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This Article is From Sep 07, 2023

Byculla Zoo: चिड़ियाघर में जानवर नहीं और BMC ने खाली बाडों पर खर्च कर दिए 20 करोड़ रुपये

बीएमसी ने अक्टूबर 2018 से जुलाई 2023 तक बायकुला चिड़ियाघर में पेंगुइन के रोजाना देखभाल पर 29.43 करोड़ रुपये खर्च किए. आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक, बायकुला चिड़ियाघर ने खाली पिंजरे पर लगभग 20 करोड़ खर्च किए हैं.

Byculla Zoo: चिड़ियाघर में जानवर नहीं और BMC ने खाली बाडों पर खर्च कर दिए 20 करोड़ रुपये
मुंबई:

बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने मुंबई के बायकुला चिड़ियाघर (Byculla Zoo in Mumbai) में जानवरों के बाड़ों पर मोटी रकम खर्च किए हैं. सूचना का अधिकार (RTI)से मांगी गई जानकारी में ये बात सामने आई है कि बीएमसी ने जिन शेरो, भेड़िए के नाम पर करीब 20 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, उनमें से एक भी जानवर चिड़ियाघर में नहीं है. The Young Whistleblowers Foundation ने RTI दायर की थी. इससे मिली जानकारी के मुताबिक, शेरों के लिए एक बाड़े पर 8.25 करोड़, भेड़ियों के लिए एक बाड़े पर 7.15 करोड़ और ऊदबिलाव के लिए बाड़े पर 3.82 करोड़ खर्च किए गए. इनमें से कोई भी जानवर इस चिड़ियाघर में नहीं है.

बीएमसी ने अक्टूबर 2018 से जुलाई 2023 तक बायकुला चिड़ियाघर में पेंगुइन के रोजाना देखभाल पर 29.43 करोड़ रुपये खर्च किए. आरटीआई के तहत मिली जानकारी के मुताबिक, बायकुला चिड़ियाघर ने खाली पिंजरे पर लगभग 20 करोड़ खर्च किए हैं.

आरटीआई दाखिल करने वाले फाउंडेशन ने कहा, "इस तरह का खर्च तर्क और राजकोषीय विवेक को खारिज करता है. जानवरों की खरीद की पुष्टि हो जाने के बाद इन बाड़ों का निर्माण करना एक विवेकपूर्ण कदम होता. जानवरों को हासिल करने की स्पष्ट योजना के बिना बाड़ों में भारी निवेश करने का बृहन्मुंबई नगर निगम का निर्णय स्पष्ट रूप से सार्वजनिक धन का अनुचित उपयोग करना है."

फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं ने खाली बाड़ों पर भारी मात्रा में खर्च किए जाने को लेकर चिड़ियाघर पर सवाल उठाया है. हालांकि, बीएमसी के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर एक समाचार वेबसाइट को बताया कि ये खर्च एक बार का निवेश था. अधिकारी ने कहा, "मैं इस खर्च को नेगेटिव तौर पर लेने वालों से सहमत नहीं हूं. अधिकारी ने दावा किया कि स्टेनलेस स्टील, कंक्रीट और अन्य सामग्रियों की ऊंची कीमत के कारण चिड़ियाघर को "लागत से लगभग दोगुना खर्च" करना होगा.

अधिकारी ने कहा, "एक बार की लागत के रूप में वर्णित बाड़ों को केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय सहित अधिकारियों से आवश्यक मंजूरी के बाद बनाया गया था." एक दूसरे अधिकारी ने बताया, "नए जानवरों को लाने की प्रक्रिया में समय लगता है. बाड़ों को नए जानवरों के आने के लिहाज से बनाया गया था." 

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