
मिलाद-उन-नबी समारोह के दौरान बेंगलुरू में तलवारें और हथियार दिखाए जाने के आरोप में अल्पसंख्यक समुदाय के 18 लोगों को हिरासत में लिया गया है. जिसमें 13 नाबालिग लड़के हैं. जश्न का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस हरकत में आई.
पुलिस ने एनडीटीवी को बताया, "13 नाबालिग सहित 18 लोगों को हिरासत में लिया गया है. उन्होंने जश्न में हिस्सा लेते हुए खतरनाक हथियार लहराए. उनकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है और ऐसा लगता है कि वे हाल की विभिन्न घटनाओं से प्रभावित थे, उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा और कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा."
पुलिस ने आगे कहा, "वयस्कों को न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा, नाबालिगों को किशोर हिरासत में भेजा जाएगा. उनके खिलाफ अवैध रूप से इकट्ठा होने, सार्वजनिक शांति भंग करने और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न अन्य धाराओं के लिए शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है."
घटना के बारे में जानकारी साझा करते हुए, पुलिस उपायुक्त पी कृष्णकांत ने कहा, "घटना किसी समारोह के दौरान नहीं हुई थी. यह एक जुलूस के बाद हुआ, जब कुछ लोग सोमेश्वर नगर के आंतरिक इलाकों में गए और संगीत पर नृत्य किया और हथियार लहराए."
यह पूछे जाने पर कि क्या धार्मिक समारोहों में हथियारों के प्रदर्शन के खिलाफ पुलिस अपनी कार्रवाई में चयनात्मक हो रही है, डीसीपी ने इस तरह के दृष्टिकोण का खंडन करते हुए कहा, "ऐसा कुछ नहीं है. जब भी हमें कोई विशेष जानकारी मिलती है, तो हम उस पर कार्रवाई करते हैं. हाल ही में गणपति जुलूस के दौरान भी कई लोगों पर शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था."
पिछले हफ्ते, कर्नाटक में एक दक्षिणपंथी संगठन द्वारा एक विशाल रैली निकाली गई थी, जिसने विवाद को जन्म दिया था. लगभग 10,000 प्रतिभागियों ने तलवारें लहराई और नारेबाजी की. यहां तक कि पुलिसकर्मियों को भी उनके बगल में चलते हुए देखा गया. रैली में भाग लेने वालों में कर्नाटक के एक मंत्री और सत्तारूढ़ भाजपा के एक विधायक भी शामिल थे. कई लोगों ने सोशल मीडिया पर रैली में भाग लेने वालों के खिलाफ तलवार चलाने के लिए कार्रवाई की मांग की.
हालांकि, पुलिस ने एनडीटीवी को बताया था कि चूंकि कोई शिकायत नहीं की गई, इसीलिए रैली के आयोजकों के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की गई है.
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