताई, हमने उसको एक्सेप्ट किया। हमने कर्जा माफ किया.
तो मेरा कहना है कि ये देश डाइनेमिक देश है। इसको आप किसी रिजिड स्ट्रक्चर के साथ नहीं चला सकते और बीजेपी इस देश की आवाज नहीं सुन रही, आरएसएस-बीजेपी इस देश की आवाज नहीं सुन रहे हैं और वो रिजिड तरीके से देश को चला रहे हैं। उनके जो आईडिय़ा हैं, उनकी जो सोच है, उससे वो चला रहे हैं। देश, हिंदुस्तान की सोच से चलना चाहिए। सरकार की सोच से नहीं चलना चाहिए। इसलिए जैसे जयराम रमेश जी ने मुझे डायरेक्शन दिया, मुझे एडवाइस दी, मैंने सुना। नहीं बहुत जरुरी बात है और मैं सिर्फ जयराम रमेश जी की बात नहीं कर रहा हूं। जो भी मुझे कुछ कहता है, मैं सुनता हूं, ठीक है, इसमें लॉजिक है? लॉजिक है तो करना चाहिए।
राजस्थान में जो राजनीतिक हालात हैं, क्या इस यात्रा पर उसका असर पड़ेगा? -- मैं इसमें जाना नहीं चाहता हूं कि किसने क्या कहा। ये दोनों नेता कांग्रेस पार्टी की एसेट हैं। मगर मैं आपको एक बात की गारंटी दे सकता हूं कि भारत जोड़ो यात्रा पर इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला है।
भट्टा पारसौल से लेकर अब तक जब आप भारत जोड़ो यात्रा में चल रहे है, आप पर पर्सनल अटैक लगातार हो रहे है, इसके बारे में क्या कहेंगे, -- बीजेपी की प्रॉब्लम क्या है, मैं आपको बता देता हूँ। प्रॉब्लम ये है और इस यात्रा को, इसको मैं कह सकता हूँ, छोटे तरीके से दिखाया है, बड़े तरीके से नहीं दिखाया है, छोटे तरीके से दिखाया है कि क्योंकि अभी मैंने शुरुआत की है। बीजेपी की प्रॉब्लम है कि उन्होंने हजारों करोड़ रुपए मेरी इमेज को खराब करने में लगा दिए हैं, और मेरी यहाँ पर उन्होंने एक इमेज बना दी है।
अब लोग सोचते हैं कि ये मेरे लिए नुकसानदायक है, मगर एक्चुअली ये मेरे लिए फायदेमंद है, क्यों, क्योंकि सच्चाई मेरे साथ में है और सच्चाई को छुपाया नहीं जा सकता, तो जितना पैसा ये मेरी इमेज को खराब करने में डालेंगे, उतनी शक्ति वो मुझे दे रहे हैं, उतना मैन्युवरिंग वो मुझे दे रहे हैं, आप देखना। क्योंकि सच्चाई को छुपाया नहीं जा सकता, दबाया नहीं जा सकता है। जहाँ तक पर्सनल अटैक्स की बात है, पर्सनल अटैक्स इसलिए आते हैं, क्योंकि व्यक्ति राजनैतिक पोजीशन लेता है, अगर आप बड़ी शक्तियों से लड़ोगे तो पर्सनल अटैक आएगा, अगर आप किसी शक्ति से लड़ नहीं रह हो, अगर आप ऐसे ही फ्लोट कर रहे हो तो पर्सनल अटैक नहीं आएगा। तो मैं जानता हूँ कि जब मेरे पास पर्सनल अटैक आता है, तो मैं सही काम कर रहा हूँ, मैं सही डायरेक्शन में चल रहा हूँ।
तो एक तरीके से ये जो पर्सनल अटैक होता है, ये जो पैसा बीजेपी मेरी इमेज को खराब करने में डालती है, ये एक प्रकार से मेरा गुरु है, ये मुझे सिखाता है कि इधर जाना है, इधर नहीं जाना, उधर जाना है, क्योंकि लड़ाई क्या है- लड़ाई जो आपके सामने खड़ा है, लड़ाई उसकी सोच को गहराई से समझने की है। ठीक है औऱ मैं आहिस्ते, आहिस्ते, आहिस्ते, आहिस्ते आरएसएस और बीजेपी की सोच को बहुत गहराई से समझने लगा हूँ। तो लड़ाई में मैं आगे बढ़ रहा हूँ और अगर आगे बढ़ रहा हूँ, तो सब कुछ ठीक है।
एक अन्य प्रश्न पर कि लगातार आप भारत जोड़ो के द्वारा एकता की बात कर रहे हैं, अहिंसा की बात कर रहे हैं, लेकिन बीजेपी कॉमन सिविल कोड के नाम पर गुजरात में विभाजन की कोशिश कर रही है, इसको कैसे देखते हैं, श्री राहुल गांधी ने कहा कि उनको जो करना है, उनको करना है। हमें जो करना है, हमें करना है। हमारा डायरेक्शन क्लियर है,उनका डायरेक्शन क्लियर है। हम जानते हैं, हमें क्या करना है, किन लोगों की मदद करनी है, किनकी रक्षा करनी है, हम जानते हैं। ठीक है, पर हम अपना काम कर रहे हैं।
एक अन्य प्रश्न पर कि आप तमिलनाडु से शुरु हुए और मध्य प्रदेश तक आ गए हैं, इस यात्रा से राहुल गांधी को क्या सोच मिली है लोगों की,-- भाई साहब, राहुल गांधी को बहुत सालों पहले मैंने छोड़ दिया है। राहुल गांधी आपके दिमाग में है, मेरे दिमाग में है ही नहीं, बात समझो। Try and understand, Try and Understand, आप अपने देश की, ये देखो ताली बज रही है। समझ गए आप? समझ गए। एक बंदा समझ गया। आपके देश की फिलॉसफी है ये, इसको समझो आप, फायदा होगा।
ये जो मास कनेक्ट प्रोग्राम है, क्या ये आपको नहीं लगता कि पहले शुरु करना चाहिए था, -- चीजें समय से ही होती हैं। जब टाइम आता है, तो बात बनती है। उससे पहले नहीं होता। मैंने सोचा था, सबसे पहले मैंने ये यात्रा जब मैं एग्जेक्टली याद नहीं पर 25-26 साल का था, फिर मैंने इसकी, जयराम जी को भी नहीं मालूम मगर इसकी मैंने डीटेल्ड प्लानिंग एक साल पहले की थी और फिर कोरोना के कारण, किसी और कारण नहीं हुआ, इस यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अब है।
इस यात्रा के बाद आपके सार्वजनिक जीवन में क्या बदलाव आएगा के सवाल पर उन्होंने कहा कि हर जीव बस बदलता ही रहता है। सिर्फ आरएसएस के लोग सोचते हैं कि जीव बदलता नहीं है। मगर अगर आप देखें, तो हर जीव सीखता है, बदलता है, समझता है, नहीं समझता है। तो ये तो कॉन्स्टैन्ट प्रोसेस है, इसको इम्पर्मानेंस (अनस्थिरता) कहते हैं.
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