विदेश सचिव एस. जयशंकर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पाकिस्तान के विदेश सचिव की ओर से कश्मीर मसले पर दिए गए प्रस्ताव का भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर ने करारा जवाब दिया है. अपने जवाब में विदेश सचिव ने पाकिस्तान से पूछा है कि वह पीओके (पाक के कब्जे वाले कश्मीर) को कब ख़ाली करेगा. जयशंकर ने ये चिठ्ठी पाकिस्तानी विदेश सचिव के उस प्रस्ताव के जबाव में लिखी है जिसमें उन्होंने कश्मीर के हालात पर विशेष वार्ता की पेशकश की थी.
विदेश सचिव ने 16 अगस्त की अपनी चिट्ठी में पाक को आतंक और हिंसा के लंबे इतिहास को याद दिलाते हुए कहा है कि 1948 से शुरुआत करके पाकिस्तान ने 1965 में और फिर उसके बाद 1998 में कारगिल समेत कई सालों से घुसपैठ कराई है. पाकिस्तान को दिए अपने जवाब में उन्होंने कश्मीर के आतंकवाद में पाकिस्तान की सालों से रही भूमिका का हवाला देते हुए कहा कि किस तरह इस्लामाबाद अपने वादों से मुकरता रहा है.
विदेश सचिव ने बातचीत के लिए सहमति तो जताई लेकिन साफ किया कि आतंकवाद के मुद्दे पर बात होगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि विदेश सचिव ने कई प्वाइंट्स रखे जिसमें कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन बंद करने से लेकर आतंकवादी अड्डे बंद करने की मांग तक शामिल हैं.
इस जवाब से ज़ाहिर है कि बातचीत पर भारत का क्या रुख़ है. इस्लामाबाद जाने को लेकर विदेश सचिव ने जो शर्तें पाकिस्तान के सामने रखी हैं, उनमें सीमा पर आतंकवाद बंद करने, कश्मीर में आतंक और हिंसा ख़त्म करने, जिन लोगों ने कश्मीर में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया उनके आकाओं के खिलाफ कार्रवाई किए जाने, बहादुर अली जैसे आतंकियों के संगठन को नेस्तनाबूद करने और यह जानकारी देने कि वह कितनी जल्दी पीओके खाली करेगा, शामिल हैं.
इस बीच विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सार्क मीटिंग में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के जाने को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. इसी तरह पीएम मोदी के पाकिस्तान में सार्क सम्मेलन में शामिल होने को लेकर समय आने पर फैसला होगा.
विदेश सचिव ने 16 अगस्त की अपनी चिट्ठी में पाक को आतंक और हिंसा के लंबे इतिहास को याद दिलाते हुए कहा है कि 1948 से शुरुआत करके पाकिस्तान ने 1965 में और फिर उसके बाद 1998 में कारगिल समेत कई सालों से घुसपैठ कराई है. पाकिस्तान को दिए अपने जवाब में उन्होंने कश्मीर के आतंकवाद में पाकिस्तान की सालों से रही भूमिका का हवाला देते हुए कहा कि किस तरह इस्लामाबाद अपने वादों से मुकरता रहा है.
विदेश सचिव ने बातचीत के लिए सहमति तो जताई लेकिन साफ किया कि आतंकवाद के मुद्दे पर बात होगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि विदेश सचिव ने कई प्वाइंट्स रखे जिसमें कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन बंद करने से लेकर आतंकवादी अड्डे बंद करने की मांग तक शामिल हैं.
इस जवाब से ज़ाहिर है कि बातचीत पर भारत का क्या रुख़ है. इस्लामाबाद जाने को लेकर विदेश सचिव ने जो शर्तें पाकिस्तान के सामने रखी हैं, उनमें सीमा पर आतंकवाद बंद करने, कश्मीर में आतंक और हिंसा ख़त्म करने, जिन लोगों ने कश्मीर में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया उनके आकाओं के खिलाफ कार्रवाई किए जाने, बहादुर अली जैसे आतंकियों के संगठन को नेस्तनाबूद करने और यह जानकारी देने कि वह कितनी जल्दी पीओके खाली करेगा, शामिल हैं.
इस बीच विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सार्क मीटिंग में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के जाने को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है. इसी तरह पीएम मोदी के पाकिस्तान में सार्क सम्मेलन में शामिल होने को लेकर समय आने पर फैसला होगा.
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