तेलंगाना उपचुनाव में मुकाबला BJP-TRS के बीच था, लेकिन कांग्रेस की हुई हार

मुनूगोड़े वास्तव में कांग्रेस का गढ़ था. 2018 में कोमातीरेड्डी राजगोपाल रेड्डी ने यहां जीत हासिल की थी. रेड्डी ने बाद में कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया और इस साल अगस्त में बीजेपी में शामिल हो गए. कांग्रेस ने पलवई श्रावंती को इस सीट पर उम्मीदवार बनाया, जिनके पिता ने लंबे समय तक इस क्षेत्र की सेवा की थी.

हैदराबाद. तेलंगाना के नलगोंडा जिले के मुनूगोड़े विधानसभा सीट (Telangana By-Election Result)पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस ने रविवार को हाई-वोल्टेज मुनुगोडे विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में जीत हासिल की, लेकिन उपचुनाव की असली कहानी कांग्रेस की थी. तेलंगाना में कांग्रेस कभी अपनी चुनावी ताकत का एक प्रमुख स्रोत थी. कांग्रेस की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी को अक्सर तेलंगाना के गठन का श्रेय दिया जाता है. यहां तक ​​कि टीआरएस नेता और मुख्यमंत्री केसीआर भी कांग्रेस को तेलंगाना के गठन का क्रेडिट देते हैं. फिर भी कांग्रेस 2014 से यहां राजनीतिक लाभ पाने में नाकाम रही है.

मुनूगोड़े विधानसभा सीट पर टीआरएस उम्मीदवार कुसुकुंतला प्रभाकर रेड्डी ने अपने निकटतम बीजेपी प्रतिद्वंद्वी कोमातीरेड्डी राज गोपाल रेड्डी को एक कड़े मुकाबले में 10000 से अधिक वोटों से हराया.

2018 के तेलंगाना चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने 117 में से 19 विधानसभा सीटें जीती. उत्तम कुमार रेड्डी सांसद बने और 2019 में विधायक के रूप में पद छोड़ दिया. उसी वर्ष 12 विधायक सत्तारूढ़ टीआरएस में स्थानांतरित हो गए, जिनके पास पहले से ही एक बड़ा बहुमत था. इसके बाद कांग्रेस के पास सिर्फ 6 सीटें रह गईं.

विद्रोहियों ने विधायी दल को विभाजित कर दिया. इस प्रकार वो दलबदल विरोधी कानून के तहत दंड पाने से भी बच गए. इसके बाद कांग्रेस विधानसभा में विपक्षी पार्टी का दर्जा भी गंवा बैठी. मुनूगोड़े चुनाव कांग्रेस के लिए एक परीक्षण जैसा था, जिससे साबित हो सके कि वह राज्य में अभी भी गिनती में आती है.

मुनूगोड़े वास्तव में कांग्रेस का गढ़ था. 2018 में कोमातीरेड्डी राजगोपाल रेड्डी ने यहां जीत हासिल की थी. रेड्डी ने बाद में कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया और इस साल अगस्त में बीजेपी में शामिल हो गए. कांग्रेस ने पलवई श्रावंती को इस सीट पर उम्मीदवार बनाया, जिनके पिता ने लंबे समय तक इस क्षेत्र की सेवा की थी. कांग्रेस ने आशा व्यक्त की कि 1.2 लाख महिला मतदाता ऐसे समय में उनका समर्थन करेंगी, जब टीआरएस और बीजेपी बड़ा दांव लगा रही थीं.

लेकिन टीआरएस और बीजेपी के मुकाबले कांग्रेस के पास खर्च करने के लिए पैसे नहीं थे. इसके नेतृत्व का ध्यान उपचुनाव और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बीच बंट गया, जो चुनाव से एक सप्ताह पहले राज्य से होकर गुजरी.

राहुल गांधी राज्य में रहने के बावजूद मुनूगोड़े के प्रचार से दूर रहे. वरिष्ठ नेताओं ने इसे "केवल एक उपचुनाव" के रूप में खारिज कर दिया. अब मुनूगोड़े में कांग्रेस तीसरे नंबर पर है. ऐसा लगता है कि पार्टी 2023 में सरकार बनाने की दौड़ में भी होने का भरोसा भी खो देगी.

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