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This Article is From Jul 12, 2022

तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी से की कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न देने की मांग

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) के साथ पटना में मंच साझा किया. बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह में आए पीएम मोदी के सामने तेजस्वी ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने समेत दो मांगें रखीं.

तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी से की कर्पूरी ठाकुर को भारतरत्न देने की मांग
पटना में पीएम मोदी के साथ मंच साझा करते हुए राजनेता.
पटना:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) आज शाम बिहार विधानसभा भवन में शताब्दी स्मृति स्मृति स्तंभ के लोकार्पण के लिए बिहार (Bihar) की राजधानी पटना पहुंचे. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar), विधानसभा स्पीकर विजय सिन्हा के अलावा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) भी मौजूद रहे. इस दौरान तेजस्वी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने बिहार के लिए दो मांगें रख दीं. तेजस्वी ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया जाए और राज्य में स्कूल ऑफ डेमोक्रेसी खोला जाए. 

तेजस्वी यादव ने अपनी मांगों में कहा कि प्रधानमंत्री जी जैसा मैंने पहले कहा कि हमारे राज्य के वैशाली से ही लोकतंत्र बाकी जगहों पर प्रसारित हुआ. अतः मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि School of Democracy & Legislative Studies जैसी एक संस्था बिहार में स्थापित हो, जिसके माध्यम से विधायी और लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं पर शोध एवं अध्ययन का अवसर और प्रशिक्षण लोगों को दिया जा सके.

यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री जी आपने योग्य और विशेषज्ञ व्यक्तियों को पद्मश्री पद्म विभूषण इत्यादि सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार देने की एक स्वस्थ एवं सकारात्मक परंपरा स्थापित की है. इसी प्रांगण में हम जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की आदमक़द प्रतिमा के बगल में बैठे हैं. हमारी मांग है कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देकर इस शताब्दी वर्ष समारोह एवं देश के किसी भी प्रधानमंत्री के बिहार विधानसभा प्रांगण में प्रथम आगमन को और अधिक यादगार बनाने की कृपा करें.

उन्होंने कहा कि यहां उपस्थित हरेक माननीय सदस्य की यह हार्दिक इच्छा है कि जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को अवश्य ही भारत रत्न मिलना चाहिए. लोकतंत्र के समक्ष कई चुनौतियां हैं, लेकिन हम सामूहिक प्रयास और संकल्प से जनतंत्र को धनतंत्र और छलतंत्र से बचा सकते हैं. हमारे पुरखों ने हमें लोकतंत्र की समृद्ध विरासत सौंपी है. आवश्यकता है कि हम सब मिलकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करें. विधानसभा के शताब्दी वर्ष में यही चुनौती भी है और अवसर भी.

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