टाटा मोटर्स (Tata Motors) ने सिंगूर-नैनो प्रोजेक्ट केस (Singur-Nano Project Case) में पश्चिम बंगाल सरकार से मुआवजे का केस जीत लिया है. टाटा मोटर्स लिमिटेड ने कहा कि एक मध्यस्थता पैनल ने सिंगूर-नैनो प्रोजेक्ट केस में पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम (West Bengal Industrial Development Corp.) से ब्याज समेत 766 करोड़ रुपये की वसूली के लिए उसके पक्ष में फैसला सुनाया है.
टाटा कंपनी ने पश्चिम बंगाल के सिंगूर में ऑटोमोबाइल विनिर्माण सुविधा के संबंध में पूंजी निवेश के नुकसान के कारण WBIDC से मुआवजे का दावा किया था. WBIDC पश्चिम बंगाल के उद्योग, वाणिज्य और उद्यम विभाग की प्रमुख नोडल एजेंसी है.
कार्यवाही की लागत के लिए 1 करोड़ रुपये भी वसूलेगी कंपनी
कंपनी को इसके साथ ही कार्यवाही की लागत के लिए 1 करोड़ रुपये भी वसूल करेगी. बयान में कहा गया है कि फैसले के बाद आर्बिट्रल प्रोसिडिंग्स यानी मध्यस्थता की कार्यवाही खत्म हो गई है.
ये था विवाद?
दरअसल, 18 मई, 2006 को टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रतन टाटा ने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और तत्कालीन वाणिज्य राज्य मंत्री निरुपम सेन के साथ एक बैठक बाद सिंगूर में टाटा मोटर की छोटी कार प्रोजेक्ट लगाने की घोषणा की थी. इसके बाद प्रोजेक्ट के लिए जरूरी 1 हजार एकड़ जमीन की खरीद की प्रक्रिया शुरू हुई. इस मामले में 2006 में 27 मई और 4 जुलाई के बीच हुगली जिला प्रशासन द्वारा तीन बाद सर्वदलीय बैठक बुलाई. तृणमूल कांग्रेस ने इन बैठकों का बहिष्कार किया. पुलिस द्वारा 30 नवंबर, 2006 को ममता बनर्जी को सिंगूर जाने से रोकने के बाद पश्चिम बंगाल विधानसभा में बड़ा हंगामा हुआ. तृणमूल कांग्रेस के विधायकों ने विधानसभा में तोड़फोड़ की. इनमें वर्तमान में कई कैबिनेट मंत्री भी हैं.
ममता बनर्जी ने किया था आमरण अनशन
विपक्ष के नेता के रूप में ममता बनर्जी ने 3 दिसंबर 2006 से कोलकाता के दिल एस्प्लेनेड में सिंगूर प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आमरण अनशन शुरू किया. वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पूर्व प्रधान मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह उन प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं में से थे, जिन्होंने उनके 25-दिवसीय अनशन के दौरान उनसे मुलाकात की और एकजुटता जाहिर की. इस बीच पूरे राज्य में आंदोलन जारी रहा.
इसी तरह की मध्यस्थता की बैठक 12 सितंबर, 2008 को हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. आखिर में 3 अक्टूबर, 2008 की दोपहर दुर्गा पूजा उत्सव से दो दिन पहले रतन टाटा ने कोलकाता में प्राइम होटल में बुलाए गए प्रेस कॉन्फ्रेंस में नैनो प्रोजेक्ट को सिंगूर से बाहर निकलने की घोषणा करते हुए इसके लिए ममता बनर्जी के नेतृत्व में जारी तृणमूल कांग्रेस के आंदोलन को जिम्मेदार ठहराया. इसके बाद गुजरात का साणंद नैनो फैक्ट्री का नया ठिकाना बना.
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