2015 भर्ती घोटाला मामले में तमिलनाडु के बिजली मंत्री सेंथिल बालाजी को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामले को फिर से बहाल किया है. नौकरी के इच्छुक लोगों से रिश्वत लेने के आरोप की शिकायत बहाल की गई है. कोर्ट ने 2021 के मद्रास हाईकोर्ट के मामला रद्द करने के आदेश को पलट दिया है. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का मामला रद्द करने का फैसला टिकने वाला नहीं है. कोर्ट तमिलनाडु के वर्तमान बिजली मंत्री वी सेंथिल बालाजी सहित चार लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुना रहा था. मद्रास हाईकोर्ट ने राज्य के बिजलीमंत्री और द्रमुक विधायक सेंथिल बालाजी के खिलाफ 2018 के एक धोखाधड़ी मामले को रद्द कर दिया था, क्योंकि सभी 13 कथित पीड़ितों ने इस मुद्दे से समझौता किया था और मामले को रद्द करना चाहते थे.
बेंच ने मंत्री, उनके भाई अशोक कुमार, निजी सहायक षणमुगम और मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एमटीसी) के कर्मचारी राजकुमार के खिलाफ मामला खारिज कर दिया था, जब अदालत को बताया गया था कि शिकायतकर्ता और भर्ती घोटाले के 13 कथित पीड़ितों ने समझौता किया है और बकाया राशि का भुगतान कर दिया गया है, इसलिए मामले को लंबित रखने में कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा. दरअसल, चेन्नई के गणेश कुमार, देवसगयम और अन्य ने चेन्नई सेंट्रल क्राइम ब्रांच पुलिस में सेंथिल बालाजी, अन्नाराज, प्रभु और शाकयाराज के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि सेंथिल बालाजी, जो परिवहन मंत्री थे, ने 2011 से 2015 के बीच नौकरी दिलाने का दावा करके पैसे की धोखाधड़ी की थी. लेकिन एक आरोपी शनमुगम द्वारा दायर मामले की सुनवाई कर रहे मद्रास हाईकोर्ट ने 2021 जुलाई में चारों के खिलाफ मामला रद्द करने का आदेश दिया था. यह स्वीकार किया था कि पीड़ितों ने कहा था कि उन्हें पैसे मिल गए हैं और वे समझौता करना चाहते हैं.
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